हाई कोर्ट के फैसले से हरियाणा के 55 हजार कच्चे कर्मचारियों को लगा झटका
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट द्वारा 2014 में हुड्डा सरकार द्वारा नियमितीकरण नीति का रद करने से हरियाणा के 55 हजार कर्मचारी प्रभावित होंगे।
चंडीगढ़, [अनुराग अग्रवाल]। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट द्वारा पिछली हुड्डा सरकार के कार्यकाल में बनी दो नियमितीकरण पॉलिसी रद कर दिए जाने से प्रदेश के करीब 55 हजार कर्मचारियों को तगड़ा झटका लगा है। इनमें करीब पांच हजार कर्मचारी तो नियमितीकरण पॉलिसी के तहत पक्के हो चुके थे, जबकि करीब 20 हजार कर्मचारी 31 दिसंबर 2018 को पक्के होने वाले थे। बाकी बचे करीब 30 हजार कर्मचारियों को भी अब नियमितीकरण पॉलिसी का लाभ नहीं मिलेगा। हालांकि उनका पक्का होना अब सरकार की इच्छा पर निर्भर हो गया है।
दो नियमितीकरण पॉलिसी रद होने से बंद हुआ कच्चे कर्मचारियों के पक्के होने का रास्ता
मनोहर सरकार चाहे तो वह कानून सम्मत नई नियमितीकरण पॉलिसी तैयार कर सकती है, जिसकी संभावना बहुत कम है। राज्य सरकार ने यदि हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ मजबूत पैरवी नहीं की तो करीब 5000 कर्मचारियों की नौकरी जाना तय है। साथ ही हाई कोर्ट ने मनोहर सरकार को छह माह में नियमित भर्ती करने के निर्देश दिए हैैं।
18 जून 2014 की तीन साल की पॉलिसी में पक्के हुए पांच हजार कर्मचारियों की नौकरी पर खतरा
उल्लेखनीय है कि पिछली हुड्डा सरकार ने पहली पॉलिसी 18 जून 2014 को बनाई थी। इसमें प्रावधान किया गया था कि 30 जून 2014 को जिन कर्मचारियों को काम करते हुए तीन साल पूरे हो जाएंगे, उन्हें पक्का किया जाएगा। इस पॉलिसी के दायरे में आने वाले करीब 5000 कर्मचारियों को पक्का किया गया था। हाई कोर्ट के फैसले से अब यह कर्मचारी या तो फिर से कच्चे हो जाएंगे या फिर उनकी नौकरी जाएगी। नौकरी भी तभी बची रहेगी, जब संबंधित विभाग में पद खाली बचे होंगे।
हुड्डा सरकार द्वारा दूसरी नियमितीकरण नीति 7 जुलाई 2014 को बनाई गई। इसके तहत प्रावधान किया गया कि 31 दिसंबर 2018 को जिन कर्मचारियों को काम करते हुए 10 साल पूरे हो जाएंगे, उन्हें नियमित कर दिया जाएगा। इस पॉलिसी के दायरे में करीब 14000 अतिथि अध्यापक, 3000 बिजली कर्मचारी और 3000 दूसरे विभागों के कर्मचारी आने वाले थे, लेकिन उनकी उम्मीदों पर अब पानी फिर गया है। इसके अलावा 30 हजार अन्य कच्चे कर्मचारियों को भी अब अपने पक्का होने की आस नजर नहीं आ रही है।
सरकार के पास अब यह विकल्प
हरियाणा सरकार चाहे तो अब कच्चे कर्मचारियों के हक में हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में मजबूत पैरवी कर सकती है। हुड्डा सरकार के कार्यकाल की दोनों पॉलिसी पर पिछले दो साल से स्टे लगा हुआ था। इसलिए कच्चे कर्मचारियों के नियमित होने की प्रक्रिया भी थमी हुई थी।
राज्य सरकार के पास विकल्प है कि वह या तो कर्नाटक सरकार बनाम उमा देवी के केस में 10 अप्रैल 2006 को आए सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के आधार पर कानून सम्मत नियमितीकरण पॉलिसी बनाए या फिर कच्चे कर्मचारियों की नौकरी बचाने के लिए उन्हें विभिन्न पदों पर अथवा पक्की भर्ती में आयु की छूट देते हुए एडजस्ट करे। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आधार पर पिछली सरकार वर्ष 2011 में नियमितीकरण पॉलिसी बना चुकी है, जिसके तहत हजारों कर्मचारी पहले नियमित हो चुके हैैं। इसी तरह की पॉलिसी अब दोबारा बनाई जा सकती है।