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किसान आंदोलन के कारण हरियाणा में मंत्रिमंडल विस्तार और चेयरमैनों की नियुक्ति पर लगा ब्रेक

हरियाणा में मंत्रिमंडल विस्‍तार और विभिन्‍न बार्डों व निगमों के चेयरमैन की नियुक्ति पर ब्रेक लग गया है। भाजपा हाईकमान ने फिलहाल पर इस पर रोक लगाई है। सरकार में सहयोगी जजपा इसके लिए भाजपा पर दवाब बना रही थी।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Mon, 30 Nov 2020 05:19 PM (IST)Updated: Mon, 30 Nov 2020 05:19 PM (IST)
किसान आंदोलन के कारण हरियाणा में मंत्रिमंडल विस्तार और चेयरमैनों की नियुक्ति पर लगा ब्रेक
हरियाणा के सीएम मनोहरलाल और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह। (फाइल फोटो)

चंडीगढ़, जेएनएन। हरियाणा में किसान आंदोलन के चलते मंत्रिमंडल का विस्तार फिलहाल टाल दिया गया है। भाजपा हाईकमान ने फिलहाल बोर्ड एवं निगमों के नए चेयरमैन बनाने पर भी रोक लगा दी है। भाजपा की सहयोगी पार्टी जजपा ने सरकार पर मंत्रिमंडल के विस्तार तथा बोर्ड एवं निगमों में नए चेयरमैनों की नियुक्ति का खासा दबाव बना रखा था। भाजपा हाईकमान ने प्रदेश सरकार को मंत्रिमंडल में बदलाव, विस्तार तथा चेयरमैनों की नई नियुक्तियों के लिए अभी कुछ समय इंतजार करने का संकेत दिया है। बताया जाता है कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने मुख्‍यमंत्री मनोहरलाल को अभी माहौल ठीक होने तक इंतजार करने को कहा है।

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जजपा ने बना रखा भाजपा पर अपने कोटे का मंत्री व चेयरमैन बनाने का दबाव

हरियाणा में भाजपा व जजपा गठबंधन की सरकार है। 90 सदस्यीय विधानसभा में मुख्यमंत्री समेत 14 मंत्री बन सकते हैं। फिलहाल इनकी संख्या 12 है। लिहाजा दो मंत्री अभी और बनाए जा सकते हैं। एक मंत्री भाजपा व दूसरा मंत्री जजपा के कोटे से संभव है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल की सरकार में फिलहाल जजपा कोटे से डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला और राज्य मंत्री अनूप धानक दो मंत्री हैं। प्रदेश में 64 बोर्ड एवं निगम हैं, जिनमें से सिर्फ 19 के ही चेयरमैन बनाए गए हैं। बाकी बोर्ड एवं निगमों के चेयरमैनों की नियुक्तियां की जानी हैं।

प्रदेश सरकार कुछ मंत्रियों के विभागों व मंत्रियों में भी करना चाह रही बदलाव

मनोहर सरकार ने बरोदा उपचुनाव से पहले करीब एक दर्जन बोर्ड एवं निगमों के चेयरमैन नियुक्त किए थे। जजपा के नारनौंद से बागी विधायक रामकुमार गौतम को छोड़कर अधिकतर को बोर्ड एवं निगमों में एडजेस्ट कर दिया गया था। जजपा के जिन विधायकों को सीधे चेयरमैन नहीं बनाया गया, उनके परिवार के सदस्यों को यह पदवी दी गई। इनमें गुहला चीका के विधायक ईश्वर सिंह शामिल हैं।

बरवाला के विधायक जोगी राम सिहाग ने चेयरमैनी स्वीकार नहीं की थी। जजपा अब अपनी पार्टी के कुछ समर्पित कार्यकर्ताओं तथा बचे हुए दावेदारों को बोर्ड एवं निगमों का चेयरमैन बनाना चाहती है। लिहाजा सरकार पर इसका खासा दबाव बना हुआ है।

अमित शाह ने मनोहर लाल से कहा, माहौल ठीक होने का इंतजार कीजिये

जजपा को लग रहा था कि बरोदा में जीत के बाद न केवल उनके कोटे का मंत्री बनाया जा सकता है, बल्कि बोर्ड एवं निगमों में भी नई नियुक्तियां संभव हैं, लेकिन बरोदा में गठबंधन की हार हो गई। इस हार के बाद भाजपा व जजपा नेताओं के विरोधी बयान भी सामने आए, लेकिन दोनों दलों के नेताओं ने पटरी से उतरने जा रही आरोप-प्रत्यारोप की गाड़ी को संभाल लिया। अब प्रदेश में किसान आंदोलन चल रहा है। भले ही इस आंदोलन के नायक पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को माना जा रहा है, लेकिन जजपा का भाजपा पर दबाव है कि उनके कोटे का न केवल मंत्री बनाया जाए, बल्कि नए चेयरमैनों की नियुक्तियां भी की जानी चाहिए।

सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री मनोहर लाल की दो दिन पहले ही गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात हुई है। तब किसान आंदोलन का समाधान करने के अलावा मंत्रिमंडल के विस्तार तथा नए चेयरमैनों की नियुक्तियों पर भी बातचीत की गई। बताते हैं कि मुख्यमंत्री ने कुछ मंत्रियों को बदलने की मंशा भी शाह के सामने रखी। अमित शाह ने मुख्यमंत्री को यह अधिकार दिया है कि वह अपने सहयोगी दल से नाम लेकर हाईकमान के पास भिजवा दें, लेकिन अभी इस काम में जल्दबाजी ठीक नहीं है। लिहाजा हाईकमान का इशारा मिलने के बाद अभी जजपा को कुछ समय इंतजार और करना पड़ सकता है।

हरियाणा के कार्यकर्ताओं का मिजाज भांप गए तावड़े और अन्नपूर्णा

भाजपा प्रभारी विनोद तावड़े और सह प्रभारी अन्नपूर्णा देवी का पांच दिवसीय हरियाणा दौरा पूरा हो गया है। प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ के साथ पूरे हरियाणा में घूमे तावड़े और अन्नपूर्णा ने अपनी रिपोर्ट तैयार कर ली है। अभी हालांकि इस दौरे को परिचयात्मक बताया जा रहा है, लेकिन तावड़े और अन्नपूर्णा देवी अपनी रिपोर्ट से हाईकमान को अवगत कराएंगे।

इसके बाद जल्द ही सांसदों, केंद्रीय मंत्रियों, राज्य सरकार के मंत्रियों व विधायकों के साथ अलग-अलग मीटिंग का दौर अगले दौरे के दौरान शुरू किया जा सकता है। तावड़े और अन्नपूर्णा देवी ने इस पांच दिवसीय दौरे में संगठन व सत्ता के बीच तालमेल बढ़ाने की जरूरत महसूस की है। उन्होंने कार्यकर्ताओं के बीच इस बात के संकेत भी दिए कि यदि कार्यकर्ता संतुष्ट होंगे तो वह संगठन और सरकार दोनों के लिए भलीभांति काम कर सकेंगे।

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