Move to Jagran APP

सुखी जीवन के लिए दिया उगते सूर्य को अ‌र्घ्य

पंचकूला में लोगों ने धूमधाम से मनाया छठ पर्व सूर्य को अ‌र्घ्य देकर तोड़ा तीन दिन के निर्जला उपवास

By JagranEdited By: Published: Sun, 03 Nov 2019 09:16 PM (IST)Updated: Wed, 06 Nov 2019 06:36 AM (IST)
सुखी जीवन के लिए दिया उगते सूर्य को अ‌र्घ्य
सुखी जीवन के लिए दिया उगते सूर्य को अ‌र्घ्य

जासं, पंचकूला : सूर्य देव और छठी मैया की आराधना का पर्व छठ पूजा का रविवार सुबह सूर्योदय के बाद अ‌र्घ्य देने के साथ ही समापन हो गया। इसके साथ व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला व्रत भी पूर्ण हो गया। व्रत रखने वाले लोगों ने अ‌र्घ्य देने के बाद पारण कर अपना व्रत खोला। छठ पूजा का प्रारंभ 31 अक्टूबर को नहाये खाये के साथ शुरू हुआ था। एक नवंबर को खरना था, उस दिन शाम को गुड़ वाला खीर खाकर लोगों ने निर्जला व्रत रखा था। दो नवंबर को छठ वाले दिन शाम को डूबते सूर्य को अ‌र्घ्य दिया गया। घग्गर नदी पर तेज पानी के बीच श्रद्धा का माहौल देखते ही बन रहा था। महिला और पुरुष सुबह चार बजे ही घग्गर नदी में खड़े हो गए थे और लगभग साढ़े छह बजे सूर्य उगने पर अ‌र्घ्य दिया। पूर्व पार्षद हरेंद्र सिंह सैनी और गौतम प्रसाद ने महिलाओं के पांव छूकर आशीर्वाद लिया और लोगों को बधाई दी।

loksabha election banner

वहीं गांव अभयपुर में आयोजित छठ पर्व की रौनक भी देखते ही बन रही थी। पूर्व पार्षद सुभाष निषाद ने बताया कि फिर कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को सूर्योदय के समय यानी आज सूर्य देव को अ‌र्घ्य दिया गया। व्रती लोगों ने संतान के दीर्घ और सुखी जीवन की कामना की। वहीं, जिनको संतान की चाह है, उन लोगों ने छठी मैया और सूर्य से संतान प्राप्ति का आशीर्वाद मांगा।

सेक्टर-19 में पूर्वांचल समिति की ओर से आयोजित छठ पर्व में लोगों का उत्साह देखने लायक था। इंद्रजीत सिंह यादव, ओमपाल यादव, ओम शुक्ला ने बताया कि ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार, सृष्टि की अधिष्ठात्री प्रकृति देवी के एक प्रमुख अंश को 'देवसेना' कहा गया है। छठी मैया की पूजा करने से लोगों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। नियम पूर्वक व्रत करने से परिवार में सुख समृद्धि आती है। ऐसी मान्यता है कि छठी मैया और सूर्य देव की पूजा से सैकड़ों यज्ञ का फल प्राप्त होता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.