400 साधुओं को नपुंसक बनाने के मामले में राम रहीम के खिलाफ आरोप तय
400 साधुओं को नपुंसक बनाए जाने के मामले में पंचकूला स्थित सीबीआइ की विशेष अदालत ने राम रहीम सहित डॉ. मोहिंद्र इंसा व डॉ. पीआर नैन पर आरोप तय कर दिए हैं।
जेएनएन, पंचकूला। साध्वी यौनशोषण मामले में जेल में बंद डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम एक और मामले में घिरता नजर आ रहा है। 400 साधुओं को नपुंसक बनाए जाने के मामले में पंचकूला स्थित सीबीआइ की विशेष अदालत ने राम रहीम सहित डॉ. मोहिंद्र इंसा व डॉ. पीआर नैन पर आरोप तय कर दिए हैं। तीनों के खिलाफ आइपीसी की धारा 326, 417, 506 और 120बी के तहत आरोप तय किए गए हैं। मामले की अगली सुनवाई अब 17 अगस्त को होगी।
मामले में राम रहीम वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये पेश हुआ, जबकि इंसा व गर्ग कोर्ट में पेश हुए। आरोप तय करने के पूर्व बचाव पक्ष ने बहस करते हुए धारा 326, 417 और 120बी हटाने के लिए अपना पक्ष रखा। बचाव पक्ष के वकील ध्रुव गुप्ता ने बहस करते हुए कहा कि गुरमीत राम रहीम द्वारा किसी को भी नपुंसक नहीं बनाया गया है और वैसे भी इस मामले में सेक्शन 326 नहीं बनता, क्योंकि जिन लोगों को नापुंसक बनाने की बात आ रही है, उनके सर्जिकल आपरेशन हुए हैं। सेक्शन 326 किसी खतरनाक हथियार का प्रयोग करने पर लगता है, जबकि इनका सर्जिकल आप्रेशन हुआ है, इसलिए इस सेक्शन को हटाया जाना चाहिए।
ध्रुव गुप्ता ने धारा 417 (चीटिंग) पर पक्ष रखते हुए कहा कि गुरमीत राम रहीम ने किसी के साथ धोखा नहीं किया है। इन साधुओं को मोक्ष प्राप्त करना था, इसलिए इन्होंने अपने अंडकोष कटवाए। इसमें राम रहीम का कोई लाभ नहीं था। कोई भी इंसान धोखाधड़ी तभी करता है, जब उसका कोई लाभ हो। इन साधुओं के अंडकोष कटवाने से गुरमीत राम रहीम को कोई लाभ नहीं होना था। मोक्ष केवल मरने के बाद ही मिल सकता है, इसलिए इस मामले में सेक्शन 417 भी नहीं बनती।
इसके अलावा 120बी अपराधिक षड्यंत्र पर गुरमीत राम रहीम के वकील और दोनों डॉक्टरों एमपी सिंह एवं पंकज गर्ग के वकीलों ने बहस करते हुए कहा कि अपराधिक षड्यंत्र कतई नहीं बनता, क्योंकि यदि मान लिया जाए कि गुरमीत राम रहीम ने साधुओं को मोक्ष प्राप्ति के लिए अंडकोष कटवाने के लिए कह दिया, लेकिन इससे डॉक्टरों को क्या लाभ होना था। डॉक्टरों को तो यदि साधुओं ने कहा कि अंडकोष काट दिए जाएं, तो उन्होंने आपरेशन कर दिया। अपराधिक षड्यंत्र तभी बनता है, जब तीनों का उद्देश्य एक हो, इसलिए यह धारा भी हटाई जानी चाहिए।
वकीलों ने बहस करते हुए कहा कि यदि गुरमीत राम रहीम ने वर्ष 2000 में मोक्ष की बात कही थी तो उन्होंने वर्ष 2012 में शिकायत क्यों की। उन्हें एक साल बाद जब मोक्ष नहीं मिला, तो उसी समय क्यों नहीं शिकायत की गई। इसलिए लगाए गए आरोप गलत है। बहरहाल, आरोपितों के खिलाफ आरोप तय कर दिए गए हैं।
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