Baroda Byelection : युवा बाेले- खेल के मैदान में नहीं पूछी जाति, गोत्र और गांव तो फिर चुनाव में क्यों
Haryana Baroda Byelection 2020 में जाति की राजनीति का मुद्दा छा रहा है। भाजपा ने जातीय समीकरण को दरकिनार कर पहलवान योगेश्वर दत्त को उम्मीदवार बनाया है। क्षेत्र के युवाओं का कहना है कि खेल के मैदान में जाति व गोत्र नहीं पूछा जाता को चुनाव में क्यों।
बिजेंद्र बंसल, बरोदा (सोनीपत)। Haryana, Baroda Byelection 2020 में जाति का मुद्दा छाया हुआ है। भाजपा ने यहां जातीय समीकरण को दरकिनार कर ओलंपिक पद विजेता योगेश्वर दत्त को उम्मीदवार बनाया है। इसके बाद पूरे क्षेत्र में चुनावों में जाति की राजनीति को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं। खासकर क्षेत्र के युवा और खिलाड़ी इस मुद्दे पर काफी मुखर हैं। उनका कहना है कि खेल के मैदान में किसी से जाति, गोत्र और गांव नहीं पूछा जाता है तो फिर चुनाव में इस पर जोर क्यों।
बरोदा विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव में प्रत्याशियों का प्रचार पूरे यौवन पर है। चुनावी अखाड़े में कांग्रेस के इंदुराज नरवाल के सामने भाजपा ने कुश्ती में ओलंपिक पदक विजेता योगेश्वर दत्त को उतारा है। चुनावों में अक्सर गांव, गुहांड (पड़ोसी गांव) और जातपात हावी रहता है। राजनीतिक दल भी टिकट वितरण से लेकर चुनाव प्रचार तक में क्षेत्रीय व जातीय समीकरणों को अपनी जीत का आधार बनाते हैं।
खेलों में राजनीति और चुनाव में जातपात के जहर का खात्मा चाहते हैं खिलाड़ी
यही कारण है कि पूरे बरोदा क्षेत्र के अलावा साथ लगते शहर गोहाना और सोनीपत तक में भी प्रबुद्ध लोग इसी आधार पर प्रत्याशियों की जीत-हार का आकलन कर रहे हैं। हालांकि इन सबसे दूर खिलाड़ियों की दुनिया में गांव, गुहांड और जातपात की कोई पूछ नहीं है। बरोदा हल्के के गांव बलीब्राह्मणान में कुश्ती केंद्र है। चुनाव वाले इस क्षेत्र में संयोग से खेल के इस बड़े मैदान का संचालन भाजपा प्रत्याशी योगेश्वर दत्त पिछले चार साल से कर रहे हैं। योगेश्वर जाति से ब्राह्मण हैं। इस कुश्ती केंद्र में इसमें आसपास के गांवों से करीब डेढ़ सौ बच्चे और युवा कुश्ती के दावपेच सीखने आते हैं मगर यहां ज्यादातर को एक-दूसरे की जाति का बोध तक भी नहीं है।
राजनीति में जातपात की बाबत पूछे जाने पर मुख्य कोच रामफल और कोच मनोज तपाक से कहते हैं कि खेल के मैदान में गांव, गुहांड और जाति कोनी पूछी जांदी। यहां नियमित अभ्यास करने आने वाले पहलवान मोहित का कहना था कि यदि खेलों में से राजनीति और चुनाव से जातपात का जहर खत्म हो जाए तो इस देश की काफी समस्याओं का निदान हो जाएगा।
पहलवान कंवरजीत सिंह कहते हैं कि खिलाड़ी यदि राजनीति में पहुंचेंगे तो जिस तरह वे मैदान में खेल की भावना से पदक जीतते हैं उसी तरह राजनीति में भी सेवाभाव से लोगों की सेवा करेंगे। पहलवान सुमित मानते हैं कि एक खिलाड़ी के लिए खेल के मैदान में भी देश सबसे ऊपर होता है। खिलाड़ी राजनीति को भी सही दिशा दे सकते हैं।
चुनावी हलचल से दूर है कुश्ती केंद्र
बरोदा हल्के के उपचुनाव के लिए विभिन्न दलों की चुनावी गतिविधियों का केंद्र बने गोहाना शहर से बलीब्राह्मणान गांव का यह कुश्ती केंद्र महज 10 किलोमीटर दूर खरखौदा-गोहाना रोड पर है मगर यह केंद्र चुनावी हलचल से एकदम दूर है। यहां कोच नियमित रूप से सायं 4.30 बजे खिलाड़ियों को कुश्ती के दावपेंच सिखाते हैं। करीब दो घंटे तक खिलाड़ी अपना नियमित अभ्यास करते और वापस अपने घर चले जाते।
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