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तो पूरे होंगे वादे, मनोहरलाल और दुष्यंत चौटाला के साझा वादों का खर्च 15 हजार करोड़ रुपये

हरियाणा में मुख्‍यमंत्री मनोहरलाल और उपमुख्‍यमंत्री के साझा वादे पूरे किए गए तो इन पर करीब 15 हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे। भाजपा व जेजेपी के साझा वादे को पूरा करना चुनौतीूपूर्ण है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Fri, 08 Nov 2019 09:20 AM (IST)Updated: Fri, 08 Nov 2019 09:20 AM (IST)
तो पूरे होंगे वादे, मनोहरलाल और दुष्यंत चौटाला के साझा वादों का खर्च 15 हजार करोड़ रुपये
तो पूरे होंगे वादे, मनोहरलाल और दुष्यंत चौटाला के साझा वादों का खर्च 15 हजार करोड़ रुपये

चंडीगढ़, [अनुराग अग्रवाल]। हरियाणा मे भाजपा और जजपा गठबंधन की सरकार का संयुक्त न्यूनतम साझा कार्यक्रम सिरे चढऩे में बजट की दिक्कत नहीं आएगी। भाजपा ने चुनाव से पहले प्रदेश की जनता के साथ 268 और जजपा ने 160 वादे किए हैं। इन 428 वादों में 72 वादे ऐसे हैं, जो दोनों राजनीतिक दलों के चुनाव घोषणा पत्र में कहीं न कहीं मेल खाते हैं। 12 घोषणाएं तो पूरी तरह कॉमन हैं। इन वादों को पूरा करने पर मात्र 15 से 20 हजार करोड़ रुपये का बजट खर्च होना प्रस्तावित है। ऐसे में ये वादे आसानी से पूरे हो सकते हैं।

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दोनों दलों ने किए थे जनता से 428 वादे, दोनों का कुल खर्च 78 हजार करोड़

भाजपा व जजपा गठबंधन की सरकार ने संयुक्त न्यूनतम साझा कार्यक्रम को सिरे चढ़ाने के लिए पांच सदस्यीय कमेटी का भी गठन कर दिया है। यह कमेटी एक पखवाड़े में अपनी कार्य योजना सार्वजनिक करेगी। छठी बार विधायक चुनकर आए अनिल विज इस कमेटी के चेयरमैन हैं, जबकि भाजपा के वरिष्ठ नेता ओमप्रकाश धनखड़ व कंवरपाल गुर्जर को इस कमेटी में शामिल किया गया है।

संयुक्त साझा कार्यक्रम के लिए बनी कमेटी में धनखड़, गुर्जर, अनूप और राजदीप फौगाट

संयुक्त न्यूनतम साझा कार्यक्रम क्रियान्वयन कमेटी में जजपा की ओर से उकलाना से विधायक अनूप धानक और पूर्व विधायक राजदीप फौगाट शामिल किए गए हैं। भाजपा ने पिछली बार 154 चुनावी वादे किए थे, जबकि इस बार 268 वादे किए हैं, जिन पर 32 हजार करोड़ रुपये का खर्च आना प्रस्तावित है। इसी तरह जजपा ने 160 वादे किए हैं, जिन पर संभावित खर्च 36 हजार करोड़ रुपये है। दोनों के 428 वादों का खर्च 78 हजार करोड़ रुपये आ रहा है, जो हरियाणा सरकार के करीब डेढ़ लाख करोड़ के सालाना बजट से कम है।

जजपा संयोजक एवं डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने विधानसभा में जिस तरह गठबंधन के न्यूनतम साझा कार्यक्रम की पैरवी की है, उसके मद्देनजर साफ है कि दोनों दलों के बीच हाल फिलहाल तो कहीं टकराव के हालात नहीं हैं। पिछली सरकार में एक समय यह भी था, जब दुष्यंत चौटाला और अनिल विज में अक्सर टकराव बना रहता था।

स्वास्थ्य विभाग में दवाइयों के घोटाले को लेकर विज और दुष्यंत एक दूसरे को कोर्ट तक में घसीटने को तैयार हो गए थे, लेकिन बदली परिस्थितियों में जहां दुष्यंत को अब विज के साथ चलने से परहेज नहीं है, वहीं विज भी मानते हैं कि राजनीतिक टकराव कभी स्थायी नहीं होते।

चाचा अभय और हुड्डा पर हमलावर हुए दुष्यंत चौटाला

विधानसभा में डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला अपने चाचा अभय सिंह चौटाला और पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर हमलावर दिखे थे। शांत स्वभाव के दुष्यंत ने हुड्डा व चौटाला को नसीहत दी कि उन्हें सिर्फ सरकार का विरोध करने के लिए विरोध नहीं करना चाहिए। यदि किसानों के हक में उनके पास कोई रचनात्मक सुझाव हैं तो उन्हें भी पेश करना चाहिए। सरकार बिना किसी राजनीतिक भेदभाव के विपक्ष के रचनात्मक सुझाव लागू करेगी।

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अभय चौटाला ने विधानसभा में डी-कंपोजर दवाई के इस्तेमाल के बाद दो माह तक भी खेतों में पराली से खाद नहीं बनने का दावा किया था, जबकि किरण चौधरी व भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने पराली निस्तारण के लिए किसानों को बोनस देने की मांग की थी, जिसके जवाब में दुष्यंत ने कहा कि यदि डी-कंपोजर समस्या का समाधान नहीं है तो विपक्ष में बैठे लोगों को इसका विकल्प भी बताना चाहिए। मुख्मयंत्री मनोहर लाल हालांकि हुड्डा व किरण की किसानों को बोनस देने की मांग को खारिज कर चुके थे, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने प्रति क्विंटल 100 रुपये बोनस देने के निर्देश सरकार को दिए हैं।

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