पाकिस्तान से सामान मंगवाने वाली कंपनियां एक्साइज ड्यूटी के खिलाफ हाई कोर्ट पहुंचीं
पाकिस्तान से सामान मंगवाने पर 200 फीसद एक्साइज ड्यूटी लगाने के खिलाफ प्रभावित कंपनियां हाई कोर्ट पहुंच गई हैं। सुनवाइ्र के बाद हाई कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है।
चंडीगढ़, जेएनएन। केंद्र सरकार द्वारा पाकिस्तान से सामान आयात करने पर 200 फीसद एक्साइज ड्यूटी बढ़ाने के खिलाफ से प्रभावित कंपनियों ने पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट की शरण ली है। इन कंपनियों का कहना है कि केंद्र सरकार ने पुलवामा हमले से पहले आर्डर दिए गए और भारत पहुंच चुके सामान को भी 200 फीसद एक्साइज ड्यूटी के दायरे में शामिल कर लिया है। यह न्याय संगत नहीं है। एक्साइज ड्यूटी में जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ जवानों के काफिले पर आतंकी हमले के बाद वृद्धि कर गई थी।
पुलवामा में आतंकी हमले के बाद केंद्र सरकार ने 16 फरवरी को बढ़ा दी थी 200 फीसद एक्साइज ड्यूटी
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के जस्टिस जसवंत सिंह एवं जस्टिस ललित बत्रा की खंडपीठ ने केंद्र सरकार सहित अन्य सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। हाई कोर्ट ने याचिका दायर करने वाली तमाम कंपनियों की दलीलें सुनीं हैं। केंद्र सरकार के वित्त मंत्रालय ने भी हाई कोर्ट में अपना प्रतिवेदन प्रस्तुत किया है।
उल्लेखनीय है कि पुलवामा में सीआरपीएफ के जवानों के काफिले पर हुए आतंकी हमले के बाद केंद्र सरकार ने पाकिस्तान से आयात होने वाले सामानों पर 200 फीसद एक्साइज ड्यूटी लगा 16 फरवरी 2019 को इसकी नोटिफिकेशन जारी कर दी थी। जो कंपनियां पाकिस्तान से सामान आयात करती है, उन्होंने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर बताया था कि उन्होंने पाकिस्तान से सामान का पुलवामा हमले से पहले ही आर्डर दिया हुआ था। यहां तक कि उनका सामान इस 16 फरवरी को नोटिफिकेशन के जारी हो जाने से पहले ही पाकिस्तानी अथॉरिटी से क्लियर होकर अटारी बॉर्डर के जरिये भारत भी पहुंच चुका था।
तय प्रक्रिया के अनुसार आयातित सामान पर जो ड्यूटी लगनी चाहिए थी, उसकी गणना भी की जा चुकी थी। बाद में 16 फरवरी की नोटिफिकेशन के तहत उनसे ड्यूटी की राशि को 200 फीसद बढ़ाकर जमा करने को कहा गया है।
याचिका में कहा गया है कि केंद्र सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए था कि नोटिफिकेशन जारी किए जाने के बाद के आर्डर और 16 फरवरी के बाद भारत आने वाले सामान पर ही ड्यूटी वसूली जाएगी। इसके लिए पहले याचियों ने संबंधित अथारिटी को रिप्रेजेंटेशन भी दी थी, लेकिन इस पर कोई निर्णय नहीं लिया जा सका। हाई कोर्ट ने सोमवार को इन याचिकाओं पर सभी पक्षों की दलीलें सुन अपना फैसला सुरखित रख लिया है।