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संविदा कर्मचारियों को किसी विशेष स्थान पर नियुक्ति पाने का नहीं अधिकार : हाई कोर्ट

संविदा कर्मचारियों की नियुक्ति के मामले में पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। कहा कि यह सरकार का अधिकार है कि उसे कहां नियुक्त करना है न कि संविदा कर्मचारियों की इच्छा के अनुसार।

By Jagran NewsEdited By: Kamlesh BhattPublished: Tue, 04 Oct 2022 10:01 AM (IST)Updated: Tue, 04 Oct 2022 10:01 AM (IST)
संविदा कर्मचारियों को किसी विशेष स्थान पर नियुक्ति पाने का नहीं अधिकार : हाई कोर्ट
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट की फाइल फोटो।

दयानंद शर्मा, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में साफ कर दिया है कि संविदा कर्मचारियों को किसी विशेष स्थान पर नियुक्ति पाने का अधिकार नहीं है। यह नियोक्ता सरकार का अधिकार है कि संविदा कर्मचारी को कहां नियुक्त करना है। सरकार संविदा कर्मचारियों की इच्छा के अनुरुप उन्हें नियुक्ति देने के लिए बाध्य नहीं है।

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कोर्ट ने कहा कि अदालत सरकार की कार्यवाही में तभी हस्तक्षेप कर सकती है, जब कार्यवाही नियम व कानून के खिलाफ हो। इस मामले में नियोक्ता प्रशासक (सरकार) ने छात्रों व संस्थान के हित में याचिकाकर्ताओं को विशेष स्टेशनों पर नियुक्त करने का निर्णय लिया है, क्योंकि वहां पर उनकी सेवा की जरूरत है और सरकार की नजर में वह सर्वश्रेष्ठ सेवा दे सकते हैं। इसलिए हाई कोर्ट इस मामले में हस्तक्षेप नहीं कर सकता।

हाई कोर्ट के जस्टिस हरसिमरन सिंह सेठी ने स्कूल शिक्षा विभाग हरियाणा में कार्यरत ब्लाक संसाधन व्यक्तियों (बीआरपी) के साथ-साथ सहायक ब्लाक संसाधन समन्वयक (एबीआरसी) द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किए हैं।

इस मामले में याचिकाकर्ताओं की मुख्य शिकायत यह थी कि उन्हें दूर के स्टेशन आवंटित किए गए हैं, जबकि आसपास के कई स्टेशन खाली हैं, लेकिन आनलाइन ट्रांसफर पोर्टल में नजदीकी स्टेशन ब्लाक कर दिए गए, ताकि पोर्टल उनका चयन न कर सके। मजबूरन उनको दूर के स्टेशन मिल रहे हैं।

याचिका में इसी आधार पर ट्रांसफर पालिसी को चुनौती देते हुए इसे रद करने की गुहार लगाई गई थी। साथ ही सरकार को नजदीकी स्टेशन खोलने का आदेश देने की याचिका में मांग की गई थी।

याचिकाकर्ताओं की एक मुख्य दलील यह भी थी कि उनको केवल 16 हजार रुपये प्रति माह वेतन दिया जा रहा है। इतने कम वेतन में घर से दूर जाकर वह कैसे गुजारा कर पाएंगे। याचिका में कहा गया कि इन परिस्थितियों के मद्देनजर शिक्षा विभाग ने उनकी समस्या को अनदेखा कर उनके हितों की रक्षा नहीं की।

याचिकाकर्ताओं ने दलील दी कि शिक्षा विभाग को यह देखना चाहिए था कि क्या इतने कम वेतन में एक शिक्षक घर से दूर रहकर गुजारा कर सकता है। याचिका में इस पर सरकार द्वारा विचार करने का भी आग्रह किया गया।

सभी पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने सरकार से कहा कि अगर याचिकाकर्ताओं द्वारा कम वेतन की बाबत कोई मांग पत्र दिया जाता है तो शिक्षा विभाग उस पर खुले मन से विचार करे और तथ्यात्मक पहलू पर सोचते हुए यह विचार करे कि क्या एक शिक्षक, जिसे केवल 16 हजार रुपये प्रति माह मिल रहे हैं, दूर वाले स्टेशन पर ठीक ढंग से काम कर सकता है। इसी के साथ हाई कोर्ट ने याचिका का निपटारा कर दिया।


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