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डॉ. सोनिया बनीं देश की पहली महिला इंटरनेशनल बॉक्सिंग रेफरी

चंडीगढ़ की डॉ. सोनिया अंतरराष्‍ट्रीय बॉक्सिंग कोच बन गई हैं। वह भारत की पहली म‍हिला अंतरराष्‍ट्रीय बॉक्सिंग कोच हैं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Wed, 22 Aug 2018 01:08 PM (IST)Updated: Wed, 22 Aug 2018 01:08 PM (IST)
डॉ. सोनिया बनीं देश की पहली महिला इंटरनेशनल बॉक्सिंग रेफरी
डॉ. सोनिया बनीं देश की पहली महिला इंटरनेशनल बॉक्सिंग रेफरी

चंडीगढ़, [विकास शर्मा]। श्री गुरु गोबिंद सिंह कॉलेज सेक्टर-26 में फिजिकल एजुकेशन की सहायक प्रोफेसर डॉ. सोनिया कंवर ने इंटरनेशनल बॉक्सिंग रेफरी व जज का एग्जाम पास कर लिया है। इस एग्जाम को पास करने वाली सोनिया देश की पहली महिला हैं। अब सोनिया ओलंपिक, कॉमनवेल्थ गेम्स और एशियन गेम्स में बतौर बॉक्सिंग रेफरी अपनी सेवाएं दे सकेंगी।

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फिजिकल एजुकेशन की सहायक प्रोफेसर सोनिया अंबाला जिले की रहने वाली हैं

यह एग्जाम इंटरनेशनल बॉक्सिंग एसोसिएशन (आइबीए) की तरफ से 3 से 8 जुलाई को इंडोनेशिया में लिया गया था। डॉ. सोनिया ने बताया कि इससे पहले वह 2008 में स्टार-1 एग्जाम पास कर चुकी हैं। वह अब तक तीन बार इंटरनेशनल गेम्स और 12 बार नेशनल गेम्स में बतौर रेफरी सेवाएं दे चुकी हैं।

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बचपन से ही ऑलराउंडर रही हैं 

मूल रूप से हरियाणा के अंबाला जिले के गांव रामपुर की रहने वालीं 39 वर्षीय डॉ. सोनिया ने बताया कि उन्‍हें बचपन से खेलों में हिस्सा लेने का शौक था। उन्‍हाेंने कहा, अपने स्कूल व कॉलेज के समय में जिम्नास्टिक, जूडो, योग, बॉक्सिंग, स्विमिंग और मार्शल आट्र्स जैसी प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया। मैंने स्पोट्र्स को अपने करियर के तौर पर चुना। फिजिकल एजुकेशन में एमए करने के बाद स्पोट्र्स साइकोलॉजी में पीएचडी की। साल 2001 में इंडियन एमेच्योर बॉक्सिंग फेडरेशन का एग्जाम पास किया। इसके बाद इंटरनेशनल एमेच्योर बॉक्सिंग एसोसिएशन का एग्जाम पास किया।

 

अंतरराष्‍ट्रीय महिला बॉक्सिंग रेफरी डॉ. सोनिया।

खेल उपलब्धियां

डॉ. सोनिया ने बताया कि वह तीन बार ऑल इंडिया इंटर यूनिवर्सिटी गेम्स में जूडो की गोल्ड मेडलिस्ट रह चुकी हैं। इसके अलावा उन्होंने कजाकिस्तान में आयोजित इंटरनेशनल जूडो चैंपियनशिप में भी हिस्सा लिया था, लेकिन मेडल नहीं जीत सकी थीं। 

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जीत मिलने के बाद पिता ने जताया था भरोसा

डॉ. सोनिया ने बताया कि जूडो खिलाड़ी बनने सपना आसान नहीं रहा है। जब मैंने जूडो सीखने की बात परिवार में कही तो मेरी मां के सिवाय कोई भी राजी नहीं हुआ। मां ने मेरा साथ दिया और मुझे किट दिलाई। इसके बाद जब मैं स्कूल, स्टेट पर स्तर पर मेडल जीतने लगी तो पिता का भी भरोसा बढ़ा। अखबारों में मेरी उपलब्धियां छपने लगी तो पिता ने भी खूब सराहा। इसके बाद मैं इंटरनेशनल स्तर तक खेलने गई। मेरे परिवार और पति राजीव जरियाल ने हर कदम पर मेरा साथ दिया।

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अंतरराष्‍ट्रीय महिला बॉक्सिंग रेफरी डॉ. सोनिया।

खुद पर भरोसा, बखूबी निभाऊंगी नई जिम्मेदारी

डॉ. सोनिया का कहना है कि एक अच्छे रेफरी के पास तीन गुण होने चाहिए। बेहतर परख करने की क्षमता, खेल की विस्तृत टेक्नीकल नॉलेज, खुद की फिटनेस। वह वर्षों से अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में बतौर रेफरी अपनी सेवाएं दे चुकी हैं। इसलिए उन्हें खुद पर भरोसा है कि वह अपनी इस नई जिम्मेदारी से इंसाफ कर पाएंगी। 

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