पार्किंग मेंटेन की निगम ने, इनकम जाएगी जिला बाल कल्याण परिषद को
शहर में मंगलवार से पेड पार्किग शुरू हो गई।
राजेश मलकानियां, पंचकूला : शहर में मंगलवार से पेड पार्किग शुरू हो गई। सबसे बड़ी बात यह है कि इस पार्किग का रेवेन्यू नगर निगम को नहीं, बल्कि जिला बाल कल्याण परिषद को जाएगा। जबकि पार्किग को मेंटेन नगर निगम द्वारा किया गया और जब कमाई का समय आया तो जिला उपायुक्त ने हस्तक्षेप करते हुए पेड करवाकर इसका रेवेन्यू जिला बाल कल्याण परिषद को दिलवा दिया। जबकि बाकी शहरों में पार्किग फीस नगर निगम को मिलती है। ऐसा करने से नगर निगम को हर महीने होने वाली 10 से 12 लाख रुपये की आय कम हो जाएगी। मंगलवार से सेक्टर-8, 9 और 10 की पार्किग में आने वाले वाहन चालकों से फीस वसूली गई। लोग एकाएक शुरू हुई फीस लेने से नाराज दिखे। इन मार्केटों के दुकानदारों का कहना था कि उनके वाहनों को भी खड़ा करने के लिए पैसे लिये जा रहे हैं। जितनी बार भी हमने आना-जाना पड़ा, उतनी बार पैसे लिए गए जबकि दुकानदारों से फीस नहीं ली जानी चाहिए। सेक्टर-8 में ग्लोबल सिक्योरिटी के प्रबंधक संजीवन कुमार ने कहा कि पहले ही कामकाज ठप पड़ा है, ऊपर से प्रशासन द्वारा उन पर अतिरिक्त बोझ डाला जा रहा है। जिला बाल कल्याण परिषद के माध्यम से दोपहिया वाहन के पांच रुपये और चार पहिया वाहन के 10 रुपये वसूलने शुरू कर दिए गए हैं। मासिक पास की भी व्यवस्था की गई है जिसमें 100 रुपये और 200 रुपये वसूले जाएंगे। जिला बाल कल्याण परिषद के पास इकट्ठा होने वाला पैसा जाएगा। ट्रायल के तौर पर सेक्टर-8, 9 और 10 में फ्री पार्किग व्यवस्था शुरू की गई थी। निगम ने अपने कर्मचारी किए थे तैनात
नगर निगम द्वारा पार्किग में एंट्री और एग्जिट बोर्ड लगाकर अपने कर्मचारी तैनात किए गए थे। जो दो या चार पहिया वाहन चालक को पर्ची काटकर दे रहे हैं और सही ढंग से वाहन पार्क करवा रहे थे। निगम पर 15 लोगों के स्टाफ का अतिरिक्त आर्थिक बोझ था। निगम को भले ही ढाई लाख रुपये बचे हों लेकिन होने वाली 12 लाख रुपये की आय भी कम हुई है। मैंने कभी विरोध नहीं किया
तत्कालीन प्रशासक राजेश जोगपाल द्वारा जब दो-दिन के लिए पेड पार्किंग लगाई गई थी तो विधायक ज्ञानचंद गुप्ता ने नाराजगी जताई थी। अब विधायक एवं विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता का कहना है कि मैंने कभी पेड पार्किग का विरोध नहीं किया। मैंने कहा था कि ठीक ढंग से पार्किग को मेटेंन करें, उसके बाद लोगों से पैसे वसूले जाएं। पार्किग पर अधिकार तो नगर निगम का ही बनता है लेकिन जिला बाल कल्याण परिषद ने आग्रह किया था कि उनके पास फंड की कमी है। इसलिए पार्किग से फीस लेने की इजाजत दें, जिसके बाद यह फैसला लिया गया है। कुछ समय बाद पार्किग नगर निगम को वापस भी की जा सकती हैं। एक बात जरूर अधिकारियों को कह दी है कि अंदरूनी मार्केटों में पेड पार्किग किसी हालत में नहीं की जाएगी।