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दिव्यांग IAS अफसर रवि प्रकाश का तबादला आदेश जारी करना हरियाणा की पूर्व सीएस को पड़ा भारी, जानें क्या है मामला

हरियाणा के दिव्यांग आइएएस अफसर रवि प्रकाश गुप्ता का मामला हाई कोर्ट पहुंच गया है। कोर्ट ने पूर्व सीएस केशनी आनंद अरोड़ा से पूछा कि क्यों न उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए। गुप्ता ने डीसी पद पर दो साल का कार्यकाल पूरा न होने को चुनौती दी है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sat, 26 Dec 2020 01:25 PM (IST)Updated: Sat, 26 Dec 2020 01:25 PM (IST)
दिव्यांग IAS अफसर रवि प्रकाश का तबादला आदेश जारी करना हरियाणा की पूर्व सीएस को पड़ा भारी, जानें क्या है मामला
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट की फाइल फोटो।

जेएनएन, चंडीगढ़। हरियाणा के दिव्यांग आइएएस अधिकारी रवि प्रकाश गुप्ता को डीसी पद से दो साल से पहले हटाने के खिलाफ एक याचिका पर सुनवाई के दौरान पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने हरियाणा की पूर्व मुख्य सचिव केशनी आनंद अरोड़ा को अवमानना नोटिस जारी किया है। हाई कोर्ट के जस्टिस एसएन सत्यनारायण और जस्टिस राजेश भारद्वाज की खंडपीठ ने यह आदेश रवि प्रकाश गुप्ता की याचिका पर सुनवाई करते हुए जारी किया।

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हाई कोर्ट ने कहा कि शीर्ष अदालत के आदेश के तहत गुप्ता को फील्ड ड्यूटी डीसी फतेहाबाद लगाया गया था। लेकिन सरकार ने यह सब दिखाने के लिए किया। कुछ दिन बाद ही न्यायिक आदेश को अनदेखा कर गुप्ता को अन्य पद पर पर भेज दिया गया। हाई कोर्ट ने कहा कि 18 मई 2020 को उनके तबादले के आदेश पर हस्ताक्षर करने वाली मुख्य सचिव इसके तहत सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवेहलना के तहत अवमानना की दोषी है।

कोर्ट ने तत्कालीन मुख्य सचिव हरियाणा, केशनी आनंद अरोड़ा को नोटिस जारी कर पूछा है कि क्यों न जानबूझकर किए गए इस कृत्य पर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए। हाई कोर्ट ने अरोड़ा को 6 जनवरी तक इस बाबत जवाब दायर करने का भी निर्देश दिया है। आइएएस रवि प्रकाश गुप्ता को स्टेट अथॉरिटी द्वारा डीसी फतेहाबाद के पद से ट्रांसफर कर स्वर्ण जयंती हरियाणा इंस्टीट्यूट ऑफ फिस्कल मैनेजमेंट का डायरेक्टर जनरल बना दिया गया था।

इस आदेश को रवि प्रकाश ने चुनौती दी है। मूलरूप से पानीपत के समालखा के निवासी रवि प्रकाश गुप्ता 2007 बैच के आइएएस अधिकारी हैं। रवि ने याचिका में कहा कि सरकार ने आइएएस (काडर) अमेंडमेंट नियम 2014 की वॉयलेशन की है। उन्हेंं 28 दिसंबर 2019 को फतेहाबाद का डीसी बनाया गया था, लेकिन यहां से छह महीने में ही उनका ट्रांसफर किया जा रहा है। काडर नियमों के मुताबिक उनका यहां पर दो साल का कार्यकाल पूरा नहीं हुआ है लेकिन उससे पहले ही उनका ट्रांसफर कर दिया गया है।

इससे पहले भी उनका कई जगह से ऐसे ही ट्रांसफर किया गया था। तब भी हाई कोर्ट ने उनकी याचिका को स्वीकार करते हुए उनके ट्रांसफर के आर्डर को खारिज कर दिया था। इसके बाद सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने भी पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट के आदेशों को सही बताते हुए गुप्ता के पक्ष में फैसला दिया था। इसी को आधार बनाते हुए रवि ने इस बार फतेहाबाद से हुए ट्रांसफर को चुनौती दी थी।

मामले की सुनवाई के दौरान हरियाणा सरकार ने हाई कोर्ट को बताया था कि कोरोना वायरस के चलते गुप्ता को फील्ड में ड्यूटी नहीं दी गई और उनका ट्रांसफर किया गया। इस पर हाई कोर्ट ने सरकार से पूछा था कि क्या कोरोना का आतंक खत्म होने के बाद उनको फील्ड ड्यूटी दी जाएगी। इस पर सरकार ने हाई कोर्ट में कहा था कि वह गुप्ता को चंडीगढ़ में दो पोस्ट में से एक पर एडजस्ट कर सकती है। इनमें एक पद सचिव, राजस्व व आपदा प्रबंधन विभाग का है और दूसरा पद निदेशक अभिलेखागार विभाग का है।


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