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कांग्रेस में वारः एक-दूसरे को फंसाने का मौका नहीं चूक रहे हुड्डा और तंवर, बढ़ रही तल्खी

हरियाणा में पिछले छह सालों से कांग्रेस की बागडोर संभाल रहे अशोक तंवर तथा दस साल तक मुुख्यमंत्री रह चुके भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बीच राजनीतिक तल्खियां बढ़ती जा रही हैं।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Mon, 26 Aug 2019 10:00 AM (IST)Updated: Mon, 26 Aug 2019 05:43 PM (IST)
कांग्रेस में वारः एक-दूसरे को फंसाने का मौका नहीं चूक रहे हुड्डा और तंवर, बढ़ रही तल्खी
कांग्रेस में वारः एक-दूसरे को फंसाने का मौका नहीं चूक रहे हुड्डा और तंवर, बढ़ रही तल्खी

जेएनएन, चंडीगढ़। हरियाणा में पिछले छह सालों से कांग्रेस की बागडोर संभाल रहे अशोक तंवर तथा दस साल तक मुुख्यमंत्री रह चुके भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बीच राजनीतिक तल्खियां बढ़ती जा रही हैं। तंवर को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटवाने की भूपेंद्र सिंह हुड्डा की तमाम कोशिशें फेल हो चुकी हैं। हुड्डा की परिवर्तन महारैली के बाद अब अगर तंवर की प्रदेश अध्यक्ष पद से विदाई होती भी है तो उनके पास खोने के लिए कुछ खास नहीं है।

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अशोक तंवर ने हुड्डा से एक कदम आगे बढ़ते हुए अब नया पैंतरा फेंक दिया है। तंवर हुड्डा के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं। तंवर ने नया सियासी दांव खेलते हुए जहां हुड्डा द्वारा बनाई गई 38 सदस्यीय कमेटी पर सवाल उठाए हैं, वहीं लोकसभा चुनाव लड़ चुके नेताओं को विधानसभा चुनाव नहीं लड़ने की नसीहत दी है।

तंवर ने भी बनाई थी कमेटी

तंवर ने भी पिछले दिनों सुदेश अग्रवाल के नेतृत्व में एक कमेटी बनाई थी, जिसे चुनाव प्रबंधन की जिम्मेदारी सौंपी गई थी, लेकिन हुड्डा खेमे के विरोध के चलते कांग्रेस प्रभारी गुलाम नबी आजाद ने इस कमेटी को अमान्य करार दे दिया था। इसके बावजूद तंवर ने इस कमेटी की बैठकों का सिलसिला नहीं रोका।

तंवर ने चला पैंतरा

अब हुड्डा ने 38 सदस्यीय कमेटी बनाई तो तंवर को इसकी मुखालफत का मौका मिल गया। तंवर ने रोहतक की परिवर्तन महारैली में सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी और राहुल गांधी के पोस्टर नहीं लगाने को तो अनुशासनहीनता माना ही, साथ ही नया पैंतरा फेंकते हुए नसीहत दे डाली कि जो नेता लोकसभा चुनाव लड़ चुके, अब उन्हें विधानसभा चुनाव नहीं लड़ना चाहिए। हुड्डा, दीपेंद्र सिंह और अशोक तंवर तीनों ने इस बार के लोकसभा चुनाव लड़े थे। हुड्डा अपने बेटे दीपेंद्र को राजनीति में आगे कर चल रहे हैं। तीनों ही विधानसभा चुनाव लड़कर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर दावेदारी का कोई मौका नहीं चूकना चाहते।

पुराने कब तक चुनाव लड़ते रहेंगे, नयों को भी मिले मौका

अशोक तंवर यहीं नहीं रुके। उन्होंने स्पष्ट किया कि नए लोगों के आगे आने का मतलब युवा नेताओं से नहीं है, बल्कि उन नेताओं से है, जो टिकट के दावेदार होते हुए भी आज तक चुनाव नहीं लड़ पाए अथवा जिन्हें कभी जीतने नहीं दिया गया। अशोक तंवर के खिलाफ हुड्डा समर्थक विधायकों ने लंबे समय से मोर्चा खोल रखा है। उन्हें पद से हटाने के लिए हुड्डा ने रोहतक में परिवर्तन महा रैली कर अपनी ताकत भी दिखाई है।

हाईकमान नहीं दे रहा हुड्डा और तंवर की लड़ाई को अहमियत

हालांकि अभी तक हाईकमान ने कोई फैसला नहीं लिया है, लेकिन हुड्डा के मिजाज नरम पड़ चुके और उन्होंने 38 सदस्यीय कमेटी को भाजपा के खिलाफ आंदोलन की रणनीति बनाने की सलाह दे दी है, जिसका मतलब साफ है कि हुड्डा चर्चाओं के मुताबिक हाल फिलहाल कांग्रेस नहीं छोडऩे वाले हैं। हुड्डा का अगला कदम क्या होगा, हालांकि इस पर सबकी निगाह टिकी है, लेकिन अशोक तंवर ने जरूर उनकी नाक में दम कर रख दिया है।

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