सत्ता के गलियारे से: फिरने लगे भाजपा के दिग्गज नेताओं के दिन, जानें हरियाणा की सियासत के अनछुए पहलू
सत्ता के गलियारे से हरियाणा में 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद हाशिए पर चले गए भाजपा के कई दिग्गज नेताओं के दिन अब फिरने लगे हैं। पूर्व मंत्री रामबिलास शर्मा जैसे नेताओं की पार्टी में पूछ बढ़ रही है।
चंडीगढ़, जेएनएन। सत्ता के गलियारे से: राजनीति का कोई सिर पैर नहीं होता। किसी भी दल या नेता के लिए एकदम माहौल बनता है तो एकदम बिगड़ते हुए भी देर नहीं लगती। 2019 के चुनाव नतीजों के बाद से भाजपा में हाशिये पर चल रहे कुछ नेताओं की अब धीरे-धीरे पूछ बढ़ रही है। पूर्व मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ तो प्रदेश अध्यक्ष बन ही चुके। अब वह पूरी तरह स्ट्रीम लाइन में हैं। पूर्व शिक्षा मंत्री प्रो. रामबिलास शर्मा ने चुनाव प्रभारी के नाते रेवाड़ी नगर परिषद का चुनाव जिताकर भाजपा ने अपना वजन साबित कर दिया है।
ऐसा ही पूर्व वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु ने पंचकूला में किया है। उनकी देखरेख में भाजपा पंचकूला नगर निगम का चुनाव जीती है। पूर्व उद्योग मंत्री विपुल गोयल ने भी धीरे-धीरे संगठन में गतिविधियां बढ़ाई हैं। पूर्व शहरी निकाय मंत्री कविता जैन और उनके पति राजीव जैन फिर गति पकड़ चुके हैं। काफी समय से तेल और तेल की धार देख रहे इन नेताओं की सक्रियता ने पार्टी के एक कोने में लगे उनके समर्थकों में नई ऊर्जा का संचार कर दिया है।
नए साल में अफसरों के तबादले
हरियाणा सरकार ने नए साल में पहले ही 56 एचसीएस अधिकारियों के तबादला आदेश जारी किए। इनमें 22 जिलों के नए सिटी मजिस्ट्रेट भी लगाए गए। यह वे अफसर हैं, जो हाल ही में एचसीएस अधिकारी के तौर पर नियुक्त हुए हैं। कमाल की बात यह है कि इन सभी 22 जिलों में नए सिटी मजिस्ट्रेट कार्यकारी मजिस्ट्रेट की शक्तियों के बगैर होंगे। यानी उन्हें किसी भी विपरीत परिस्थिति में मजिस्ट्रेट की पावर इस्तेमाल करने का अधिकार नहीं होगा। इसके अलावा वरिष्ठ एचसीएस के लिए निर्धारित ज्वाइंट डायरेक्टर के पदों पर पर भी जूनियर एचसीएस अधिकारियों को तैनात कर दिया गया है।
एक वर्ष पूर्व दिसंबर 2019 में हरियाणा लोक सेवा आयोग द्वारा सीधी भर्ती से चयनित 46 में से 35 नव नियुक्त एचसीएस अधिकारियों को सरकार ने प्रथम तैनाती है। ऐसा पहली बार नहीं हुआ। कई मौके ऐसे आए, जब सरकार को अधिकारियों की नियुक्ति के संबंध में अपने आदेशों को लेकर गफलत में रही है।
मनोहर निष्पक्षता के नवीन ध्वजवाहक
कोई माने या नहीं माने मगर अब सूबे में आम आदमी पार्टी की टोपी पहने राेहतक और फरीदाबाद में चुनाव लड़ चुके नवीन जयहिंद तो यह जरूर मानेंगे कि हरियाणा में सरकारी नौकरियों की भर्ती निष्पक्ष होती है। मनोहर सरकार की निष्पक्षता के प्रचार के नवीन जयहिंद एक तरह से ध्वजवाहक भी रहेंगे। शारीरिक शिक्षा में पीएचडी नवीन जयहिंद ने सूबे में पीटीआइ शिक्षक के लिए आवेदन किया तो बिना सिफारिश के उनका चयन हो गया।
आम आदमी पार्टी में रहते हुए नवीन जयहिंद मनोहर सरकार को पानी पी-पीकर कोसते थे। तब उन्हें सरकारी नौकरियों की भर्ती में यह निष्पक्षता भी दिखाई नहीं देती थी। अब नवीन मानते हैं कि प्रत्यक्ष को प्रमाण की जरूरत नहीं है। हालांकि सवाल यह उठता है कि नवीन मनोहर सरकार के खिलाफ की गई अपनी सख्त टिप्पणियों के लिए अब प्रायश्चित करेंगे या नहीं, लेकिन खबर यह भी आ रही है कि कोई ब्राह्मण नेता ढूंढ रही कांग्रेस की निगाह भी नवीन जयहिंद पर टिकी हुई है।
यथास्थितिवादी नहीं मुखियाजी की सोच
यथास्थितिवादी दलों के शासनकाल में सूबे में हरियाणवियों का बहुत बड़ा नुकसान हुआ है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल के इस कथन का विश्लेषण इन दिनों दिल्ली से चंडीगढ़ तक हो रहा है। मुख्यमंत्री का कहना है कि सरकारी सेवाओं, सुविधाओं और योजनाओं की जानकारी के लिए हरियाणा को डिजिटल इंडिया अवार्ड से इसलिए ही नवाजा जा रहा है कि उनके शासनकाल में व्यवस्था परिवर्तन का काम हुआ। सरकारी योजनाओं को बेहतर ढंग से आनलाइन करने से नागरिकों को राहत मिलने के अलावा कर्मचारियों को भी और नया काम करने के लिए समय मिलता है।
राजनीतिक गलियारों में चर्चा के दौरान यह भी तथ्य उभरकर सामने आया है कि मुखियाजी की यह प्रगतिशील सोच अन्य मंत्रियों में क्यों नहीं समाहित होती। हालांकि शिक्षक तबादला नीति,सरकारी भर्तियों में पारदर्शिता का श्रेय मुखियाजी के पहले शासनकाल में मंत्रियों की टीम को भी दिया गया मगर तब भी असलियत तो कुछ और ही थी।
(प्रस्तुति - अनुराग अग्रवाल, बिजेंद्र बंसल व सुधीर तंवर)