मुस्लिम अफसरों ने कहा- कोरोना वायरस से बचाव नहीं करना है इस्लाम के खिलाफ, बरतें ऐहतियात
हरियाणा के कई मुस्लिम अफसरों ने कहा है कि कोरोना वायरस से बचाव नहीं करना इस्माल के उसूलों के खिलाफ है। उन्होंने अपील की है कोरोना को लेकर ऐहतियात बरतें।
नई दिल्ली, [बिजेंद्र बंसल]। वैश्विक महामारी के रूप में फैली कोराेना वायरस की बीमारी से बचाव में लापरवाही को मुस्लिम वर्ग से संबंधित भारतीय प्रशासनिक सेवा (आइएएस) और भारतीय पुलिस सेवा (आइपीएस) के अधिकारियों ने इस्लाम के खिलाफ बताया है। उन्होंने कहा है कि कोरोना से अपना और दूसरों का बचाव नहीं करना इस्लाम के उसूलों के विपरीत है। उन्होंने लोगाें से अपील की है कि वे कोरोना से बचाव के लिए पूरी ऐहतियात रबरतें।
कहा- वैश्विक महामारी में शारीरिक दूरी बनाकर इस्लाम के उसूलों का पालन करें
इन अधिकारियों का कहना है कि आत्महत्या या किसी नाइलाज बीमारी के प्रति लापरवाही इस्लाम में पाप के बराबर माना गया है। इसलिए मुस्लिम समाज के लोग इस महामारी से बचाव को स्वास्थ्य मंत्रालय सहित विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा तय मापदंड का पालन करें। इन अधिकारियों ने अपने सोशल मीडिया के सभी प्लेटफार्म पर अपनी इस अपील को साझा करते हुए कहा कि मुसलमान लॉकडाउन के दौरान शारीरिक दूरी बनाए रखने से लेकर अपने मजहब की इबादत घर पर ही रहकर करें।
यह अपील को करने वालों में प्रमुख रूप से आइपीएस अधिकारी डॉ.हनीफ कुरैशी (हरियाणा), नाजमुल होडा (तमिलनाडु), क्यूसर खालिद (महाराष्ट्र), आसिफ जलाल (हिमाचल प्रदेश), मोहम्मद मुस्तफा (पंजाब), आइएएस अधिकारी मोहम्मद शाइन (हरियाणा) और एजाज अहमद (पश्चिम बंगाल) शामिल हैं।
इन अधिकारियाें ने अपनी इस अपील करने के पीछे के उद्देश्य को भी स्पष्ट किया। इनके अनुसार मीडिया की सुर्खियां बन रही हैं कि दिल्ली निजामुद्दीन मरकज में एकत्र तब्लीगी जमात के लोगों के कारण देश में एक तिहाई कोरोना वायरस के पॉजिटिव केस आए हैं। कहीं मुस्लिम समाज के लोग जांच करने गई स्वास्थ्य विभाग की टीम पर पथराव कर रहे हैं तो कहीं पुलिस कर्मियों से टकराव कर रहे हैं। ऐसे में वे इस संकट की घड़ी में लोगों से अपील करने के लिए मजबूर हुए हैं। उनकी यह अपील केवल उनके समुदाय के लिए ही नहीं बल्कि सभी के लिए है।
-----------
तब्लीगी जमातियों काे दिया कड़े शब्दों में संदेश
इन अधिकारियों ने अपनी अपील में तब्लीगी जमातियों को भी कड़ा संदेश दिया है। इन अधिकारियों के मुताबिक कोराेना वायरस सिर्फ उस व्यक्ति तक सीमित नहीं रहता, जिसने इसे मूखर्तापूर्ण कार्य के माध्यम से अपने शरीर में लिया है। बल्कि यह उस व्यक्ति के संपर्क में आने वाले परिवार और समाज में भी पहुंच जाता है। इससे तेजी से निर्दोषों की मौत होती हैं। कुरान के अनुसार अगर कोई एक निर्दोष इंसान को मारता है तो ऐसा लगता है कि उसने सभी मानव जाति को मार दिया। अगर किसी ने एक की जान बचाई तो ऐसा लगता है कि उसने समस्त मानव जाति का जीवन बचाया है।
----------------
'' हम देशभर में मुस्लिम समुदाय के आइएएस और आइपीएस सहित अन्य उच्च पदेन अधिकारी आपस में विभिन्न मुद्दों को लेकर चर्चा करते हैं। कोरोना वायरस एक वैश्विक महामारी है। यह बीमारी किसी सभी धर्म, संप्रदाय को देखकर नहीं लगती। इसलिए देशभर के करीब 100 आइएएस,आइपीएस अधिकािरियों ने सभी धर्म, संप्रदाय के लोगों से अपील की है कि वे इस वैश्विक महामारी के खिलाफ लड़ाई लड़ें। सरकार व स्वास्थ्य विभाग द्वारा तय किए मापदंड अपनाए क्योंकि कोरोना वायरस से किसी का बचाव नहीं है। ऐसे वायरस को जिसका अभी पुख्ता इलाज भी न हो, से बचाव में लापरवाही करना भी इस्लाम धर्म के खिलाफ है।
- डॉ. हनीफ कुरैशी,महानिरीक्षक,आइआरबी, भौंडसी, गुरुग्राम।
पंजाब की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
हरियाणा की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
यह भी पढ़ें: उठा बड़ा सवाल, कहीं मजहब के प्रचार से अलग तो नहीं था तब्लीगी जमातियों का मकसद
यह भी पढें: टेस्ट के लिए नहीं करना होगा इंतजार, नए किट RTK कोविड-19 से दो से तीन मिनट में मिलेगी रिपोर्ट
यह भी पढ़ें: Corona से मिलकर लड़ेंगे देश के 425 रिसर्च स्कॉलर-साइंटिस्ट, PU के scholar ने बनाया खास ग्रुप
यह भी पढ़ें: हरियाणा में बड़े उद्योगों में बिजली का फिक्स चार्ज माफ, अनुबंधित कर्मचारियों को मिलेगी पूरी सैलरी