एमएसएमई की परिभाषा बदलने से हरियाणा के 80 फीसद उद्यमियों को होगा फायदा
केंद्र सरकार द्वारा उद्योगों के लिए पैकेज की घोषणा करने और एमएसएमई की परिभाषा बदलने से हरियाणा की छोटी इकाइयों को भी फायदा होगा। राज्य के 80 हजार उद्यमियों को इससे लाभ मिलेगा।
नई दिल्ली, [बिजेंद्र बंसल]। केंद्र सरकार के आर्थिक पैकेज में सूक्ष्म, लघु, मध्यम इकाई (एमएसएमई) की परिभाषा बदलने से हरियाणा के उद्यमियों सहित सर्विस सेक्टर को सीधा फायदा होगा। प्रदेश में फरीदाबाद, गुरुग्राम, पानीपत,अंबाला, रेवाड़ी,पलवल, सोनीपत, झज्जर जिला में उद्योग और सेवा क्षेत्र की इकाइयां हैं। राज्य के करीब 80 हजार उद्यमियों को लाभ हाेगा।
सर्विस सेक्टर को एमएसएमई में शामिल करने से बढ़ेगी विस्तार की रफ्तार
केंद्र सरकार ने 2006 में एमएसएमई की परिभाषा तय की थी। इसके बाद मोदी सरकार ने इस परिभाषा में बदलाव किया है। अब 25 लाख से एक करोड़ रुपये के निवेश तथा पांच करोड़ रुपये तक का सालाना कारोबार करने वाला उद्योग, सेवाक्षेत्र की इकाई माइक्रो, एक से 10 करोड़ रुपये तक निवेश और 50 करोड़ रुपये सालाना कारोबार करने वाले को लघु तथा 10 से 20 करोड़ का निवेश व 100 करोड़ रुपये तक सालाना कारोबार करने वाले को मध्यम वर्ग की इकाई के रूप में मान्यता मिलेगी।
सार्वजनिक उपक्रम क्षेत्र में लंबित बकाया राशि मिलने से आर्थिक संकट होगा कम
उद्यमी राजीव चावला बताते हैं कि यह उद्यमियों के लिए सबसे बड़ा फायदा है। इसमें एक लघु, कुटीर उद्योग से अपनी शुरूआत करने वाले उद्यमी को पांच करोड़ रुपये सालाना कारोबार करने तक वे सभी छूट मिलेंगी जो अभी तक उसे सिर्फ एक करोड़ रुपये के कारोबार पर ही मिलती थीं। कई बार इसके चलते उद्यमी अपने परिवार के चार लोगों में एक-एक करोड़ की चार प्रोपराइटरशिप में काम करता था।
इससे उसके आगे विकास और विस्तार का बंद हो जाता था क्योंकि उसके कारोबार की एकीकृत प्रोफाइल नहीं बन पाती थी।अब एमएसएमई में 100 करोड़ रुपये सालाना कारोबार करने वाले उद्यमी जुड़ेंगे और एमएसएमई का दायरा भी बढ़ेगा। हरियाणा में करीब 80 फीसद उद्यमी एमएसएमई के दायरे में आ जाएंगे।
आत्मनिर्भर भारत की ओर सरकार का पहला बड़ा कदम
सरकारी क्षेत्र की 200 करोड़ रुपये तक की खरीद में ग्लोबल टेंडर नहीं होंगे। इस घोषणा को उद्योगपति आत्मनिर्भर भारत अभियान के क्षेत्र में बड़ी पहल बता रहे हैं। गुरुग्राम इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के प्रधान जेएन मंगला के अनुसार इससे वैश्विक स्तर पर जो प्रतिस्पर्धा होती थी वह नहीं होगी। मोदी सरकार ने वास्तविक रूप में आत्मनिर्भर भारत अभियान को सार्थक बनाने के लिए यह कदम उठाया है।
उन्होंने कहा कि इसके अलावा सरकार ने यह घोषणा तो कर दी कि बिना गारंटी एमएसएमई को तीन लाख करोड़ रुपये तक के ऋण दिए जाएंगे मगर यह पहले भी प्रावधान था। इसे क्रियान्वित करने करना सरकार के लिए चुनौती होगी। बैंक अभी भी बिना गारंटी के ऋण में आधा फीसद ब्याज ज्यादा लेते हैं। जबकि अब ब्याज पर सब्सिडी के बिना उद्यमी खड़ा नहीं हो सकता।
बैंक के ब्याज में राहत की आस टूटी
डीएलएफ इंडस्ट्रीज एसोसिशन के अध्यक्ष जेपी मल्होत्रा के अनुसार एमएसएमई सेक्टर के उद्यमी मंगलवार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा के बाद से यह उम्मीद जता रहे थे कि उन्हेंं बैंक ब्याज में राहत अवश्य मिलेगी। मगर वित्त मंत्री द्वारा आर्थिक पैकेज जारी करने के बाद जब बैंक ब्याज में कोई नई सब्सिडी नहीं दी गई तो काफी निराशा हुई है। इस समय एमएसएमई को सबसे ज्यादा जरूरत तुरंत राहत की है।
जेपी मल्होत्रा ने कहा कि प्रधानमंत्री ने 18 नवंबर 2018 को एमएसएमई सेक्टर में ऋण ब्याज की दर पर दो फीसद की सब्सिडी दी थी। इस घोषणा की मियाद 31 मार्च 2020 को खत्म हो गई है। अब एमएसएमई सेक्टर को यह उम्मीद थी कि बैंक ब्याज में जरूर कोई न कोई छूट मिलेगी मगर फिलहाल वित्त मंत्री की घोषणाओं में यह छूट दिखाई नहीं दी। अभी वित्त मंत्री अगले कुछ दिन तक आर्थिक पैकेज की व्याख्या करेंगी, हमें उम्मीद है कि इसमें इस बाबत सरकार की तरफ से जरूर कोई पहल होगी।
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