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संयुक्त किसान मोर्चा में फिर फूट, चुनाव प्रचार पर टिकैत-योगेंद्र यादव और अन्‍य किसान नेता आमने-सामने

Farmers Politics संयुक्‍त किसान मोर्चा के नेताओं में चुनावी राजनीति में उतरने या उससे दूरी को लेकर मतभेद उभर आए हैं। पांच राज्‍याें के विधानसभा चुनाव में किसान संगठनों के शामिल हाेने को लेकर इन नेताओं में इस पर खींचतान दिख रहे हैं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sun, 16 Jan 2022 10:27 PM (IST)Updated: Mon, 17 Jan 2022 08:35 AM (IST)
संयुक्त किसान मोर्चा में फिर फूट, चुनाव प्रचार पर टिकैत-योगेंद्र यादव और अन्‍य किसान नेता आमने-सामने
किसान नेता राकेश टिकैत, गुरनाम सिंह चढूनी और योगेंद्र यादव। (फाइल फोटो)

नई दिल्‍ली, [बिजेंद्र बंसल]। चुनावी राजनीति से दूरी बनाए रखने को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा के वरिष्ठ नेताओं में मतभेद बने हुए हैं। मोर्चा की रणनीति तय करने वाली नौ सदस्यीय कोर कमेटी के सदस्य इस प्रमुख मुद्दे को लेकर फिलहाल दो फाड़ हैं। हालांकि शनिवार को सिंघु बार्डर पर हुई किसान संगठनों की बैठक से पहले शुक्रवार नई दिल्ली में नौ सदस्यीय कोर कमेटी ने यह तय कर दिया था कि मोर्चा चुनावी राजनीति से दूर रहेगा।

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आंदोलन की पवित्रता बरकरार रखने को राजनीति से दूरी के पक्ष में हैं कक्काजी, दर्शनपाल,  दल्लेवाल

इसके बावजूद सिंघू बार्डर की बैठक के बाद किसान नेता राकेश टिकैत ने लखीमपुर खीरी मामले में संतोषजनक कार्रवाई नहीं होने पर एक फरवरी से मिशन उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड शुरू करने का एलान कर दिया। टिकैत ने यह भी कहा कि 31 जनवरी को जिला स्तर पर ट्रैक्टर मार्च या धरनों के बाद भी यदि केंद्रीय राज्य मंत्री अजय टेनी को बर्खास्त नहीं किया गया तो वे लखीमपुर खीरी में पक्का मोर्चा लगा देंगे।

टिकैत के इस बयान को लेकर मोर्चा की कोर कमेटी के तीन सदस्य हैरान हैं। क्योंकि,  शुक्रवार को कोर कमेटी की बैठक में टिकैत ने ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं रखा था। न ही लखीमपुर खीरी कोर कमेटी में चर्चा का एजेंडा था। इन नेताओं का कहना है कि वे इस विषय को अगली कोर कमेटी की बैठक में रखेंगे।

बता दें, 14 जनवरी को दिल्ली में हुई कोर कमेटी की बैठक के दौरान किसान नेता शिव कुमार कक्काजी, दर्शनपाल और जगजीत सिंह दल्लेवाल अपनी बात मनमाने में कामयाब हो गए थे। ये तीनों नेता चाहते थे कि संयुक्त किसान मोर्चा के आंदोलन की पवित्रता बरकरार रखने के लिए चुनाव लड़ने वाले नेताओं को मोर्चा से दूर रखा जाए। तब किसान नेता हन्नान मुल्ला ने बैठक में प्रस्ताव भी रखा था कि मोर्चा पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में भाजपा का विरोध करे।

टिकैत,योगेंद्र यादव, चढूनी और राजेवाल पश्चिम बंगाल की तर्ज पर चुनाव प्रचार करने पर अड़े

हन्नान मुल्ला के इस प्रस्ताव से योगेंद्र यादव भी सहमत नहीं थे। शुक्रवार की बैठक में हरियाणा से किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी और पंजाब से बलबीर सिंह राजेवाल उपस्थित नहीं थे। इनके प्रतिनिधियों ने इस कोर कमेटी में हिस्सा लिया था। शुक्रवार कोर कमेटी की बैठक में यह निर्णय लिया गया था कि शनिवार को सिंघु बार्डर की बैठक के बाद यह साफ कर दिया जाएगा कि मोर्चा चुनावी राजनीति से दूर रहेगा।

शनिवार की बैठक के बाद किसान नेताओं ने मोर्चा को चुनावी राजनीति से दूर रखने की बात कही भी, लेकिन राकेश टिकैत के बयान से सब कुछ बदल गया। टिकैत के बयान के बाद मोर्चा द्वारा किसानों की मांगों के संदर्भ में केंद्र सरकार को दिए जाने वाला मांगपत्र भी पीछे छूट गया है। इसमें एमएसपी गारंटी को लेकर कमेटी बनाने से लेकर मृतक किसानों के आश्रितों को मुआवजा व नौकरी देने की मांग भी शामिल है।


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