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CMO ने की टिप्पणी- गुर्दे फेल होना Emergency case नहीं, हाई कोर्ट ने ज्ञान पर उठाया सवाल

मेडिकल बिल पर CMO ने लिखा कि गुर्दे फेल होना Emergency case नहीं है। इस पर हाई कोर्ट ने सीएमओ पर सख्त टिप्पणी की।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Fri, 13 Mar 2020 07:00 AM (IST)Updated: Fri, 13 Mar 2020 01:11 PM (IST)
CMO ने की टिप्पणी- गुर्दे फेल होना Emergency case नहीं, हाई कोर्ट ने ज्ञान पर उठाया सवाल
CMO ने की टिप्पणी- गुर्दे फेल होना Emergency case नहीं, हाई कोर्ट ने ज्ञान पर उठाया सवाल

जेएनएन, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने कैथल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) को तलब करते हुए पूछा है कि क्यों न उनके मानसिक स्वास्थ्य, चिकित्सा के क्षेत्र में उसके प्रदर्शन व क्षमता की जांच के लिए मेडिकल बोर्ड गठित कर दिया जाए। हाई कोर्ट ने यह सवाल मृतक टीचर के पति द्वारा चिकित्सा व्यय की प्रतिपूर्ति के लिए दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए कही।

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मृतक टीचर के पति हेम सिंह ने हाई कोर्ट को बताया कि उसकी पत्नी के गुर्दे फेल थे। वो लुधियाना गए हुए थे। अचानक पत्नी की तबीयत खराब हो गई। उसे सीएमसी अस्पताल लुधियाना में भर्ती कराया गया, जहां उसे वेंटिलेटर पर भी रखा गया था। बाद में उसे डीएमसी लुधियाना में स्थानांतरित कर दिया गया, जहां उसकी मौत हो गई।

याची ने हाई कोर्ट को बताया कि उसने दोस्तों व रिश्तेदारों से पैसे लेकर अपनी पत्नी का इन निजी अस्पताल में इलाज करवाया। उसकी पत्नी कैथल में सरकारी टीचर थी। इस कारण उसने इलाज पर आने वाले खर्च की प्रतिपूर्ति के लिए दावा किया। निजी अस्पताल में इलाज के खर्च के भुगतान के लिए CMO से बिल सत्यापित जरूरी है। इस कारण उससे सभी बिल कैथल के CMO को सत्यापित करने को दिए। CMO ने उसके बिल इस आधार पर खारिज कर दिए कि यह ऐसा कोई Emergency case नहीं था कि मरीज को इलाज के लिए निजी अस्पताल में भर्ती करवाना पड़े। CMO ने उसकी पत्नी के गुर्दे फेल की बीमारी को गंभीर व आपातकालिक केस मानने से इन्कार कर दिया।

हाई कोर्ट ने CMO के इस रवैये पर हैरानी जताते हुए कहा कि कि एक मरीज जिसके गुर्दे फेल होंं और वह वेंटिलेटर पर हो क्या यह इमरजेंसी नहीं? हाई कोर्ट ने CMO के मेडिकल ज्ञान पर सवाल उठाते हुए उन्हें कोर्ट में पेश होने का आदेश देते हुए पूछा कि क्यों न कोर्ट उसके मानसिक स्वास्थ्य व मेडिकल ज्ञान की जांच के लिए मेडिकल बोर्ड का गठन कर दे। कोर्ट ने इस बारे में CMO को अगली सुनवाई से पहले जवाब दायर करने के निर्देश दिए हैं।

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