मां बनने के नाम पर भी धोखा और फर्जीवाड़े का बड़ा खेल, जानें क्या है पूरा मामला
हरियाणा में मां बनने के नाम पर धोखा और फर्जीवाड़े का बड़ा खेल चल रहा है। यह खेल महिला कर्मचारियों को मिलने वाले मातृत्व अवकाश को लेकर हुआ है।
चंडीगढ़, जेएनएन। हरियाणा में मां बनने के नाम पर धोखा और फर्जीवाड़े का खेल चल रहा है। राज्य में मातृत्व अवकाश के नाम पर धोखाधड़ी दंग कर देता है। इसमें हद तो यह है कि कई महिला कर्मचारियों ने एक साल में चार बार मातृत्व अवकाश लिया। गर्भपता कराने के नाम पर भी यह अवकाश लिया गया। अधिकारियों व चिकित्सकों से मिलीभगत कर फर्जी तरीके से लंबी छुट्टियां और घर बैठे वेतन लेने का 'खेल' काफी समय से चल रहा था।
डॉक्टरों और अफसरों से मिलीभगत कर बनाई जाती थी गर्भावस्था और डिलीवरी की झूठी रिपोर्ट
यह सब न केवल सरकारी विभागों, बल्कि निजी कंपनियों और संस्थानों में भी चल रहा था। बकायदा गर्भावस्था और डिलीवरी की झूठी रिपोर्ट बनवाते हुए सरकारी खजाने को चपत लगाई जाती रही। मातृत्व अवकाश के नाम पर गलत तरीके से सुविधाओं का फायदा उठाने के मामले सामने आने से अफसरों के होश उड़ गए हैं। जांच में खुलासा हुआ है कि कई महिलाओं ने एक साल में चार-चार बार मातृत्व अवकाश लिया। इन्हें गर्भपात कराने के नाम पर भी कई बार मातृत्व अवकाश की सुविधा दी गई। यह घोटाला कर्मचारी राज्य बीमा निगम के अस्पतालों में ऑडिट में पकड़ में आया।
क्या है मातृत्व अवकाश
मातृत्व लाभ (संशोधन) अधिनियम 2017 के अनुसार दस या इससे अधिक कर्मचारियों वाली कंपनियों में गर्भवती महिला 26 सप्ताह के मातृत्व अवकाश की पात्र होती हैं। यह प्रसव की अनुमानित तिथि से आठ सप्ताह पहले से शुरू होंगे। पहली दो गर्भावस्थाओं के लिए 26 सप्ताह और तीसरे बच्चे के लिए 12 सप्ताह के अवकाश की व्यवस्था है। उन माताओं को भी 12 सप्ताह का वैतनिक अवकाश देने का प्रावधान है जिन्होंने तीन महीने या उससे छोटे शिशु को गोद लिया है या जिनके यहां सरोगेसी के जरिये बच्चा हुआ है।
ईएसआइ कार्डधारक महिलाओं को डिलीवरी के दौरान मिलता है 84 दिन का सवैतनिक अवकाश
कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआइसी) के दायरे में आने वाली महिला कर्मचारियों को निगम से जुड़े अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाएं मिलती हैं। ईएसआइ कार्डधारक महिलाओं को गर्भवती होने पर डिलीवरी के दौरान 84 दिन का मातृत्व अवकाश (सवेतन) प्रदान किया जाता है। गर्भपात (कम से कम तीन माह) कराने पर महिला को 42 दिन का (सवेतन) अवकाश भी दिया जाता है। इस अवकाश का पैसा निगम की ओर से महिला कर्मचारी के बैंक खाते में डाल दिया जाता है।
गर्भवती महिला कर्मियों को ऐसे मिलता है यह लाभ
वर्ष 1961 के मातृत्व लाभ अधिनियम के तहत मातृत्व अवकाश के वेतन की गणना अंतिम तीन महीने के औसत दैनिक वेतन के आधार पर की जाती है। वेतन का दावा तभी किया जा सकता है जब पिछले 12 महीने के दौरान न्यूनतम 80 दिन तक काम किया हो। मातृत्व अवकाश की अवधि खत्म हो जाए तो मातृत्व लाभ (संशोधन) अधिनियम घर से काम करने के प्रावधानों की भी इजाजत देता है। हालांकि यह काम की प्रकृति पर निर्भर करता है।
ऐसे लिया जा सकता है मातृत्व अवकाश
गर्भ की दूसरी तिमाही शुरू होने पर गर्भवती महिलाओं को बॉस और एचआर डिपार्टमेंट से बात करनी होती है। वह कंपनी की पॉलिसी के बारे में बताएंगे और साथ ही लीव लेने का तरीका भी। ज्यादातर कंपनियां लिखित में एडवांस नोटिस मांगती हैं। कई कंपनियां कर्मचारी स्वास्थ्य बीमा फायदे और अन्य चिकित्सा भत्ते उपलब्ध कराती हैं। अगर जरूरत पड़े तो कानून एक महीने की सिक लीव (बीमारी की छुट्टी) लेने की भी इजाजत देता है। इसमें शर्त यही होती है कि बीमारी या समस्या गर्भावस्था, प्रसव अथवा समय से पहले जन्म की वजह से हो। इस एक महीने के दौरान महिला कर्मचारी नियमित वेतन पाने की हकदार होती हैं। इसके अलावा प्रसव की निर्धारित तारीख से 10 हफ्ते पहले तक बहुत ज्यादा मेहनत वाला काम या कई घंटे तक खड़े रहने वाले काम नहीं कराया जा सकता।
मातृत्व बीमा का भी विकल्प
ज्यादातर बीमा कंपनियां गर्भावस्था को कवर नहीं करती हैं, लेकिन नियोक्ता के पास एक समूह बीमा पॉलिसी हो सकती है। अधिकतर समूह बीमा कवर एक तय सीमा तक अस्पताल के खर्चे और डिलीवरी से पहले और बाद में 60 दिन तक अस्पताल में रहने का खर्चा कवर करते हैं। कुछ बीमा कंपनियां प्रसव से पहले और बाद के खर्चों का भी भुगतान करती हैं। बीमा कंपनियों द्वारा उपलब्ध कराया जाने वाला पारिवारिक बीमा भी लिया जा सकता है। हालांकि ज्यादातर बीमा योजनाओं में शर्त होती है कि गर्भावस्था से कम से कम 24 महीने पहले पॉलिसी जरूर होनी चाहिए जिसके तीन प्रीमियम भरे हों।
ऐसे हुआ फर्जीवाड़े का खुलासा
इस घोटाले का खुलासा कर्मचारी राज्य बीमा निगम के अस्पतालों के ऑडिट में हुआ। पूरे मामले की जांच के बाद पता चला कि कई महिला कर्मचारियों ने एक साल में चार-चार बार मातृत्व अवकाश लिया। कई महिला कर्मचारियों को गर्भपात कराने के नाम पर भी मातृत्व अवकाश की सुविधा दी गई। ऑडिट टीम को इसमें करीब 10 करोड़ रुपये के घोटाले का अनुमान है। घोटाले की जांच सीबीआई के साथ ही निगम की विजिलेंस टीम ने शुरू कर दी है। इस मामले में निगम के तीन शाखा प्रबंधकों और छह कर्मचारियों को निलंबित किया गया है।
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