खुशखबरी: जमीन के बदलेंगे कलेक्टर रेट, बाजार के मुताबिक मिलेगी कीमत
हरियाणा में जमीन के कलेक्टर रेट में बदलाव होगा। इससे विकास परियाजनाओं के लिए भूमि का अधिग्रहण हाेने पर उसकी कीमत बाजार दर के हिसाब से होगा।
चंडीगढ़, जेएनएन। हरियाणा के लोगों के लिए बड़ी खुशखबरी है। विकास परियोजनाओं के लिए जमीन की कमी से जूझ रही प्रदेश सरकार ने जमीन के कलेक्ट्रेट संशोधित करने के निर्देश दिए हैं। सभी जिलों में कलेक्टर रेट को बाजार की प्रचलित दरों के अनुसार बदला जाएगा।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने राज्य सूखा राहत और बाढ़ नियंत्रण बोर्ड की बैठक में भूमि के कलेक्टर रेट में संशोधन का निर्देश दिया। इस दौरान 154 करोड़ रुपये की 155 नई परियोजनाओं (जींद को छोड़कर) को मंजूरी दी गई। इन योजनाओं में 96 लघु अवधि की योजनाएं हैं जिन्हें 30 जून तक पूरा करने का लक्ष्य है। जिन योजनाओं को मंजूरी दी गई, उनमें से अधिकतर नदी प्रशिक्षण कार्यों, ड्रेनों के सुदृढ़ीकरण और रीमॉडलिंग, ड्रेनों पर पुलों के प्रतिस्थापन, बाढ़ मशीनरी और पंपों की खरीद शामिल है।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से उपायुक्तों को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान प्रदेश सरकार ने राज्य सूखा राहत और बाढ़ नियंत्रण बोर्ड की बैठकें जल्द करने की परंपरा शुरू की है, जबकि ये बैठकें पहले अप्रैल या मई के महीनों में होती थीं। चूंकि बाढ़ से जान-माल का भारी नुकसान हो सकता है, इसलिए किसी भी अप्रिय स्थिति को रोकने के लिए पूर्व की व्यवस्था की जानी चाहिए।
उन्होंने सभी संबंधित अधिकारियों को बाढ़ से संबंधित कार्यों और परियोजनाओं को समय से पहले पूरा करने का निर्देश दिया। साथ ही अतिप्रवाह वाले तालाबों की पहचान करने और पंपों के माध्यम से अतिरिक्त पानी की निकासी की व्यवस्था करने और ड्रेनों की सफाई के लिए दिशानिर्देश जारी करने के लिए कहा।
मुख्यमंत्री ने उपायुक्तों से कहा कि भूमि की अनुपलब्धता के कारण बाढ़ से संबंधित कोई परियोजना नहीं रोकी जाए। भूमि की पर्याप्त व्यवस्था करने के लिए सभी उपायुक्त यह सुनिश्चित करें कि उनके जिलों में कलेक्टर दरों को बाजार दरों के अनुसार संशोधित किया जाए ताकि भूमि स्वामी बाढ़ से संबंधित कार्यों के लिए अपनी जमीन की पेशकश करने में संकोच न करें।
राजस्व और आपदा प्रबंधन मंत्री कैप्टन अभिमन्यु ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे परियोजनाओं को मंजूरी मिलने के तुरंत बाद काम शुरू करना सुनिश्चित करें। परियोजनाओं की मंजूरी के समय और कार्य पूरा होने का भी उल्लेख किया जाना चाहिए ताकि समय पर काम पूरा हो सके।