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IAS सुशील सारवान पर कुरुक्षेत्र में भी संकट, मां को भाजपा ने दिया टिकट तो चुनाव आयोग क्यों पहुंची कांग्रेस?

आईएएस अधिकारी सुशील सारवान पर कुरुक्षेत्र में भी संकट मंडरा रहा है। लोकसभा चुनाव में शिकायत के आधार पर उन्हें पंचकूला के उपायुक्त पद हटाया गया था। दरअसल सुशील सारवान वर्तमान में कुरुक्षेत्र के उपायुक्त और जिला निर्वाचन अधिकारी हैं। दूसरी तरफ उनकी मां को भाजपा ने मुलाना से टिकट दिया है। ऐसे में कांग्रेस ने चुनाव में हेरफेर की आशंका जताते हुए इलेक्शन कमीशन का दरवाजा खटखटाया है।

By Sudhir Tanwar Edited By: Nitish Kumar Kushwaha Updated: Thu, 05 Sep 2024 08:22 PM (IST)
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कुरुक्षेत्र के उपायुक्त और जिला निर्वाचन अधिकारी सुशील सारवान (फाइल फोटो)

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। लोकसभा चुनाव में शिकायत के आधार पर पंचकूला के उपायुक्त पद से हटाए गए आईएएस अधिकारी सुशील सारवान पर अब कुरुक्षेत्र में भी संकट मंडरा रहा है। वर्तमान में कुरुक्षेत्र के उपायुक्त और जिला निर्वाचन अधिकारी सुशील सारवान की मां संतोष सारवान को भाजपा ने अंबाला जिले की मुलाना विधानसभा सीट से प्रत्याशी बनाया है।

इसे मुद्दा बनाते हुए कांग्रेस ने चुनाव आयोग में शिकायत कर चुनाव प्रभावित होने की आशंका जताई है। इससे एक बार फिर आईएएस अधिकारी के तबादले के आसार बन गए हैं।

कांग्रेस ने चुनाव आयोग से शिकायत में क्या कहा?

हरियाणा कांग्रेस कमेटी के सदस्य सुरेश यूनिसपुर ने भारतीय चुनाव आयोग और हरियाणा के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के समक्ष दर्ज कराई शिकायत में कहा है कि कुरुक्षेत्र के उपायुक्त पद पर तैनात सुशील सारवान की माता संतोष सारवान मुलाना से भाजपा उम्मीदवार हैं। कुरुक्षेत्र जिले की सीमा मुलाना विधानसभा क्षेत्र से लगती है। इसलिए तुरंत प्रभाव से जिला निर्वाचन अधिकारी की बदली की जाए क्योंकि वह चुनाव परिणामों को प्रभावित कर सकते हैं।

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शिकायतकर्ता ने नियमों का हवाला देते हुए लिखा है कि किसी भी पार्टी के उम्मीदवार के रिश्तेदार को चुनाव ड्यूटी में तैनात नहीं किया जा सकता। जिस जिला निर्वाचन अधिकारी को लोकसभा चुनाव में बदला गया हो, वह विधानसभा चुनाव में ड्यूटी कैसे कर सकता है। इसलिए निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए सुशील सारवान को कुरुक्षेत्र के उपायुक्त पद से हटाया जाना चाहिए।

चुनाव में रिटर्निंग अफसर की होती है अहम भुमिका

लोकसभा चुनाव से पहले भारतीय चुनाव आयोग की ओर से राज्यों को जारी निर्देश में किसी भी अधिकारी और कर्मचारी के तबादले का आधार संसदीय क्षेत्र को बनाया गया है। चुनाव के दौरान अपने गृह जिले वाले संसदीय क्षेत्र में अफसरों की तैनाती नहीं की जाएगी। इसी आधार पर ही चुनाव आयोग के पास अफसरों और कर्मचारियों की शिकायतें पहुंच रही हैं।

चुनाव प्रक्रिया में आरओ यानी रिटर्निंग अफसर की अहम भूमिका होती है। वह सीधे तौर से चुनाव से जुड़ा होता है। जबकि उपायुक्त यानी जिला चुनाव अधिकारी को लेकर आयोग की हिदायत स्पष्ट नहीं है। कांग्रेस की शिकायत के बाद अब चुनाव आयोग की ओर से जिस तरह का निर्देश आता है, वैसे ही सरकार की ओर से कार्रवाई की जाएगी।

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