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जाट संगठनों को तगड़ा झटका, हाई कोर्ट ने कहा- उपद्रव करने वालों से केस वापस नहीं होंगे

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने मनोहरलाल सरकार और जाट संगठनों को कड़ा झटका दिया है। हाई कोर्ट ने जाट आंदोलन के दौरान हुई हिंसा व उपद्रव के लिए दर्ज केस वापस लेने पर राेक लगा दी है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Thu, 30 Aug 2018 09:55 AM (IST)Updated: Thu, 30 Aug 2018 08:55 PM (IST)
जाट संगठनों को तगड़ा झटका, हाई कोर्ट ने कहा- उपद्रव करने वालों से केस वापस नहीं होंगे
जाट संगठनों को तगड़ा झटका, हाई कोर्ट ने कहा- उपद्रव करने वालों से केस वापस नहीं होंगे

चंडीगढ़, [कमल जोशी]। हरियाणा पुलिस फरवरी 2016 में जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान हुई हिंसा के बाद दर्ज की गई 407 एफआइआर अब वापस नहीं ले सकेगी। इस पर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने रोक लगा दी है। चीफ जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस अरुण पल्ली की खंडपीठ ने हरियाणा की सभी जिला अदालतों को निर्देश दिए हैं कि इन एफआइआर को रद करने या वापस लेने की किसी अर्जी पर सुनवाई न करें। पीठ ने अगली सुनवाई की तारीख 4 अक्टूबर तय की है।

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हाई कोर्ट सख्त- जिला अदालतों को निर्देश, केस वापस लेने की किसी अर्जी पर सुनवाई न करें

खंडपीठ को एमिक्स क्यूरी (कोर्ट मित्र, जिन्हें हाई कोर्ट अपनी मदद के लिए नियुक्त करता है।) वरिष्ठ अधिवक्ता अनुपम गुप्ता ने बताया कि प्रदेश के 21 जिलों में दर्ज की गईं कुल 2105 एफआइआर में से 407 को प्रदेश सरकार वापस लेना चाहती है। इस पर हाईकोर्ट ने सख्‍त रुख दिखाया।

पुलिस ने दुष्कर्म की घटनाओं को छिपाने का प्रयास किया

अनुपम गुप्ता ने कहा कि हरियाणा पुलिस ने शुरुआत से ही दंगों के दौरान साेनीपत जिले के मुरथल में महिलाओं से दुष्कर्म की घटनाओं को छिपाने- दबाने का प्रयास किया है। इसलिए इसकी सीबीआइ से जांच करवाए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि अगर सीबीआइ भी जांच में मुरथल में महिला यात्रियों से दुष्कर्म के तथ्य नहीं खोज पाती तो यह मानना पड़ेगा कि ये आरोप सही नहीं थे।

सुखदेव ढाबे के मालिक से पूछताछ होनी चाहिए

गुप्ता ने मुरथल स्थित सुखदेव ढाबे के मालिक के पास इस संबंध में काफी जानकारी होने का दावा करते हुए कहा कि ढाबे के मालिक अमरीक सिंह से पूछताछ होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रकाश सिंह कमेटी में शामिल रहे आइएएस अधिकारी विजयवर्धन ने भी दुष्कर्म के आरोपों में तथ्य होने की बात कही थी।

सरकार पर जांच में लापरवाही के आरोप

गुप्ता ने हरियाणा सरकार पर आरोप लगाया कि वह दर्ज किए गए केसों की जांच में लापरवाही बरत रही है। रोहतक में दर्ज 1205 केसों में से 1105 में पुलिस आरोपितों के न मिलने की रिपोर्ट दे चुकी है। गुप्ता ने कहा कि जिन 407 केस को रद किए जाने की जानकारी हाई कोर्ट को दी गई है, उनमें 129 ऐसे हैं जिनमें दर्ज आरोपों को प्रकाश सिंह कमेटी ने गंभीर बताया था।

अब चार बिंदुओं पर होगी हाई कोर्ट में सुनवाई

1. दंगों के बाद मूनक नहर पर हुए उपद्रव की जांच की निगरानी कराना। यह प्रकरण सीबीआइ को जांच के लिए भेजा जा चुका है।

2. मूनक नहर को क्षतिग्रस्त करने की जांच कर रही आइपीएस अधिकारी अमिता ढिल्लों के नेतृत्व में गठित एसआइटी की जांच पर निगरानी कराना।

3. मुरथल में महिला यात्रियों के साथ हुए दुष्कर्म की सीबीआइ जांच के संबंध में विचार। इसके लिए एमिक्स क्यूरी ने पुरजोर मांग की है।

4. हरियाणा पुलिस द्वारा दर्ज किए गए केसों को वापस लेने के संबंध में फैसला करना।


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