पीटीआइ के समर्थन में उतरी कांग्रेस, रणदीप सुरजेवाला ने की अध्यादेश लाने की मांग
केस हारने के बाद नौकरी से निकाले गए 1983 शारीरिक प्रशिक्षकों (पीटीआइ) के समर्थन में कांग्रेस ने मोर्चा खोला है।
जेएनएन, चंडीगढ़। हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक में केस हारने के बाद नौकरी से निकाले गए 1983 शारीरिक प्रशिक्षकों (पीटीआइ) के समर्थन में कांग्रेस ने मोर्चा खोला है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार में भर्ती इन पीटीआइ को कानून बनाकर बहाल करने के लिए कांग्रेस के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल को चिट्ठी के साथ कानून का मसौदा बनाकर भेजा है।
डिजिटल मोड के जरिये पत्रकारों से रू-ब-रू सुरजेवाला ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय में पीटीआइ की चयन प्रक्रिया में कोई भ्रष्टाचार नहीं पाया गया। न ही चयनित पीटीआइ का कोई कसूर है। ऐसे में चयन प्रक्रिया पूरी करने वाली एजेंसी की खामियों की सजा जिंदगी के इस पड़ाव पर पहुंचे पीटीआइ अध्यापकों को क्यों मिले?
सुरजेवाला ने कहा कि मानवीय कारणों, लंबे तजुर्बे व भविष्य में पीटीआइ अध्यापकों की नियुक्ति न करने के नियमों को देखते हुए प्रदेश सरकार विशेष कानून बनाकर इन पीटीआइ अध्यापकों को सेवा में रख सकती है। विधानसभा में बिल आया तो सभी कांग्रेस विधायक इसका समर्थन करेंगे। प्रदेश सरकार पहले तुरंत प्रभाव से अध्यादेश लाए और फिर विधानसभा में इसे पारित कराया जाए।
नौकरी से निकाले गए पीटीआइ अध्यापकों ने दिया धरना
उधर, 1983 पीटीआइ अध्यापक नौकरी से निकाले जाने के बाद धरने पर बैठे हैं। हरियाणा कांग्रेस की प्रवक्ता रंजीता मेहता ने हरियाणा शारीरिक शिक्षक संघर्ष समिति को समर्थन दिया। सुप्रीम कोर्ट के आठ अप्रैल 2020 के निर्णय के बाद 1983 पीटीआइ अध्यापकों की नौकरी बर्खास्त करना दो हजार परिवारों की रोजी रोटी छीन ली है। रंजीता मेहता ने कहा कि इन पीटीआइ अध्यापकों ने दस साल से अधिक प्रदेश में निस्वार्थ सेवा की है और कई तो अब सेवानिवृत्त भी हो चुके हैं।
सुप्रीम कोर्ट के निर्णय में न तो पीटीआइ चयन प्रक्रिया में कोई भ्रष्टाचार पाया गया और न ही किसी भी चयनित पीटीआइ अध्यापक के द्वारा कोई द्वेषपूर्ण किया गया कार्य पाया गया। इस निर्णय के उपरांत 1,983 पीटीआइ अध्यापकों की बर्खास्तगी से इनके व इनके परिवारों के सपने व भविष्य पूरी तरह से धराशायी हो गए हैं। सरकार का काम नौकरी देना है, नौकरी छीनना नहीं। यदि सरकार ने इनकी मांगों को पूरा नहीं किया, तो कांग्रेस जिलेवार संघर्ष करेगी।
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