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दशकों पुरानी दोस्‍ती टूटी तो हरियाणा की पिच पर खुलकर खेलेंगे अकाली

अकाली दल हरियाणा में इनेलो से कई दशक पुरानी दोस्‍ती टूटने के बाद राज्‍य की राजनीति पिच पर अकेले उतरेगी। इससे हरियाणा की राजनीति में नए व दिलचस्‍प समीकरण बनने के आसार हैं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Wed, 13 Dec 2017 07:47 PM (IST)Updated: Thu, 14 Dec 2017 10:39 AM (IST)
दशकों पुरानी दोस्‍ती टूटी तो हरियाणा की पिच पर खुलकर खेलेंगे अकाली
दशकों पुरानी दोस्‍ती टूटी तो हरियाणा की पिच पर खुलकर खेलेंगे अकाली

चंडीगढ़, [अनुराग अग्रवाल]। हरियाणा में कभी इनेलो के लिए स्‍टार प्रचार की भूमिका निभाने वाले शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के नेता अब यहां की राजनीतिक पिच पर खुलकर खेलने को तैयार हैं। इनेलो से दशकों पुरानी दोस्‍ती टूटने के बाद शिअद हरियाणा के राजनीति रण में अकेले उतरेगा। इसमें उसका सामना सत्तारूढ़ भाजपा से तो होगा ही, साथ ही उसे पुराने राजनीतिक मित्र इनेलो और कांग्रेस से भी जूझना पड़ेगा।

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बहुजन समाज पार्टी की नाममात्र उपस्थिति के बीच हरियाणा की राजनीतिक जंग में अकाली दल की अचानक हुई इस एंट्री से सत्ता की लड़ाई रोचक हो गई है। चुनाव आते-आते अगर कोई नए समीकरण बने तो इसका सबसे अधिक नुकसान कांग्रेस को उठाना पड़ सकता है।

सत्तारूढ़ भाजपा व पुराने राजनीतिक दोस्त इनेलो के साथ-साथ कांग्रेस को मिल सकती चुनौती

शिरोमणि अकाली दल अध्यक्ष सुखबीर बादल ने हरियाणा की राजनीति में सक्रिय होेने का ऐलान कर दूसरे राजनीतिक दलों में बेचैनी बढ़ा दी है। अकाली दल की पंजाब में दस साल सरकार रह चुका है। हरियाणा के प्रमुख विपक्षी दल इनेलो और अकाली दल मिलकर चुनाव लड़ते रहे हैं। इन दोनों दलों के बीच राजनीतिक रिश्ते तो थे ही, साथ ही दोनों दलों के मुखिया प्रकाश सिंह बादल और ओमप्रकाश चौटाला के बीच पारिवारिक संबंध भी किसी से छिपे नहीं हैं।

कभी सुखबीर बादल और अभय चौटाला की दोस्‍ती के होते थे चर्चे।

निगम चुनाव के टेस्ट में पास हुए तो विधानसभा चुनाव में बन सकते हैं नए राजनीतिक समीकरण

अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल और हरियाणा विधानसभा में विपक्ष के नेता अभय सिंह चौटाला की मित्रता के भी खूब चर्चे हैं। एसवाईएल नहर निर्माण के मुद्दे पर पंजाब की तत्कालीन बादल सरकार की बेरुखी के चलते इनेलो ने अकाली दल के साथ अपने राजनीतिक रिश्ते खत्म करने का बड़ा दांव खेला था।

अकाली दल के साथ राजनीतिक संबंध खत्म करने के चौटाला व अशोक अरोड़ा के ऐलान को शुरू में हलके अंदाज में लिया गया। लेकिन, जिस तरह से चौटाला ने पूरी मजबूती के साथ एसवाईएल की लड़ाई लड़ते हुए न केवल बादल सरकार पर दबाव बनाया था, बल्कि अकाली दल व केंद्र सरकार को भी घेरा, उससे साफ हो गया कि दोनों दलों के बीच अब राजनीतिक नजदीकियां शायद नहीं बनने वाली हैं।

हरियाणा की इनेलो की बड़ी रैलियों में प्रकाश सिंह बादल जरूर होते थे।

हरियाणा में 2019 में विधानसभा चुनाव होंगे। पंजाब में अकाली दल और भाजपा के बीच राजनीतिक गठबंधन है। इस गठबंधन के टूटने की चर्चाएं कई बार हुईं, लेकिन भाजपा के शीर्ष नेताओं ने ऐसा संकेत कभी नहीं दिया। लिहाजा हरियाणा की राजनीति में अकाली दल की यह एंट्री कई सवाल पैदा कर रही है।

अकाली दल ने हरियाणा में राजनीति की शुरुआत रोहतक और अंबाला नगर निगमों के चुनाव से करने की घोषणा की है। इन दोनों जगह हाल फिलहाल चुनाव नहीं होने हैं। करीब छह माह बाद चुनाव की संभावना है। इसलिए अकाली दल अभी से सक्रिय हो गया है।

टेस्ट के बाद वन डे खेलेंगे अकाली

माना जा रहा कि अकाली दल नगर निगम के चुनाव में टेस्ट मैच खेलेगा। इस टेस्ट में हरियाणा की राजनीतिक पिच को नापने के बाद अकाली दल वन डे यानी विधानसभा चुनाव का मैच खेलने की तैयारी करेगा। मैच में उसका सामना भाजपा से होगा या फिर इनेलो और कांग्रेस से, यह अभी भविष्य के गर्भ में छिपा है।

राजनीतिक विश्लेषक यह भी मान रहे कि भले ही भाजपा, इनेलो और अकाली दल की राजनीतिक राहें जुदा हैं, लेकिन विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद इन तीनों का एक बड़ा गठबंधन भी बन सकता है। कुछ लोग चुनाव से पहले भी इन दलों को आपस में जोडऩे का प्रयास कर सकते हैं, जिसके लिए कांग्रेस को अपनी रणनीति में बदलाव करना होगा।

आेमप्रकाश चौटाला के साथ सुखबीर बादल।

शिअद के आज तक बने दो विधायक, इनेलो से रहा मोह

हरियाणा में शिअद की टिकट पर आज तक दो विधायक चुनकर आए हैं। पहले विधायक सिरसा जिले की कालांवाली विधानसभा सीट से चरणजीत सिंह रोड़ी चुने गए थे, लेकिन इनेलो ने उन्हें लोकसभा चुनाव लड़वाकर सांसद बना दिया था। तब चरणजीत सिंह अकाली दल को छोड़कर इनेलो में शामिल हो गए थे। अब दूसरे विधायक कालांवाली से ही बलकौर सिंह हैं।

विधानसभा समेत विभिन्न स्थानों पर बलकौर सिंह को अभी भी इनेलो का साथ देते हुए देखा जा सकता है। बलकौर सिंह उस समय भी हरियाणा यानी इनेलो के साथ थे, जब इनेलो ने एसवाईएल के मुद्दे पर अकाली दल से राजनीतिक नाता तोडऩे का ऐलान कर दिया था।

'पार्टी निशान पर लड़ेंगे चुनाव'

'' हम शुरू से यहां चुनाव लड़ते रहे हैं। फर्क इतना है कि अब हम खुद चुनाव लड़ेंगे। रोहतक व अंबाला के नगर निगम चुनाव अगले छह माह में होने की संभावना है। हमारी पार्टी के प्रधान सुखबीर सिंह बादल ने तैयारियां शुरू करने को कहा है। हम सभी चुनाव पार्टी निशान पर लड़ेंगे। रही इनेलो के साथ गठबंधन की पुरानी बात तो हमने यह गठबंधन नहीं तोड़ा था। इनेलो ने ही इसकी शुरुआत की  थी।

                                                                       - शरणजीत सिंह सोंठा, अध्यक्ष, अकाली दल हरियाणा।


पंजाब के नेताओं पर दांव

'' हमने हरियाणा के पार्टी नेताओं शरणजीत सिंह सोंठा और रघुजीत सिंह विर्क समेत तमाम नेताओं के साथ चर्चा की। बैठक में भविष्य के लिए रूपरेखा तैयार कर ली गई है। तय हुआ कि अकाली दल हरियाणा में अगले सभी चुनाव पार्टी चुनाव चिन्ह पर लड़ेगा और इसका पहला प्रयोग अंबाला व रोहतक नगर निगम के चुनावों में होगा। हरियाणा में दल के संगठन को मजबूत करने के लिए भी कदम उठाए जाएंगे और पंजाब के वरिष्ठ नेताओं को जिम्मेदारियां सौंपी जाएंगी। इसके अलावा कुरुक्षेत्र में पार्टी के कार्यालय का भी नवीनीकरण किया जाएगा।

                                                                             - सुखबीर सिंह बादल, अध्यक्ष, शिरोमणि अकाली दल।


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