लाॅकडाउन के बीच खेल-खेल में हो रही बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई, पैरेंट्स भी प्रसन्न
हरियाणा में लाॅकडाउन के दौरान बच्चे खेल-खेल में ऑनलाइन पढ़़ाई कर रहे हैं। इसके लिए विभिन्न तकनीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है। इससे अभिभावक भी खुश हैं।
चंडीगढ़, जेएनएन। कोरोना संक्रमण को देखते हुए अभी स्कूलों के खुलने के आसार कम हैं। अगर स्कूल खुले भी तो कक्षाओं में बच्चों की उपस्थिति बेहद कम रहने वाली है। इन हालात में ऑनलाइन कक्षाएं ही बेहतरीन पढ़ाई का सबसे बढि़या विकल्प हैं। कई बार इसमें भी बच्चों को कई तरह की दिक्कतें उठानी पड़ रही हैं। ऐसे में गैर सरकारी संगठन सेंट्रल स्कवायर फाउंडेशन (सीएसएफ) ने शिक्षा तकनीक (एड-टेक) के रूप में बच्चों को घर बैठे पढ़ाई के बेहतर विकल्प दिए हैं। इस पर मौजूद शिक्षा सामग्री से बच्चों को तमाम सवालों का जवाब सरल भाषा में दिया जा रहा है।
सेंट्रल स्कवायर फाउंडेशन ने कम आय वर्ग के छात्रों और अभिभावकों को दिए नए विकल्प
सीएसएफ वर्ष 2012 से बच्चों में सीखने, पढने व पढ़ाने में आने वाली बाधाओं को हटाने के लिए नए-नए प्रयोग करता आ रहा है। खास बात यह है कि फाउंडेशन की एप अभिभावकों को भी अपने टच में रखती है, ताकि वह जान सकें कि उनके बच्चे क्या पढ़ और सीख रहे हैं। अधिकतर एड-टेक के एजेंडे में जहां उच्च एवं मध्यम वर्ग होता है, वहीं सीएसएफ का फोकस कमजोर आय वर्ग के लोगों तथा उनके बच्चों पर रहा है। ग्रामीण भारत और निम्न आय वर्ग के लिए मातृभाषा और सांस्कृतिक संदर्भ की मदद से बच्चों को पढ़ाया जा रहा है।
सीबीएसई, एनसीईआरटी सहित अन्य राज्यस्तरीय पाठ्यक्रमों की पढ़ाई में कारगर सीएसएफ का मंच
फाउंडेशन की गौरी गुप्ता और दिशा अग्रवाल के अनुसार खेल-खेल मेें बच्चों को सीबीएसई, एनसीईआरटी सहित अन्य राज्यस्तरीय पाठ्यक्रमों की पढ़ाई कराई जा रही। यह व्यवस्था हरियाणा, उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश समेत कई राज्यों में कामयाब हो चुकी है। यह फाउंडेशन आशीष धवन के नेतृत्व में केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय और नीति आयोग समेत छह राज्य सरकारों के साथ काम कर रहा है।
एड-टेक मतलब टाप पैरेंटिंग और बच्चों के साथ मस्ती
1. टॉप पैरेंट एप : यह एप तीन से आठ साल तक के बच्चों के अभिभावकों को भाषा, तरीके और संसाधन मुहैया कराकर बच्चों के सीखने की यात्रा में भागीदार बनने में मददगार है। इस एप्लीकेशन में उच्च गुणवत्ता के तीन तरह के एडटेक एप हैं जिन्हेंं प्रयोग में लाया जा सकता है।
2. बोलो (गूगल) :-बोलो एक ऐसे ट्यूटर के तौर पर डिजाइन किया गया है जो प्राथमिक स्कूल के बच्चों को इंगिलश और हिंदी पढने का कौशल विकसित करने में मददगार है। जैसे-जैसे बच्चे इस एप का उपयोग करते हैं, उनके सामने शब्द खेल और दूसरे ऐसे रोचक खेल आते हैं जिन्हेंं हल करने पर कुछ पुरस्कार भी मिलते हैं।
3. मैथ मस्ती : यह एप आठ साल तक के बच्चों में गिनती या गणित के ज्ञान को मजबूत करने के लिए तरह-तरह के रोचक तरीकों का उपयोग करता है। साथ ही अभिभावकों को भी बच्चों के सीखने- समझने के स्तर में प्रगति की जानकारी हो सके, उसमें भी मदद करता है।
4. चिंपल : आठ साल साल तक के बच्चों के लिए डिजाइन चिंपल में खेल, पहेली, कहानी जैसे 80 तरह के संवादमूलक अध्याय हैं जो बच्चे को खेल-खेल में पढ़ना-लिखना और गणित सिखा देते हैं।
5. टिक टैक लर्न : गूगल के साथ सीएसएफ ने टिक टैक लर्न के रूप में लाइब्रेरी विकसित की है जो पांच भाषाओं (हिंदी, इंग्लिश, तेलुगु, उडि?ा और मराठी) में विज्ञान और गणित सीखने-समझने के एक हजार वीडियो उपलब्ध कराती है। यह वीडियो यू-ट्यूब के साथ ही दीक्षा पर उपलब्ध हैं। इसमें करीब आठ हजार ई-बुक पहली कक्षा से बारहवीं तक के बच्चों के लिए उपलब्ध हैं जिन्हेंं एप पर किताबों में दिए क्यूआर कोड के जरिये पढ़ा जा सकता है।
6. एड टेक डाटा बेस : देश में करीब साढ़े चार हजार ऐड टेक स्टार्टअप हैं। इनमें से कौन सा उच्च गुणवत्ता का है या किसका प्रभाव सबसे अधिक है, इसके लिए सीएसएफ इन्हेें साझा मंच पर लाकर सारे संसाधनों का संयुक्त डाटा बेस तैयार कर रहा है।
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