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लॉक डाउन में परेशान न हों, अब मोबाइल पर आएगी कॉल-राशन, पानी और सब्जियां तो खत्म नहीं

हरियाणा में लॉक डाउन से अब परेशान होने की जरूरत नहीं है। अब मोबाइल पर कॉल आएगा कि राशन पानी और सब्जियां तो खत्म नहीं हो पाई हैं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Wed, 08 Apr 2020 01:57 PM (IST)Updated: Wed, 08 Apr 2020 01:57 PM (IST)
लॉक डाउन में परेशान न हों, अब मोबाइल पर आएगी कॉल-राशन, पानी और सब्जियां तो खत्म नहीं
लॉक डाउन में परेशान न हों, अब मोबाइल पर आएगी कॉल-राशन, पानी और सब्जियां तो खत्म नहीं

चंडीगढ़, [सुधीर तंवर]। लॉकडाउन के चलते घरों में रहने को मजबूर लाखों परिवारों को राशन, सब्जियों और दवा सहित अन्य जरूरी वस्तुओं के लिए अब चिंता करने की जरूरत नहीं। प्रदेश के करीब 48 लाख परिवारों के मुखिया के मोबाइल पर नियमित रूप से कॉल आएगी जिसमें पूछा जाएगा कि घर में राशन-पानी या सब्जियां खत्म तो नहीं हुईं। साथ ही स्वास्थ्य और बुनियादी जरूरतों को लेकर भी सवाल पूछे जाएंगे। इसके बाद जरूरतमंद परिवारों तक वांछित सेवाएं पहुंचाई जाएंगी।

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48 लाख परिवारों से मोबाइल पर संपर्क करेंगे 60 हजार कोविड-वीर

इस काम को सिरे चढ़ाएंगे 60 हजार से अधिक कोविड-वीर। उच्चतर शिक्षा विभाग ने जरूरतमंदों की मदद के लिए प्रोजेक्ट कोविड-वीर लांच किया है। टेली आउटफिट कार्यक्रम पर आधारित इस प्रोजेक्ट में दस हजार शिक्षक और 50 हजार छात्र शामिल किए गए हैं। प्रत्येक वालंटियर रोजाना 20 परिवारों को फोन कर स्टेटस रिपोर्ट लेकर ऑनलाइन मुख्यालय को भेजेगा। इसके बाद जरूरतमंद तक मदद पहुंचाई जाएगी।

स्वास्थ्य और बुनियादी जरूरतों को लेकर भी होंगे सवाल, फिर घर तक पहुंचेगी मदद

प्रत्येक वालंटियर परिवारों के स्वास्थ्य के साथ ही कोविड-19 के ट्रांसमिशन पर भी  नजर रखेगा। सभी परिवारों से पूछा जाएगा कि किसी सदस्य में कोरोना के लक्षण तो नहीं। इसके अलावा अन्य बीमारी संबंधी जानकारी भी ली जाएगी ताकि इलाज कराया जा सके।

उच्चतर शिक्षा विभाग के महा निदेशक अजीत बालाजी जोशी का दावा है कि दुनिया में अपनी तरह का यह पहला प्रोजेक्ट है। इस पहल का उद्देश्य उन परिवारों पर ध्यान केंद्रित करना है जो लॉकडाउन की वजह से अपनी मूलभूत सुविधाओं, आवश्यकताओं को पूरा करने में असमर्थ हैं। खास बात यह है कि आउटफिट कार्यक्रम में शामिल लोगों के बीच कोई शारीरिक संपर्क नहीं होगा और सभी स्वयंसेवक अपने घर में सुरक्षित रह सकेंगे।

सभी वालंटियर को प्रतिदिन 20 परिवारों को कॉल करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। स्वयंसेवक इन परिवारों से पहले से तैयार किए गए सवाल पूछेंगे जिसमें राशन की उपलब्धता, बुनियादी सुविधाएं और स्वास्थ्य सेवा से जुड़े मुद्दे होंगे। सभी स्वयंसेवकों के साथ एक ऑनलाइन लिंक साझा किया गया है ताकि वह रोजाना परिवारों से मिला हुआ रिस्पांस भर सकें।

यदि कोई परिवार स्वास्थ्य व खाद्य सुविधाओं से वंचित है तो सरकार द्वारा तत्काल सहायता मुहैया कराई जाएगी। भोजन और बुनियादी सुविधाओं को लोगों तक पहुंचाने के लिए विशेष रूप से एनएसएस और एनसीसी कैडेट्स को मुहिम में शामिल किया गया है।

'महामारी के खतरे से भी बचे रहेंगे वालंटियर'

'' परीक्षा की इस घड़ी में आमजन की जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रदेश सरकार वर्तमान नीतियों में लगातार सुधार कर रही है। सुरक्षा कारणों से जीने के लिए जरूरी संसाधनों के वितरण में लगातार कठनाई आ रही है। स्थिति को व्यवस्थित रूप से संचालित करने के लिए दस हजार शिक्षकों और 50 हजार छात्रों को नियुक्त किया गया है। इस परियोजना को टेली आउटरीच कार्यक्रम के रूप में डिजाइन किया गया है जिसमें टेलीफोन को संचार माध्यम के रूप में प्रयोग किया जाएगा। ऐसे में महामारी के फैलने का खतरा भी नहीं रहेगा।

                                                               - अजीत बालाजी जोशी, महानिदेशक, उच्चतर शिक्षा विभाग।

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