हरियाणा की हजार पंचायतों को Sanitation Budget का इंतजार, वित्त विभाग के पास अटकी फाइल
हरियाणा की एक हजार पंचायतों में सैनिटाइजेशन के लिए बजट नहीं है। बजट की फाइल वित्त विभाग में अटकी हुई है।
जेएनएन, चंडीगढ़। हरियाणा में कोरोना के चलते पंचायतों में सैनिटाइजेशन (स्वच्छता) का बजट नहीं पहुंच पाया है। प्रत्येक पंचायत को करीब 20 हजार रुपये का बजट स्वीकृत किया गया है। कई पंचायतों के पास बजट पहुंच गया तो कुछ ने अपने स्तर पर Coronavirus COVID-19 के संक्रमण से बचाव के लिए सेनेटाइजेशन का इंतजाम कर लिया। करीब एक हजार पंचायतें ऐसी हैं, जिन्हें अभी बजट की दरकार है और उनके बजट की मंजूरी संबंधी फाइल वित्त विभाग में अटकी हुई है।
हरियाणा के डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला पंचायत एवं विकास मंत्री हैं, जबकि मुख्यमंत्री मनोहर लाल के पास वित्त मंत्रालय है। हरियाणा सरकार ने कहा था कि जिन ग्राम पंचायतों के पास अपने साधन नहीं हैं, वह पड़ोसी गांवों से मशीनें तथा अन्य साधन किराये पर लेकर अपने गांव को सेनीटाइज करें। साढे छह हजार ग्राम पंचायतों में से ज्यादातर ने अपने स्तर पर यह अभियान शुरू कर दिया है। कई गांवों में सरपंचों तथा पंचायत सदस्यों ने अपने स्तर पर पैसे एकत्र कर गांवों को सेनीटाइज किया, लेकिन जिन पंचायतों के पास बजट नहीं है, वह सरकार का मुंह देख रही हैं।
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विकास एवं पंचायत विभाग के अधिकारियों ने सरकार को रिपोर्ट दी थी कि हरियाणा में एक हजार ग्राम पंचायतें ऐसी हैं, जिनके पास सैनिटाइजेशन के लिए बजट नहीं है। करीब एक सप्ताह से यह फाइल मंजूरी के लिए अटकी हुई है। विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुधीर राजपाल का कहना है कि कई जगह पहला चरण पूरा हो चुका है। कई जगहों पर दूसरा चरण भी शुरू हो चुका है। बजट की किसी प्रकार से कोई कमी नहीं है।
निदेशक ने पंचायत कर्मचारियों को बुलाया दफ्तर, एसीएस ने बदले आदेश
हरियाणा में 14 अप्रैल तक लॉकडाउन के बावजूद कर्मचारियों को कार्यालय में उपस्थित होने को लेकर विकास एवं पंचायत विभाग द्वारा जारी आदेश ने कर्मचारियों में गफलत पैदा कर दी। विभाग के एसीएस सुधीर राजपाल को जब इस बारे में पता चला तो उन्होंने अधिकारियों को लताड़ लगाते हुए रविवार को ही नया आदेश जारी कर स्थिति स्पष्ट की। राज्य में पिछले करीब एक सप्ताह से सरकारी दफ्तर बंद हैं और ज्यादातर विभागों के कर्मचारी घर से ही काम कर रहे हैं।
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दफ्तरों में केवल उन्हीं कर्मचारियों को बुलाया जा रहा है जिनकी सेवाएं इमरजेंसी में ली जा रही हैंं। शनिवार को सोशल मीडिया पर विकास एवं पंचायत विभाग के निदेशक के हवाले से एक पत्र वायरल हुआ, जिसमें सभी कर्मचारियों को छह अप्रैल से पहले की तरह नियमित रूप से कार्यालय में उपस्थित होने के लिए कहा गया था। यह पत्र जारी होने के बाद कर्मचारियों में गफलत हो गई। रविवार को यह मामला विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव के संज्ञान में आया तो उन्होंने अधिकारियों से जवाब तलब कर लिया। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि यह पत्र आला अधिकारियों को विश्वास में लिए बगैर ही जारी कर दिया गया था, जिसे अब वापस ले लिया गया है।
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