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Edible Oil Prices: अभी और बढ़ेंगी खाद्य तेल की कीमतें, घरेलू उत्पादन व मांग के बीच 56 फीसद का अंतर

Edible Oil Prices देश में खाद्य तेल की कीमतों में अभी और इजाफा हो सकता है। इसके घरेलू उत्पादन व मांग के बीच 56 फीसद का अंतर है। हालांकि तेल की कीमतों पर लगाम के लिए सरकार ने कई एहतिहाती कदम उठाए हैं।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Thu, 09 Dec 2021 04:30 PM (IST)Updated: Thu, 09 Dec 2021 04:30 PM (IST)
Edible Oil Prices: अभी और बढ़ेंगी खाद्य तेल की कीमतें, घरेलू उत्पादन व मांग के बीच 56 फीसद का अंतर
देश में अभी और बढ़ सकती हैं खाद्य तेलों की कीमतें।

बिजेंद्र बंसल, नई दिल्ली। Edible Oil Prices: पिछले तीन साल से लगातार बढ़ रही खाद्य तेलों की कीमत अभी और बढ़ेगी। इसका कारण है कि खाद्य तेलों का उत्पादन बाजार मांग से 56 फीसद कम है। अभी तक खाद्य तेलों की घरेलू मांग 250 लाख टन है, जबकि घरेलू उत्पादन महज 111.6 लाख टन है। यही कारण है कि केंद्र सरकार ने किसानों को फसलों के विविधिकरण पर जोर देने को कहा है। 

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ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए सरकार दाल-दलहन और तिलों की खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित कर रही है। मांग की अपेक्षा में आधे से भी कम उत्पादन सरकार के लिए मुश्किल खड़ी कर रहा है। संसद के शीतकालीन सत्र में भाजपा के सांसद धर्मबीर सिंह और रमेश कौशिक ने इस विषय को लेकर अलग-अलग प्रश्न पूछे हैं। इनके प्रश्नों के जवाब में सरकार ने बताया है कि पिछले तीन साल में सरसों के तेल में 24, वनस्पति में 11, सोया तेल में 24, सूरजमुखी के तेल में 33 और पाम तेल में 27 रुपये प्रति किलोग्राम की तेजी आई है।

उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने सांसदों को विस्तृत विवरण के साथ खाद्य तेल और दाल-दलहन में महंगाई के कारणों का विवरण भी सौंपा है। दाल-दलहन, तेल-तिलहन की फसल उगाने में यदि देश इसी तरह पीछे रहा और मांग और आपूर्ति का अंतर बढ़ता गया तो निश्चित तौर पर अगले साल में भी इनकी महंगाई आसमान छू सकती है।

तीन साल में चना दाल ही रही है अपवाद

वर्ष 2017-18 में चना दाल की कीमत 80 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई थी। इसके बाद अगले दो साल यह घटकर 65 रुपये पर पहुंच गई, मगर अब एक बार फिर 70 रुपये पर जा पहुंची है। बढ़ती कीमतों के क्रम में चना दाल के अपवाद को छोड़ दें तो दाल-दलहन और तिल-तेल के भाव ने पिछले तीन साल में आसमान छुए हैं। 2017-18 में अरहर की दाल खुदरा बाजार में औसतन 78.66 रुपये किलोग्राम बिक रही थी तो 2020-21 में यह भाव 99.57 रुपये प्रति किलोग्राम पर जा पहुंचा। तीन साल में अरहर दाल 20.91 रुपये प्रतिकिलोग्राम महंगी हो गई। इसी तरह तीन साल में उड़द दाल 19.16 रुपये प्रति किलोग्राम महंगी हो गई। मूंग दाल-29.77 रुपये प्रति किलोग्राम और सरसों का तेल 24.59 रुपये प्रति किलोग्राम महंगा हुआ।

सरकार कर रही है बेहतर प्रयास

उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण राज्य मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने सांसदों के सवाल के जवाब में यह भी कहा है कि सरकार ने कोविड-19 के नए वेरिएंट की आहट से सरकार की विभिन्न एजेंसियों के पास मौजूद दाल व दलहन से लेकर तेलों के बफर स्टाक को रिलीज करने का आदेश दिया है। इसके अलावा भारतीय खाद्य निगम को यह आदेश दिए गए हैं कि अपने स्टाक को आरक्षित मूल्य पर ई-नीलामी से तत्काल बेचने की प्रक्रिया जारी रखी जाए। सरकार का यह निर्णय खाद्यान्नों से लागत मूल्य कम करने की प्रक्रिया के तहत लिया गया है।

  • खाद्य तेल की मांग- 250 लाख टन
  • खाद्य तेल का उत्पादन- 111.6 लाख टन
  • खाद्य तेल की मांग व आपूर्ति में अंतर- 56 फीसद

खाद्य तेलों की महंगाई रोकने के लिए केंद्र सरकार के उपाय

  • कच्चे पाम तेल, कच्चे सोयाबीन तेल और कच्चे सूरजमुखी तेल पर मूल शुल्क 2.5 से घटाकर शून्य कर दिया गया
  • कृषि उपकर भी कच्चे माप तेल के लिए 20 फीसद से 7.5 फीसद और कच्चे सोयाबीन तेल व कच्चे सूरजमुखी तेल के लिए पांच फीसद कर दिया गया
  • रिफाइंड सोयाबीन, रिफाइंड सूरजमुखी और पामोलीन पर मूल शुल्क 32.5 से घटाकर 17.5 फीसद कर दिया गया।
  • पहले सभी कच्चे तेल पर कृषि मूलभूत संरचना उपकर 20 फीसद था, अब इस घटाकर पाम तेल के लिए 7.5 और सोयाबीन व सूरजमुखी के लिए पांच फीसद कर दिया गया।
  • खाद्य तेलों का आयात ओपन जनरल लाइसेंस के अधीन है। सामान्य प्रक्रिया का पालन करने के बाद कोई भी आयात कर सकता है।

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