अदाणी की बिजली पर भिड़ी कांग्रेस और भाजपा-जजपा सरकार , उदयभान के वार पर बिजली मंत्री का पलटवार
हरियाणा में अडाणी की पावर कंपनी से बिजली को लेकर कांग्रेस व भाजपा-जजपा सरकार आमने - सामने हो गई। हरियाणा कांग्रेस अध्या उदयभान ने अडाणी पावर लिमिटेड और हरियाणा सरकार के बीच हुए समझौते पर सवाल उठाया है। इस पर राज्य के बिजली मंंत्री रणजीत चौटाला ने पलटवार किया।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। Haryana Elrctricity: हरियाणा में अदाणी पावर लिमिटड द्वारा सप्लाई की जाने वाली बिजली में कटौती को लेकर कांग्रेस और भाजपा-जजपा सरकार आमने-सामने हो गई। हरियाणा सरकार और अडाणी पावर लिमिटेड के बीच हुए नए समझौते पर हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष उदयभान ने सवाल उठाया और सरकार पर हमला किया। इस पर बिजली मंत्री रणजीत चौटाला ने पलटवार कर दिया।
कांग्रेस ने पूछा 224 मेगावाट बिजली क्यों सरेंडर की सरकार ने
बता दें कि आयातित (इंपोर्टेड) कोयले के रेट अधिक होने की बात कहते हुए अदाणी पावर ने पिछले एक साल से हरियाणा को बिजली की सप्लाई रोक दी थी, जिसे मुख्यमंत्री मनोहर लाल के हस्तक्षेप के बाद इसी महीने शुरू किया गया। अंतर सिर्फ इतना है कि अदाणी पावर लिमिटेड की ओर से हरियाणा को 1424 मेगावाट की बजाय 1200 मेगावाट बिजली की सप्लाई की जाएगी। 224 मेगावाट बिजली की सप्लाई इसलिये छोड़ दी गई है, क्योंकि इंपोर्टेड कोयले के इस्तेमाल के चलते इसकी लागत अधिक आ रही थी।
हरियाणा सरकार ने अदाणी पावर को बिजली उत्पादन में इंपोर्टेड कोयले के कम इस्तेमाल की अनुमति भी दे दी है। अभी तक हरियाणा को जितनी बिजली सप्लाई की जाती थी, उसमें 70-30 का अनुपात था। यानी 70 प्रतिशत घरेलू कोयला और 30 प्रतिशत इंपोर्टेड कोयला।
अब इस अनुपात को 83-17 कर दिया गया है। ऐसा करने पर भी तीन पैसे प्रति यूनिट लागत अधिक आ गई, जो कि सरकार जनता की जेब से वसूल करने की बजाय खुद अपने सरकारी खजाने से देगी। अदाणी की ओर से सरकार को 2.94 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली सप्लाई की जाती है। इस मुद्दे पर कांग्रेस व भाजपा में तकरार है।
गठबंधन सरकार बताए अदाणी पावर के सामने क्यो सरेंडर किया: उदयभान
हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष चौधरी उदयभान का कहना है कि अदाणी पावर और गठबंधन सरकार के बीच हुआ नया समझौता हरियाणा के हित में नहीं है। सरकार ने पूरी तरह अदाणी पावर के सामने समर्पण कर दिया है। 2008 में भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार के दौरान अदाणी पावर के साथ 25 साल के लिए 2.94 रुपये प्रति यूनिट की दर पर 1424 मेगावाट बिजली प्रतिदिन देने का समझौता हुआ था। सितंबर 2021 में कोयले के रेट बढ़ने की बात कहते हुए यह बिजली बंद कर दी गई। इस वजह से हरियाणा को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ।
उदयभान के अनुसार अदाणी पावर को कटघरे में खड़ा करने की बजाए सरकार ने नए फैसले में 224 मेगावाट बिजली को सरेंडर कर दिया। साथ ही सरकार ने नए समझौते में तीन पैसे प्रति यूनिट अतिरिक्त देने की बात भी जोड़ी है। पुराने समझौते को दरकिनार करके सरकार ने ऐसा क्यों किया? इसका सरकार को जवाब देना चाहिए। उन्होंने पूछा कि इस बात की क्या गारंटी है कि भविष्य में कोयले के रेट बढ़ने पर अदाणी द्वारा और रेट नहीं बढ़ाए जाएंगे।
दूसरे राज्यों से सस्ती बिजली मिल रही तो फिर महंगी क्यों खरीदें: रणजीत चौटाला
हरियाणा के बिजली मंत्री रणजीत सिंह चौटाला ने उदयभान के आरोपों पर पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि अदाणी पावर लिमिटेड से हमें 2.94 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली मिल रही है, जबकि खुले बाजार में दूसरे थर्मल प्लांट से से 3.40 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली मिल रही है। पूरा कोयला कोल इंडिया लिमिटेड के माध्यम से खरीदा जा रहा है। मई, जून व जुलाई में बिजली की अधिक मांग रहती है।
उन्होंने कहा कि हमने अदाणी पावर को इंपोर्टेड कोयले के कम इस्तेमाल की अनुमति दी है। इसमें कोई हर्ज नहीं है। हरियाणा के थर्मल प्लांट की बात करें तो कोई भी प्लांट ऐसा नहीं है, जो पूरी तरह से इंपोर्टेड कोयले का इस्तेमाल करने पर उसका ताप झेल जाएगा। वह खराब हो सकते हैं। यही स्थिति अन्य प्लांट की भी होती है। इंपोर्टेड कोयला महंगा भी होता है।
रणजीत चौटाला ने जवाब दिया कि केरल, तमिलनाडू, उड़ीसा, बंगाल और कर्नाटक समेत कई राज्य ऐसे हैं, जहां मानसून यौवन पर है। वहां से हमें बिजली सस्ती मिल रही है। ऐसे में हम महंगी बिजली क्यों खरीदें। बिजली मंत्री ने कहा कि तीन पैसे प्रति यूनिट अतिरिक्त खर्च को हम जनता से नहीं वसूल रहे हैं। इसलिए कांग्रेस को मुद्दों से भटकने की जरूरत नहीं है।