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अंतिम क्षणों की आजमाइश, हुड्डा व चौटाला के गढ़ फतेह किए बिना भाजपा का मिशन 10 रहेगा अधूरा

हरियाणा में लोकसभा चुनाव 2019 में भाजपा राज्‍य की सभी सीटें जीतने के लिए मिशन10 पर काम कर रही है। लेकिन हुड्डा और चौटाला के गढ़ों को फतह किए बिना यह अधूरा ही रहेगा।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sat, 11 May 2019 11:38 AM (IST)Updated: Sat, 11 May 2019 08:07 PM (IST)
अंतिम क्षणों की आजमाइश, हुड्डा व चौटाला के गढ़ फतेह किए बिना भाजपा का मिशन 10 रहेगा अधूरा
अंतिम क्षणों की आजमाइश, हुड्डा व चौटाला के गढ़ फतेह किए बिना भाजपा का मिशन 10 रहेगा अधूरा

चंडीगढ़, जेएनएन। हरियाणा में लाेकसभा चुनाव के लिए प्रचार कार्य बंद हो चुका है और 12 मई रविवार को मतदान होगा। ऐसे में अब सभी दलों के नेताओं की धड़कनें तेज हो गई हैं। इस चुनाव में भाजपा मिशन 10 लेकर चल रही है। इसके तहत उसका लक्ष्‍य राज्‍य की सभी 10 लोकसभा सीटों को जीतने का है। लेकिन, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और ओमप्रकाश चौटाला का गढ़ फतेह करना उसके लिए बड़ी चुनौती है। इसके बिना भाजपा का मिशन-10 अधूरा रहेगा।

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राज्य की सभी 10 लोकसभा सीटें जीतने का लक्ष्य लेकर चुनाव में उतरे भाजपा दिग्गजों ने चुनाव प्रचार के दौरान और खास कर आखिरी दिन अपनी पूरी ताकत झोंक दी। हुड्डा के गढ़ रोहतक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बरसे तो चौटाला के गढ़ में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह जमकर गरजे। दोनों के निशाने पर रहे कांग्रेस के वे तमाम दिग्गज, जिन्होंने केंद्र व राज्य में सरकार चलाई है। बात भ्रष्टाचार के मामलों की आई तो हुड्डा के साथ-साथ चौटाला को भी मोदी और शाह की जोड़ी ने निशाने पर लिया।

प्रदेश में पिछला लोकसभा चुनाव भाजपा और हजकां ने मिलकर लड़ा था। भाजपा ने सात लोकसभा सीटें जीतीं, जबकि एक रोहतक की सीट कांग्रेस और हिसार व सिरसा की दो लोकसभा सीटें इनेलो ने कब्जाई। इस बार अकेले मैदान में उतरी भाजपा ने सभी दस सीटें जितने के लिए हिसार, रोहतक और सिरसा सीटों पर विशेष जोर लगाया है। रणनीति के तहत चुनाव प्रचार के आखिरी दिन हुड्डा के गढ़ रोहतक में खुद मोदी ने मोर्चा संभाला, जबकि चौटाला व भजनलाल के गढ़ हिसार में शाह पहुंचे। इससे पहले मोदी खुद हिसार व सिरसा संसदीय क्षेत्रों की फतेहाबाद में रैली कर चुके हैं।

मोदी और शाह की रैलियों का फोकस कांग्रेस पर रहा। भ्रष्टाचार रहित नौकरियों के मामले में दोनों ने मनोहर की सरकार की खूब पीठ थपथपाई। 1984 के सिख दंगों के साथ-साथ मोदी ने राबर्ट वाड्रा की कंपनियों को बेची गई जमीनों के मामले में कांग्रेस को कठघरे में खड़ा किया।

कांग्रेस ने खुद पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को सोनीपत से चुनाव मैदान में उतारा है, जबकि उनके बेटे दीपेंद्र हुड्डा रोहतक से चुनाव लड़ रहे हैं। जेजेपी और आप गठबंधन ने दुष्यंत चौटाला को हिसार के रण में उतार रखा है, जबकि सिरसा में इनेलो के चरणजीत सिंह रोड़ी फिर से मैदान में हैं। भाजपा को लगता है कि यह तीनों सीटें जीतना इसलिए जरूरी है, ताकि देश और प्रदेश में संदेश दिया जा सके कि अपने पांच साल के कार्यकाल में भाजपा ने लोगों की उम्मीदों के अनुरूप काम किया है।

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