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खतरनाक 'दुश्‍मन' टिड्डियों के हमले की आशंका से हड़कंप, अलर्ट पर हरियाणा, जानें कितना दूर है खतरा

हरियाणा में टिड्डी दलाें के हमले के खतरे से हड़कंप है। इससे किसानों की फसलों पर के लिए बड़ा खतरा पैदा हो गया है। हरियाणा सरकार ने टिट्डी दलों पर काबू पाने को अलर्ट घोषित किया है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Wed, 27 May 2020 10:22 PM (IST)Updated: Wed, 27 May 2020 10:22 PM (IST)
खतरनाक 'दुश्‍मन' टिड्डियों के हमले की आशंका से हड़कंप, अलर्ट पर हरियाणा, जानें कितना दूर है खतरा
खतरनाक 'दुश्‍मन' टिड्डियों के हमले की आशंका से हड़कंप, अलर्ट पर हरियाणा, जानें कितना दूर है खतरा

चंडीगढ़/हिसार, जेएनएन। हरियाणा के लोगों खासकर किसानों में खतरनाक 'दुश्‍मन' के हमले की आशंका से हड़कंप है। राजस्थान के बाद अब हरियाणा में प्रवेश कर रहे टिड्डी दल के हमले का खतरा बढ़ गया है। हरियाणा से सटे राजस्थान के जिले में टिड्डी दल देखा गया है। इसके बाद हरियाणा सरकार ने अलर्ट जारी कर दिया है। राजस्थान से सटे आठ जिलों मेवात, महेंद्रगढ़, भिवानी, रेवाड़ी, हिसार, भिवानी, चरखी दादरी व सिरसा के डीसी को सभी तैयारियां कर टिड्डी दल पर काबू पाने के तमाम आदेश दिए हैं। कृषि विभाग ने इस चुनौती से निपटने के लिनए व्‍यापक तैयारी की है। हिसार के हरियाण कृषि विश्‍वविद्यालय के विज्ञानियों के अनुसार टिड्डी दल अभी हरियाणा की सीमा से करीब 135 किलोमीटर दूर है, लेकिन पूरा साव‍धानी बेहद जरूरी है।

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सभी जिला उपायुक्‍तों को राज्‍य मुख्यालय के संपर्क में रहने के आदेश

हरियाणा सरकार ने इन सभी डीसी को नियमित रूप से राज्‍य मुख्यालय के संपर्क में रहने को कहा है। कृषि विभाग के अधिकारियों को हाई-अलर्ट पर रखा गया है। सभी जिलों में दवाइयों का भंडारण किया जा चुका है। प्रदेश के कृषि मंत्री जयप्रकाश दलाल का दावा है कि कृषि विभाग टिड्डी दल से निपटने के लिए मुस्तैद है। तीन-चार साल पहले भी पाकिस्तान के रास्ते टिड्डी दल ने हरियाणा में फसलों पर हमला किया था।

कृषि विभाग कर रहा निपटने की तैयारी, दवाइयों और कीटनाशकों का भंडारण

हरियाणा के कृषि सचिव संजीव कौशल के अनुसार प्रदेश सरकार इस विषय पर चिंतित हैं। दक्षिणी हरियाणा और राजस्थान से सटे हुए जिले हाई अलर्ट पर हैं। इन जिलों में पर्याप्त मात्रा में दवाइयों का भंडारण किया गया है। उन्होंने कहा कि टिड्डी दलों के लिए सरकार की तैयारियां पर्याप्त है। कृषि विभाग के अधिकारी तैयार हैं। साथ ही, किसानों को जागरूक किया जा रहा है। जहां पर सूचना मिलेगी वहां पर टिड्डी दल को खत्म किया जाएगा।

कृषि मंत्री जेपी दलाल के अनुसार हरियाणा के लिए बचाव की यह बात है कि हवा के रुख के साथ टिड्डी दल राजस्थान-गुजरात चला गया है। हरियाणा में इक्का-दुक्का जगहों पर टिड्डी को देखा गया है। गुजरात, राजस्थान समेत कई राज्य सरकारों ने अलर्ट घोषित किया है।

हरियाणा बार्डर के करीब से मप्र की ओर जा सकता है टिड्डी दल

इन सबके बावजूद टिड्डी दल के हमले की आशंका से राजस्थान सीमा से लगते हरियाणा के जिलों के लोग सहमे हुए हैं। इन जिलों के किसानों से कृषि विभाग और चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (सीसीएचएयू) की टीमें संपर्क बनाए हुए हैं। यहां के किसानों को वाट्सएप ग्रुप और आनलाइन माध्यम से जागरूक किया जा रहा है और कोई भी टिड्डी दिखने पर तुंरत सूचना देने को कहा गया है। प्रदेश में टिड्डी दल से निपटने को सभी जिलों में नोडल अधिकारी बनाए गए हैं।   

हरियाणा सीमा से 135 किमी दूर होने की कृषि विज्ञानियों ने दी जानकारी

कृषि विश्वविद्यालय के कीट विज्ञान विभाग के विज्ञानियों  का कहना है कि अभी टिड्डी दल हरियाणा सीमा से 135 किलोमीटर दूर है। गंगानगर और जयपुर के पास इस दल के होने की सूचना मिल रही है। हरियाणा पर टिड्डी का खतरा टल सकता है क्योंकि यह सूचना भी आ रही है कि इस दल ने मध्यप्रदेश की ओर रुख कर लिया है। फिर भी अलर्ट रहने की जरूरत है क्योंकि हवा ही इनकी दिशा तय करती है। इन टिड्डियों की संख्या 10 हजार टिड्डियां प्रति हेक्टेयर या 5-6 टिड्डियां प्रति झाड़ी आंकी गई है।   

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''टिड्डी दल अभी हरियाणा सीमा से 135 किमी दूर है। हरियाणा में इसके प्रवेश की संभावना कम है फिर भी प्रदेश अलर्ट पर है। हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक हरियाणा कृषि विभाग के साथ तालमेल करके काम कर रहे हैं। टिड्डी से निपटने को पुख्ता प्रबंध है।

                                                                    - प्रोफेसर योगेश कुमार, एचओडी, कीट विज्ञान विभाग।

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रेतीली मिट्टी में 10-15 सेंटीमीटर गहराई में समूह में देती हैं अंडे

सीसीएचएयू के कीट विज्ञान विभाग ने किसानों को टिड्डी दल से सुरक्षा संबंधित महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं। विभाग के प्रो. योगेश कुमार ने बताया कि टिड्डियां छोटे एंटिना वाली और प्रवासी आदत की होती हैं। टिड्डियां अकेले या झुंड में रहती हैं, बहुभक्षी होती हैं।

उन्‍हाेंने बताया कि व्यस्क मादा टिड्डियां नमी युक्त रेतीली मिट्टियों में 10-15 सेंटी मीटर की गहराई पर समूह में 60 से 80 अंडे देती हैं। अंडे चावल के दाने के समान 7 से 9 मिलीमीटर लंबे और पीले रंग के होते हैं। अंडों से शिशु निकलते हैं उन्हेंं होपर या फुदका कहा जाता है जो कि सबसे ज्यादा नुकसान करता है। इनका रंग पीला, गुलाबी एवं काली धारियों युक्त होता है। टिड्डी के उडऩे की क्षमता 13 से 15 किलोमीटर प्रति घंटा होती है और इसका झुंड 200 किलोमीटर तक उड़ान भर सकता है। टिड्डी दल रात को झाडि?ों एवं पेड़ों पर विश्राम करती है और सुबह उडऩा प्रारंभ करती है।

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150 किलोमीटर तक की दूरी तय कर लेती हैं टिड्डियां

झुंड में टिड्डियां हजारों से लेकर लाखों की संख्या तक हो सकती है। यह झुंड दिन के समय 12 से 16 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से 150 किलोमीटर तक की दूरी तय कर सकते हैं। ये झुंडों में रात के समय विभिन्न वनस्पतियों पर बैठ जाते हैं और अधिक से अधिक क्षति पहुंचाते हैं। इन टिड्डियों का रंग जब गहरा भूरा या पीला होने लगे तो वे परिपक्व अथवा वयस्क हो जाती हैं, जो अंडे देने में सक्षम होती हैं। अंडे देने की स्थिति आने पर ये टिड्डियां 2-3 दिनों तक उड़ नहीं पाती।

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टिड्डियां आने पर इन बातों का रखें ध्यान

- टिड्डियों के झुंड के दिखाई देने पर ढोल या ड्रम बजाकर इन्हेंं फसलों पर बैठने से रोका जा सकता है।

- रेतीले टिब्बों, इलाकों में अगर टिड्डियों के झुंड (पीले रंग की टिड्डियां) जमीन पर बैठी दिखाई दे तो उस स्थान को चिन्हित कर तुरंत सूचित करें।

- टिड्डियां अगर झुंड में न होकर अलग-अलग हैं और इनकी संख्या कम है तो घबराने की कोई आवश्यकता नहीं है।

- अनावश्यक कीटनाशकों का प्रयोग फसलों पर न करें।


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