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शिक्षण संस्थानों को ऑनलाइन शिक्षा में अपनानी होगी सुरक्षित पद्धति, फीडबैक पर बदलाव जरूरी

कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन के कारण शिक्षण संस्‍थान बंद हैं। ऐसे में ऑनलाइन शिक्षा का दौर चल रहा है। विशेषज्ञों ने इसके लिए सुरक्षित पद्धति अपनाने की जरूरत बताई।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Tue, 28 Apr 2020 06:04 PM (IST)Updated: Tue, 28 Apr 2020 06:04 PM (IST)
शिक्षण संस्थानों को ऑनलाइन शिक्षा में अपनानी होगी सुरक्षित पद्धति, फीडबैक पर बदलाव जरूरी
शिक्षण संस्थानों को ऑनलाइन शिक्षा में अपनानी होगी सुरक्षित पद्धति, फीडबैक पर बदलाव जरूरी

नई दिल्ली, [बिजेंद्र बंसल]। लॉकडाउन अवधि के दौरान और इसके बाद भी शिक्षण संस्थानों में ऑनलाइन पढ़ाई की वैकल्पिक व्यवस्था लंबी चल सकती है। शिक्षण संस्थानों में लॉकडाउन हटने के बाद भी छात्रों के बीच शारीरिक दूरी बनाए रखने का मापदंड बनाए रखना आसान नहीं होगा। इसलिए शिक्षा के क्षेत्र में आए इस बड़े बदलाव में शिक्षण संस्थानों को सुरक्षित ऑनलाइन शैक्षणिक पद्धति अपनानी होगी।

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विशेषज्ञ के अनुसार, छात्रों और अभिभावकों के फीडबैक के आधार पर करने होंगे कुछ बदलाव

इसमें छात्रों और अभिवभावकों के फीडबैक के आधार पर परिवर्तन भी करना होगा। फिलहाल ऑनलाइन पढ़ाई में सरकारी से लेकर निजी शिक्षण संस्थानों में तकनीक, संसाधनों की कमी भी पूरा करना अपने आप में एक बड़ी चुनौती है मगर इसके साथ ही छात्र पिछले 20 दिन की नियमित पढ़ाई का फीडबैक दे रहे हैं, वह ज्यादा अच्छा नहीं है।

वैकल्पिक व्यवस्था को स्थायी व्वयस्था बनाने पर आएंगे तमाम दिक्कतें

नौवीं कक्षा के छात्र पुण्य कुमार का कहना है कि उनकी ऑनलाइन क्लास सुबह आठ से दोपहर एक बजे तक चलती है। इस दौरान उनके छह पीरियड होते हैं। पचास मिनट के प्रत्येक दो पीरियड के बाद 5 से 10 मिनट का एक ब्रेक होता है। पांच घंटे लगातार पढ़ाई और फिर होमवर्क के रूप में टीचर के एसाइनमेंट पूरे करने होते हैं। ये एसानमेंट भी वाट्सएप पर आते हैं।

पुण्‍य कुमार ने कहा, शनिवार व रविवार को इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा की क्लास होती हैं। इस दौरान न स्कूल का माहौल और न ही साथी छात्र व अध्यापकों से कोई चर्चा हो पाती है। ऐसे में एक तरह से मशीन की तरह जीवन हो गया है। अभिभावक सोनाली कहती हैं कि स्कूल प्रबंधन इस समय ऑनलाइन पढ़ाई बिना तैयारी के वैकल्पिक की बजाए स्थायी भाव में पढ़ा रहे हैं। इसमें बदलाव होना चाहिए।

'ऑनलाइन पढ़ाई को अभी शिक्षण संस्थान वैकल्पिक व्यवस्था के रूप में लें'

शिक्षाविद डॉ. प्रशांत भल्ला बताते हैं कि ऑनलाइन पढ़ाई को फिलहाल सभी शिक्षण संस्थानों को वैकल्पिक व्यवस्था के रूप में ही लेना चाहिए। इसमें अभिभावकों और छात्रों की जागरूकता के अलावा अध्यापकों का प्रशिक्षण जरूरी है। क्योंकि आने वाले समय में यह वैकल्पिक व्यवस्था लंबी भी चल सकती है। ऐसे में जहां अध्यापकों का प्रशिक्षण होगा,वहां समस्याएं कम आएंगी। थ्योरी और प्रैक्टिकल विषयों को छात्रों की इच्छानुसार अलग अंदाज में पढ़ाया जाना चाहिए।

डॉ. भल्‍ला के अनुसार ऑनलाइन पढ़ाई के समय भी छात्रों से अध्यापकों और वरिष्ठ अध्यापकों का संवाद होना चाहिए। वह कहते हैं कि जिस तरह एक क्लासरूम में बच्चों के चेहर देखकर उनका मूड भांपा जाता है उसी तरह ऑनलाइन पढ़ाई में भी अध्यापकों को यह समझना होगा कि बच्चों को किस समय किस अंदाज में पढ़ाना है। प्रत्येक पीरियड के बाद 5-10 मिनट का ब्रेक अनिवार्य रूप से दिया जाना चाहिए।

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'कंप्‍यूटर पर अ‍धिक देर पढ़ाई से विजन सिंड्रोम बीमारी का खतरा'

नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ दीपक गांधी के अनुसार पहले टीवी, कंप्यूटर या लेपटॉप की केथोड रे ट्यूब (सीआरटी) स्क्रीन होती थी। इनमें से खतरनाक किरणें निकलती थीं मगर अब एलईडी स्क्रीन हैं। इन पर पढ़ाई करने से नुकसान से बचा जा सकता है। होता यह है कि कंप्यूटर स्क्रीन पर काम करते और ड्राइविंग के समय हमारी पलक झपकाने की संख्या कम हो जाती है। सामान्य तौर पर हम एक मिनट में 16 बार पलक झपकाते हैं मगर कंप्यूटर स्क्रीन पर यह तीन बार ही रहती है।

वह कहते हैं, इससे आंखों में सूखापन आ जाता है। इससे आंखों में जलन, सिर में भारीपन या फिर सिरदर्द की शिकायतें हो जाती हैं। इसे कंप्यूटर विजन सिंड्रोम बीमारी का नाम दिया गया है। इसके बचने के लिए उनकी सलाह है छात्र को 40-50 मिनट का एक पीरियड खत्म होने के बाद यदि 5-10 मिनट का ब्रेक ले लेना चाहिए।

डॉ. दीपक गांधी कहते हैं, ब्रेक के दौरान छात्र आंखें बंद करके बैठे या फिर सामान्य साफ पानी से आंखों को धो ले तो भी आंखें सामान्य रहती हैं। कानों से सुनने के समय यदि ईयरफोन का इस्तेमाल करने के बजाय एकांत में बैठकर ऑनलाइन पढ़ाई की जाए तो बेहतर रहता है। यदि ईयरफोन लगाना ही है तो ब्रेक के समय इन्हेंं हटा दें। छात्र ऑनलाइन पढ़ाई लेटकर कतई नहीं करे।


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