Samjhauta Blast Case Verdict: पाक नागरिक के आवेदन के बाद फैसला टला, अब 14 मार्च को सुनवाई
2007 Samjhauta blast case verdict करीब 12 साल पहले समझाैता एक्सप्रेस ट्रेन में हुए धमाके के मामले में विशेष अदालत में फैसला टल गया है।अब 14 मार्च को सुनवाई हाेगी।
पंचकूला, [राजेश मलकानियां]। 2007 Samjhauta blast case verdict 12 साल पहले पानीपत के पास समझौता एक्सप्रेस ट्रेन में हुए धमाके के मामले में फैसला टल गया है। पंचकूला की विशेष एनआइए अदालत में अब इस मामले पर सुनवाई अब 14 मार्च को हाेगी। असीमानंद सहित चारों आरोपितों की विशेष एनआइए कोर्ट में पेशी हुई। इस घटना में 68 ट्रेन यात्री मारे गए थे और काफी संख्या में लोग घायल हो गए थे। मारे गए लोगों में अधिकतर पाकिस्तान के रहने वाले थे।
धमाके के पीडि़त पाकिस्तान के एक व्यक्ति की गवाही के लिए वकील माेमिन मलिक ने दी अर्जी
विशेष अदालत में शाम चार बजे के बाद असीमानंद, लोकेश शर्मा, राजेंद्र चौधरी और कमल चौहान की पेशी हुई। इसके बाद एक अधिवक्ता के आवेदन के बाद मामले की सुनवाई 14 मार्च के लिए टाल दी गई। अदालत ने वकील माेमिन मलिक के आवेदन पर एनआइए को नोटिस देकर जवाब मांगा।
पाक नागरिक के अतिरिक्त सुबूत पेश करने की बात कही गई, एनआइए को जवाब के लिए नोटिस
एडवोकेट मोमिन मलिक ने एप्लीकेशन में कहा कि वह पाकिस्तान के एक व्यक्ति की गवाही करवाना चाहते हैं। यह व्यक्ति इस हादसे का पीड़ित है। मोमिन ने कहा कि यह व्यक्ति इस मामले में कुछ अतिरक्ति सुबूत देना चाहता है। इस व्यक्ति के परिजन समझौता एक्सप्रेस ट्रेन धमाके में मारे गए थे। एनआइए कोर्ट ने आवेदन पर सुनवाई की और एनआइए को संबंध करके 14 मार्च को जवाब देने के लिए कहा।
समझौता एक्सप्रेस बात मामले में आरोपित लोकेश शर्मा, राजेंद्र चौधरी और कमल चौहान को अंबाला जेल से पेशी के लिए लाया गया। असीमानंद भी कोर्ट में पहुंचे। इस मामले की सुनवाई जज जगदीप सिंह कर रहे हैं। बता दें कि डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम के मामलों में भी फैसला सुनाया था।
इस केस में बहस होने के बाद कोर्ट ने 6 मार्च को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। मामले में आठ आरोपितों में से एक की हत्या हो गई थी और तीन आरोपितों को पीओ घोषित कर दिया था। एनआइए के वकील आरके हांडा ने बताया कि समझौता एक्सप्रेस ब्लाल्ट मामले में एनआइए और बचाव पक्ष के बीच फाइनल बहस पूरी हो गई है। 26 जुलाई 2010 को मामला एनआइए को सौंपा गया था। 26 जून 2011 को आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई थी।
समझौता एक्सप्रेस धमाका मामले के आरोपित।
वकील हांडा ने बताया आरोपियों पर आईपीसी की धारा (120 रीड विद 302) 120बी साजिश रचने के साथ 302 यानि की हत्या, 307 हत्या की कोशिश करना, और विस्फोटक पदार्थ, रेलवे को हुए नुकसान को लेकर कई धाराएं लगाई गई हैं। अगर इन धाराओं के तहत आरोपी दोषी करार दिए जाते हैं, तो कम से कम उम्रकैद की सजा हो सकती है।
आरके हांडा ने बताया कि एनआइए ने मामले में कुल 224 गवाहों को पेश किया, जबकि बचाव पक्ष ने कोई गवाह नहीं पेश किया। केवल अपने दस्तावेज और कई जजमेंट्स की कॉपी ही कोर्ट में पेश की। इस मामले में कोर्ट की ओर से पाकिस्तानी गवाहों को पेश होने के लिए कई बार मौका दिया गया, लेकिन वह एक बार भी कोर्ट में नहीं आए। वकील हांडा ने बताया कि मामले में अब तक सिर्फ आरोपी असीमानंद को ही ज़मानत मिली है, बाकि तीनों आरोपित जेल में हैं।
अंबाला जेल से पंचकूला के कोर्ट परिसर में लाया गया एक अारोपित।
भारत-पाकिस्तान के बीच सप्ताह में दो दिन चलने वाली समझौता एक्सप्रेस में 18 फरवरी 2007 में बम धमाका हुआ था। ट्रेन दिल्ली से लाहौर जा रही थी। विस्फोट हरियाणा के पानीपत जिले में चांदनी बाग थाने के अंतर्गत सिवाह गांव के दीवाना स्टेशन के नजदीक हुआ था। हादसे में 68 लोगों की मौत हो गई थी। ब्लास्ट में 12 लोग घायल हो गए थे। धमाके में जान गंवाने वालों में अधिकतर पाकिस्तानी नागरिक थे। मारे गए 68 लोगों में 16 बच्चों समेत चार रेलवे कर्मी भी शामिल थे।
19 फरवरी 2007 को दर्ज एफआइआर के मुताबिक समझौता एक्सप्रेस में 18 फरवरी 2007 को रात 11.53 बजे दिल्ली से करीब 80 किलोमीटर दूर पानीपत के दिवाना रेलवे स्टेशन के पास धमाका हुआ। इसकी वजह से ट्रेन के दो जनरल कोच में आग लग गई थी। यात्रियों को दो धमाकों की आवाज़ें सुनाई दी, जिसके बाद ट्रेन के डिब्बों में आग लग गई। बाद में पुलिस को घटनास्थल से दो सूटकेस बम मिले, जो फट नहीं पाए थे।
20 फरवरी, 2007 को प्रत्यक्षदर्शियों के ब्यानों के आधार पर पुलिस ने दो संदिग्धों के स्केच जारी किए। ऐसा कहा गया कि ये दोनों लोग ट्रेन में दिल्ली से सवार हुए थे और रास्ते में कहीं उतर गए। इसके बाद धमाका हुआ। पुलिस ने संदिग्धों के बारे में जानकारी देने वालों को एक लाख रुपये का नक़द इनाम देने की भी घोषणा की थी। हरियाणा सरकार ने इस केस के लिए एक विशेष जांच दल का गठन कर दिया था।
15 मार्च 2007 को हरियाणा पुलिस ने इंदौर से दो संदिग्धों को गिरफ्तार किया। यह इन धमाकों के सिलसिले में की गई पहली गिरफ्तारी थी। पुलिस इन तक सूटकेस के कवर के सहारे पहुंच पाई थी। ये कवर इंदौर के एक बाजार से घटना के चंद दिनों पहले ही खऱीदी गई थीं। बाद में इसी तर्ज पर हैदराबाद की मक्का मस्जिद, अजमेर दरगाह और मालेगांव में भी धमाके हुए और इन सभी मामलों के तार आपस में जुड़े हुए बताए गए थे।
समझौता मामले की जांच में हरियाणा पुलिस और महाराष्ट्र के एटीएस को 'अभिनव भारत' के शामिल होने के संकेत मिले थे। इसके बाद स्वामी असीमानंद को मामले में आरोपित बनाया गया। एनआइए ने 26 जून 2011 को पांच लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। पहली चार्जशीट में नाबा कुमार उर्फ स्वामी असीमानंद, सुनील जोशी, रामचंद्र कालसंग्रा, संदीप डांगे और लोकेश शर्मा का नाम था। जांच एजेंसी का कहना है कि ये सभी अक्षरधाम (गुजरात), रघुनाथ मंदिर (जम्मू), संकट मोचन (वाराणसी) मंदिरों में हुए आतंकवादी हमलों से दुखी थे और बम का बदला बम से लेना चाहते थे।
जुलाई 2018 में स्वामी असीमानंद समेत पांच लोगों को हैदराबाद स्थित मक्का मस्जिद में धमाके करने की साज़िश रचने के आरोप से बरी कर दिया था। इससे पूर्व मार्च 2017 में एनआइए की अदालत ने 2007 के अजमेर विस्फोट में सबूतों के अभाव में असीमानंद को बरी कर दिया था।