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कैग रिपोर्ट : बिजली व बीज निगम ने सरकार को लगाया 1118 करोड़ का चूना

हरियाणा सरकार को बीज विकास निगम और उत्तर एवं दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगमों ने राजस्व में भारी चपत लगाई है। निगमों ने सरकार के निर्देश, उचित प्रक्रिया और फिजूलखर्ची न की होती तो करोड़ों रुपये बचाए जा सकते थे।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sun, 06 Sep 2015 01:27 PM (IST)Updated: Sun, 06 Sep 2015 02:00 PM (IST)
कैग रिपोर्ट :  बिजली व बीज निगम ने सरकार को लगाया 1118 करोड़ का चूना

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा सरकार को बीज विकास निगम और उत्तर एवं दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगमों ने राजस्व में भारी चपत लगाई है। निगमों ने सरकार के निर्देश, उचित प्रक्रिया और फिजूलखर्ची न की होती तो करोड़ों रुपये बचाए जा सकते थे। निगमों ने नियमों को ताक पर रखा, जिससे सरकार को 1118.40 करोड़ रुपये का चूना लगा है।

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हरियाणा विधानसभा में रखी गई कैग रिपोर्ट से इसका खुलासा हुआ है। कैग ने सरकार के निगमों की वित्तीय अनियमितताओं पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर एवं दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम ने मॉडल स्टेट इलेक्ट्रिसिटी डिस्ट्रीब्यून रेस्पांसिबिलिटी बिल, वितरण नेटवर्क में निजी कंपनियों की भागीदारी, कृषि उपभोक्ताओं की मीटिरिंग के लिए अनिवार्य शर्तों का भी उल्लंघन किया है।


नियमों के उल्लंघन व फिजूलखर्ची से हुआ राजस्व का नुकसान

रिपोर्ट में कहा गया है कि निगमों ने पंजाब एवं सिंध बैंक और ग्रामीण बिजलीकरण निगम से 641. 16 करोड़ रुपये का अल्प अवधि ऋण लिया था। ये ऋण समय पर न लौटाने पर निगमों को 71.79 करोड़ रुपये का ब्याज चुकाना पड़ा। अगर समय में इसे वापस देते तो ये बोझ सरकारी कोष पर नहीं पड़ता। कंपनियों के बिजली चोरी और लाइन लॉस न रोक पाने पर भी सरकार को राजस्व की हानि हुई है।

रिपोर्ट के अनुसार, केंद्र सरकार ने लाइन लॉस कम होने पर दिए जाने वाले 199 करोड़ रुपये हरियाणा को नहीं दिए। उपभोक्ताओं और सरकारी विभागों से फ्यूल सरचार्ज एरियर की 26 सौ करोड़ से अधिक की राशि समय पर न वसूल पाने को लेकर भी कैग न उंगली उठाई है।

प्रमाणित बीजों के उत्पादन का लक्ष्य पूरा नहीं कर पाया निगम

कैग रिपोर्ट में कहा गया है कि बीज विकास निगम 2009 से 2014 के बीच प्रमाणित बीजों के उत्पादन का लक्ष्य भी पूरा नहीं कर पाया। कम उत्पादन की दर 17.27 से 33.29 फीसद के बीच रही। 2012-13 में निगम ने 3.07 लाख क्विंटल गेहूं का बीज बिक्री के लिए पैदा किया। इसमें से राज्य में 1.86 लाख क्विंटल व राज्य के बाहर 0.34 लाख क्विंटल बिका।

रिपोर्ट के अनुसार, तय से कम कीमत पर बीज बेचने से 1.66 करोड़ रुपये राजस्व हानि हुई। बाकी बचे 0.87 लाख क्विंटल बीज को 2013-14 में 1.63 करोड़ के राजस्व घाटे के साथ बेचना पड़ा। 2010 में निगम ने 2.95 करोड़ रुपये अतिरिक्त खर्च कर एक लाख क्विंटल गेहूं का बीज सरकारी एजेंसियों से बाजार भाव से अधिक मूल्य पर खरीदा।

रिपोर्ट में कहा गया है कि इस राशि को निगम बचा सकता था। 2009 से 2014 तक 11.58 किसानों को बीज गांव स्कीम के तहत कवर किया जाना था, लेकिन मात्र 4.03 लाख ही कवर हो सके। इस पर निगम के 2.72 करोड़ रुपये अतिरिक्त खर्च हुए, जिसे केंद्र सरकार से हर्जाना के रूप में लिया गया।


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