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शिक्षा विभाग बना प्रयोगशाला, ऑनलाइन तबादले के नाम पर शिक्षकों से 'मजाक'

ह‍रियाणा मेें शिक्षकों के नाम से ऑनलाइन तबादले के नाम पर मजाक चल रहा है। पूरे मामले में राज्‍य का शिक्षा विभाग प्रयोगशाला बन गया है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Mon, 12 Aug 2019 12:52 PM (IST)Updated: Mon, 12 Aug 2019 12:52 PM (IST)
शिक्षा विभाग बना प्रयोगशाला, ऑनलाइन तबादले के नाम पर शिक्षकों से 'मजाक'
शिक्षा विभाग बना प्रयोगशाला, ऑनलाइन तबादले के नाम पर शिक्षकों से 'मजाक'

चंडीगढ़, जेएनएन। हरियाणा का शिक्षा विभाग प्रयोगशाला बन गया है। हर छह माह के अंतराल में शिक्षा विभाग में निदेशक बदलते रहे हैं। अब पिछले ढाई माह से चल रही ट्रांसफर ड्राइव (ऑनलाइन तबादले) को लेकर नए-नए आदेश जारी हो रहे हैं। इन आदेश से शिक्षकों में बेचैनी और आक्रोश का माहौल है। पूरे मामले में शिक्षक मजाक बन कर रह गए हैं।

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एक सप्ताह में एक शिक्षक से 50 से 60 पीरियड पढ़ाने के फरमान जारी

हरियाणा स्कूल लेक्चरर्स एसोसिएशन (हसला) के प्रधान दयानंद दलाल के अनुसार जुलाई माह में स्कूलों में छात्रों की संख्या बढऩे के बावजूद 30 सितंबर के आधार पर रेशनेलाइजेशन के नाम पर हजारों पदों को समाप्त किया जा रहा है। संगठन ने जब शिक्षा विभाग के अधिकारियों के सामने छात्र संख्या बढऩे के आंकड़े पेश किए तो 31 जुलाई को आधार मानकर खामियों से भरी रेशनेलाइजेशन की लिस्ट जारी कर दी गई। 

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रेशनेलाइजेशन के जरिये हजारों पद खत्म करने की आशंका से भयभीत शिक्षक

दयानंद दलाल के अनुसार, शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने ऐसे स्कूलों से पोस्ट सरप्लस कर दी, जहां 7-8 सेक्शन हैं और पर्याप्त संख्या में छात्र व सभी विषयों का वर्कलोड है। वैकल्पिक विषयों के साथ ही अनिवार्य विषयों हिंदी और अंग्रेजी के विषयों को भी सरप्लस कर दिया गया, जहां 50-60 विषय का वर्कलोड मौजूद है। ऐसे में एक प्राध्यापक 50-60 पीरियड एक सप्ताह में कैसे पढ़ाएगा, जबकि एक सप्ताह में अधिकतम वर्कलोड 40 पीरियड ही बनता है।


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दयानंद दलाल और प्रेस सचिव अजीत चंदेलिया ने बताया कि इतिहास के पीजीटी को ऐसे स्कूलों में नियुक्ति दे दी गई, जहां पहले से ही इतिहास के प्राध्यापक मौजूद हैं। यह स्कूल वे हैं, जहां विभाग ने 8 अगस्त को जारी रेशनेलाइजेशन लिस्ट में पर्याप्त छात्र संख्या के बावजूद सरप्लस कर दिया था। उन्होंने इतिहास के शिक्षकों के स्टेशनों को मैन्युअली देने में भारी लेनदेन की आशंका जताई और मुख्यमंत्री कार्यालय से जांच की मांग की है। करोड़ों रुपये का साफ्टवेयर दो बार जेबीटी के गलत तबादले कर चुका है। अभी भी अध्यापकों को अपनी एसीपी/पे-प्रोटेक्शन/मेडिकल-रीइंबर्समेंट/सीसीएल के काम मैन्युअली करने पड़ रहे हैं।

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