हरियाणा में किसानों को दिल्ली जाने से रोकने का मामला पहुंचा हाई कोर्ट, डीजीपी व चार डीसी को बनाया पार्टी
किसानों के दिल्लो चलो कार्यक्रम के दौरान हरियाणा में सड़क गड्ढे खोदकर उन्हें रोकने का मामला पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट पहुंच गया है। मामले में हरियाणा के डीजीपी व चार जिलों के डीसी को पार्टी बनाया गया है।
जेएनएन, चंडीगढ़। गत माह कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ विरोध करने के लिए दिल्ली कूच कर रहे किसानों को रोकने के मामले में हरियाणा पुलिस द्वारा नेशनल हाईवे पर गड्ढे खोदकर अवरोध पैदा करने का मामला पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट गया है। किसानों का रास्ता रोकने के खिलाफ हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है। याचिका में हरियाणा पुलिस के मुखिया, सोनीपत, पानीपत, करनाल और अंबाला के जिला उपायुक्तों को पार्टी बनाया गया है।
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याचिका में इन सभी को किसानों के रास्ते में अवरोध पैदा करने तथा उन्हें दिल्ली जाने से रोकने का आरोपित बताते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है। होशियारपुर के एक गैर सरकारी संगठन गुरु नानक वेलफेयर सोसायटी ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर मांग की है कि नेशनल हाईवे एक सरकारी संपत्ति है और राजनेता अपने स्वार्थों के लिए इस संपति को नुकसान नहीं पहुंचा सकते। सरकार के निर्देश पर इन सभी जिलों के डीसी ने नेशनल हाईवे में गड्ढे खुदवाने के काम किए तथा फ्लाईओवर पर अवरोध करने के लिए एक निजी कंपनी की सहायता ली।
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याचिका के अनुसार बड़ी-बड़ी मशीनों से बड़े-बड़े गड्ढे बनाए गए, ताकि किसान दिल्ली न पहुंच सकें। किसान शांतिपूर्ण तरीके से दिल्ली जा रहे थे। अगर वह दिल्ली पहुंच जाते शायद यह आंदोलन भी इतना लंबा नहीं चलता। उन्हें जानबूझकर योजनाबद्ध तरीके से तंग किया गया है। नेशनल हाईवे का प्रयोग करना किसानों का कानूनी अधिकार था, लेकिन सरकार ने उन्हें रोकने के लिए हाईवे को नुकसान पहुंचाते हुए उस पर गड्ढे खुदवा दिए।
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नेशनल हाईवे को नुकसान पहुंचाना अपराध की श्रेणी में आता है। इस बाबत याचिकाकर्ता ने हरियाणा के डीजीपी को एक मांग पत्र देकर डीसी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी, लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई, इसलिए याची ने अब हाई कोर्ट में याचिका दायर कर इस विषय पर कार्रवाई की मांग की है। याचिका में मांग की गई है कि गड्ढे खोदने से नेशनल हाईवे अथारिटी को जितना नुकसान हुआ है उसकी भरपाई नेताओं व अधिकारियों से की जाए। यह याचिका हाई कोर्ट की रजिस्ट्री में फाइल कर दी गई है और जल्द ही सुनवाई के लिए सूचीबद्ध हो सकती है।
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