विशेष बातचीत में बोले मनोहर लाल- जातिवाद, जाट और गैर जाट... इस तरह की बातों में हमारा विश्वास नहीं
पांचों नगर निगमों में भाजपा को मिली सफलता और भविष्य की योजनाओं पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल से दैनिक जागरण के स्टेट ब्यूरो चीफ अनुराग अग्रवाल ने बातचीत की।
हरियाणा के पांच नगर निगमों के चुनाव नतीजे पूरी भाजपा के लिए बेहद उत्साहित कर देने वाले हैं। करनाल, रोहतक, हिसार, पानीपत और यमुनानगर नगर निगम के चुनाव में भाजपा को यह एकतरफा जीत उन हालात में हासिल हुई, जब छत्तीसगढ़, राजस्थान और मध्यप्रदेश के चुनाव नतीजों से पार्टी कार्यकर्ता काफी हतोत्साहित थे। भाजपा इसे न केवल राष्ट्रीय फलक पर भुनाने की कोशिश में है, बल्कि यहां से निकले राजनीतिक संदेश की धमक पूरे देश तक पहुंचाने की योजना है। पांचों नगर निगमों में भाजपा को मिली सफलता और भविष्य की योजनाओं पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल से दैनिक जागरण के स्टेट ब्यूरो चीफ अनुराग अग्रवाल ने बातचीत की।
राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में हार के बाद हरियाणा के पांच नगर निगमों में मिली जीत को कैसे देखते हैं?
- पांच राज्यों के चुनाव नतीजों के बाद आशंका जताई जा रही थी कि नगर निगमों के चुनाव सही समय पर नहीं कराए जा रहे हैं। मगर इन नतीजों का नगर निगम के चुनाव नतीजों पर कोई असर नहीं पड़ा। किसी प्रांत के चुनाव नतीजों से नगर निगम के चुनाव नतीजों को नहीं जोड़ा जा सकता। हरियाणा में जनता के भरोसे और सरकार के कामकाज की जीत हुई है।
सभी नगर निगमों के पार्षद व मेयर आपसे मिलने आए थे। क्या गुरु मंत्र आपने उन्हें थमाया है?
- मैंने उन्हें कहा है कि इस जीत को विनम्रतापूर्वक स्वीकार कीजिए। भाजपा की हमेशा से काम करने की शैली रही है। विकास कार्यों के लिए धन की कमी नहीं आने दी जाएगी। लोगों के काम जिम्मेदारी से पूरे करने के लिए बोला गया है।
निगम चुनाव भाजपा सिंबल पर लड़ी। कांग्रेस इससे बचती रही। इसका क्या फायदा या नुकसान हुआ?
- मेयर के चुनाव में भाजपा को पूर्ण बहुमत मिला। भाजपा के 62 पार्षद भी चुनाव जीतकर आए। यह पार्टी की नीतियों और सरकार के कामकाज पर लोगों की मुहर है। चुनाव ऐसी स्थिति में हुए, जब भाजपा एक तरफ और सारे विपक्षी दल एक तरफ हो गए। यदि कांग्रेस सिंबल पर लड़ती तो भाजपा का जीत का अंतर और अधिक होता।
पांचवें साल में अमूमन सत्ता विरोधी लहर होती है। फिर भी भाजपा चुनाव जीती?
- साढ़े चार साल की सरकार के कार्यकाल में हमने अपना अलग कल्चर खड़ा किया। भ्रष्टाचार को पनपने नहीं दिया। एक समान विकास कार्य कराए। क्षेत्रवाद को खत्म किया। पांचवें साल में एंटी इनकंबेंसी नहीं होने का मतलब साफ है कि लोग हमारी नीतियों को स्वीकार कर रहे हैं।
जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान दंगे हुए थे। रोहतक में भी भाजपा चुनाव जीती?
- जातिवाद, जाट और गैर जाट....इस तरह की बातों में हमारा विश्वास नहीं है। जाट लैंड में जीत हुई तो इसका मतलब साफ है कि हर क्षेत्र, जाति और बिरादरी के लोगों ने हमारी नीतियों को स्वीकार किया है।
सीएम सिटी करनाल का चुनाव काफी टफ रहा। वहां आखिर में जातिवाद से जुड़ा एक पोस्टर भी सामने आया?
- सबके कैंपेन करने के अपने तरीके हैं। सरकार का या मेरा इस पोस्टर से कोई ताल्लुक नहीं है। शायद आप पंजाबी बिरादरी के एकजुट होने संबंधी पोस्टर की बात कर रहे हैं। करनाल में सभी विपक्षी दलों ने पूरा जोर लगा लिया, लेकिन वह भाजपा उम्मीदवार के सामने टिक नहीं पाए हैं।
क्या मान लिया जाए कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ हो सकते हैं?
- यह तभी संभव है, जब सभी राजनीतिक दल चाहेंगे। 2019 में मुझे यह संभव प्रतीत नहीं होता। लेकिन 2024 में चुनाव एक साथ होंगे। इसके बावजूद यदि भाजपा हाईकमान और केंद्रीय चुनाव आयोग हरियाणा में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराना चाहेगा तो हमारी पार्टी इसके लिए तैयार हैं।
क्या जींद उपचुनाव का यह उपयुक्त मौका है?
- जींद उप चुनाव निर्वाचन आयोग को कराना है। संभवत: फरवरी में यह प्रस्तावित है। छह माह के भीतर यह चुनाव कराने होते हैं। मुझे उम्मीद है कि चुनाव आयोग छह माह पूरे होने से पहले जींद उपचुनाव का एलान कर देगा। लोकसभा और विधानसभा चुनाव भी हमारी पार्टी जीतेगी।
पांच राज्यों में भाजपा की हार के बाद निगम के चुनाव को क्या आप रिस्क मानकर चल रहे थे?
- बिल्कुल भी नहीं। नगर निगम के चुनाव जनता खुद चाहती थी। हमने पहली बार मेयर पद के सीधे चुनाव कराने का निर्णय लिया। उत्तर प्रदेश में 12 नगर निगम हैं। वहां नगर निगम ठीक काम कर रहे हैं। हमने मेयर के सीधे चुनाव कराने का जो निर्णय लिया है, वह सही है।
राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में भाजपा की हार का क्या कारण मानते हैं। हरियाणा में जीत की वजह?
- विभिन्न राज्यों में हमारी पार्टी की 10-10, 15-15 साल से सरकार चल रही थी। कहीं विरोध होता है तो कहीं नहीं होता। राजस्थान में कांग्रेस और भाजपा के वोट प्रतिशत का अंतर मात्र 0.5 था। मध्य प्रदेश में तो वोट का प्रतिशत भाजपा का अधिक रहा, लेकिन फिर भी निगम के चुनाव को सेमीफाइनल बताया गया। चुनाव कोई भी हो, पार्टी का नाम, विचारधार और नेतृत्व की छवि अवश्य प्रभाव डालती है।
पूर्व सीएम हुड्डा ईवीएम में गड़बड़ी का आरोप लगा रहे?
- हुड्डा साहब का यह पुराना बहाना है। मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकारें बनी हैं। क्या वहां भी ईवीएम में गड़बड़ी हुई है। चुनाव प्रणाली के लिए ईवीएम से अच्छा सिस्टम दूसरा कोई नहीं हो सकता।
क्या निगम चुनाव विधानसभा और लोकसभा का सेमीफाइनल थे?
- इन चुनावों को सेमीफाइनल नहीं कहा जा सकता। सब चुनाव के अलग-अलग मुद्दे और अलग-अलग स्थितियां होती हैं। रही मंत्री व विधायकों का टिकट कटने या मिलने की बात, यह सब कयास की बाते हैं।