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कार्यसमिति की बैठक से भी कांग्रेस नेताओं को मिली निराशा, बढ़ सकती है अंतर्कलह

संगठन में बदलाव की उम्‍मीद लगाए बैठे हरियाणा कांग्रेस के नेताओं को पार्टी की राष्‍ट्रीय कार्यसमिति की बैठक से निराशा हाथ लगी है। पार्टी संगठन में बदलाव की संभावना खत्‍म हो गई है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Wed, 13 Mar 2019 11:03 AM (IST)Updated: Wed, 13 Mar 2019 11:03 AM (IST)
कार्यसमिति की बैठक से भी कांग्रेस नेताओं को मिली निराशा, बढ़ सकती है अंतर्कलह
कार्यसमिति की बैठक से भी कांग्रेस नेताओं को मिली निराशा, बढ़ सकती है अंतर्कलह

नई दिल्ली, [बिजेंद्र बंसल]। अहमदाबाद में मंगलवार को हुई पार्टी की कार्यसमिति की बैठक से उम्मीद लगाए हरियाणा कांग्रेस के नेताओं को निराशा ही मिली है। प्रदेश इकाई में बदलाव के कोई संकेत कार्यसमिति की बैठक के बाद नहीं आए। सोमवार को जब पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी से मिलकर लौटे थे तो उन्होंने समर्थकों के सामने कहा था कि कार्यसमिति की बैठक में राज्य संगठन को लेकर कुछ अहम निर्णय होंगे।

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अभी करना होगा प्रदेश संगठन में बदलाव के लिए इंतजार

वैसे अब हुड्डा समर्थकों को विश्वास है कि कुछ दिन बाद संगठन में जरूर बदलाव होगा। कार्यसमिति की बैठक में भूपेंद्र सिंह हुड्डा के सांसद पुत्र दीपेंद्र हुड्डा विशेष आमंत्रित सदस्य हैं। दीपेंद्र ने इस बैठक में हरियाणा का राजनीतिक परिदृश्य रखा।

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प्रदेश अध्यक्ष बदलने की मांग कर रहे हैं हुड्डा समर्थक

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद पिछले पांच साल से डॉ. अशोक तंवर आसीन हैं। डेढ़ साल पहले प्रदेश कार्यकारिणी ने अध्यक्ष बदलने का प्रस्ताव पारित कर आलाकमान के पास भेज दिया था। इसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उनके समर्थक विधायकों ने कई बार पार्टी के प्रदेश प्रभारी महासचिव गुलाम नबी आजाद सहित राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी से मिलकर प्रदेशाध्यक्ष बदलने की गुहार लगाई है मगर यह बदलाव नहीं हुआ।

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छह गुटों में बंटे राज्य कांग्रेस नेता

राज्य में कांग्रेस पार्टी नेताओं के छह गुटों में बंटी है। इनमें पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा, प्रदेशाध्यक्ष डॉ. अशोक तंवर, पार्टी के राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख रणदीप सुरजेवाला, पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा, विधायक दल की नेता किरण चौधरी, विधायक कुलदीप बिश्नोई के अलग गुट हैं। हालांकि इनमें से कुछ नेता अपने राजनीतिक स्वार्थ के चलते एक भी हुए मगर ऐसा मौका कम ही आया जब सभी गुटों के नेता एक मंच पर एक साथ खड़े हुए हों।

पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कुलदीप बिश्नोई जींद उपचुनाव ने एकजुटता दिखाई थी और ये दोनों नेता निजी कार्यक्रमों में भी एक साथ दिखाई पड़ते हैं। जींद उपचुनाव में सुरजेवाला और तंवर भी एक रहे। अरावली संरक्षण के मुद्दे पर बेशक कांग्रेस विधायक दल की नेता किरण चौधरी ने विधानसभा में पंजाब लैंड प्रिजर्वेशन एक्ट-1900 का विरोध किया मगर वे और कुलदीप बिश्नोई राज्यपाल को ज्ञापन देने हुड्डा के साथ नहीं गए।

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कार्यसमिति नहीं पहुंचे कुलदीप बिश्नोई

अहमदाबाद में कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में कुलदीप बिश्नोई नहीं पहुंचे। वह कार्यसमिति में सांसद दीपेंद्र हुड्डा की तरह विशेष आमंत्रित सदस्य हैं। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि कुलदीप बिश्नोई को यदि कांग्रेस में प्रदेशाध्यक्ष नहीं बनाया गया तो वे कोई भी बड़ा धमाका कर सकते हैं।


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