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नगर निगम चुनाव में भाजपा के परंपरागत वोट बैंक में सेंध नहीं लगा पाया विपक्ष

नगर निगम चुनाव में जीत ने सारे अनुमानों को गलत साबित कर दिया है। साफ है कि हरियाणा में कांग्रेस सहित इनेलो-बसपा का गठबंधन भाजपा के इस वोट में सेंध नहीं लगा पाया।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Thu, 20 Dec 2018 07:02 PM (IST)Updated: Thu, 20 Dec 2018 07:02 PM (IST)
नगर निगम चुनाव में भाजपा के परंपरागत वोट बैंक में सेंध नहीं लगा पाया विपक्ष
नगर निगम चुनाव में भाजपा के परंपरागत वोट बैंक में सेंध नहीं लगा पाया विपक्ष

नई दिल्ली [बिजेंद्र बंसल]। शहरी क्षेत्रों में वैश्य, पंजाबी, ब्राह्मण बिरादरी भाजपा के परंपरागत मतदाताओं में गिनी जाती रही है। तीन राज्यों में भाजपा की हार के बाद माना जा रहा था कि ये तीनों भाजपा से नाराज हैं। यह भी कहा जा रहा था कि नोटबंदी और जीएसटी से नाराज वैश्य और पंजाबी मतदाता उससे टूट चुका है। मगर नगर निगम चुनाव में जीत ने सारे अनुमानों को गलत साबित कर दिया है। साफ है कि हरियाणा में कांग्रेस सहित इनेलो-बसपा का गठबंधन भाजपा के इस वोट में सेंध नहीं लगा पाया।

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भाजपा की यह जीत इस मायने में भी खास है कि राष्ट्रीय स्तर पर उसे दूसरी बार सबसे मुश्किल दौर में हरियाणा से राहत भरी खबर मिली है। नोटबंदी लागू करने के बाद जब 9 जनवरी 2017 को फरीदाबाद के नगर निगम चुनाव में भाजपा 40 में से 29 सीट पर जीती तो पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व ने राहत की सांस ली थी। तब पार्टी के रणनीतिकारों ने उन शहरी क्षेत्रों में पार्टी को मिले मतों के आंकड़े भी उजागर किए थे, जिनमें नोटबंदी के दौरान बैंकों और एटीएम के आगे लंबी लाइन लगती थी। अब तीन राज्यों में पार्टी की हार से निराश कार्यकर्ताओं को इससे नई ऊर्जा मिली है।

सिर्फ जीत था प्रत्याशी चयन का आधार

निगम चुनाव में भाजपा की जीत के पीछे पार्टी के रणनीतिकारों की कुशल राजनीतिक रणनीति रही। जातीय समीकरण के हिसाब से टिकट दिए गए। जहां पार्टी के वैश्य विधायक थे वहां पंजाबी और जहां पंजाबी विधायक थे वहां वैश्य बिरादरी के महापौर प्रत्याशी उतारे। इतना ही नहीं पार्टी ने यमुनानगर में पिछड़े वर्ग और पानीपत में सिख महिला को टिकट देकर जातीय समीकरण साधने का काम किया था।

हार से नहीं आएगा विस व लोस चुनाव पर असर : कांग्रेस

कांग्र्रेस का मानना है कि निगम चुनाव में हार का विधानसभा या लोकसभा चुनाव में कोई असर नहीं पड़ेगा। रोहतक के सांसद दीपेंद्र हुड्डा बताते हैं कि 2013 में जब कांग्रेस सरकार में थी तो नगर निगम, नगर पालिका और नगर परिषद चुनावों में कांग्रेस पूरे बहुमत से जीती थी मगर 2014 के लोकसभा व फिर विधानसभा चुनाव में पार्टी की हार हुई। इसलिए यह कहा जा सकता है कि निगम चुनाव में हार का कांग्रेस पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

ग्रामीण क्षेत्रों में भी जीती भाजपाः जवाहर यादव

हाउसिंग बोर्ड के चेयरमैन जवाहर यादव का कहना है कि भाजपा को निगम चुनाव में जीत केवल शहरी जीत नहीं है, क्योंकि निगम के ग्रामीण क्षेत्रों में भी भाजपा जीती है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व में भाजपा की पारदर्शी और ईमानदार सरकार की जीत है। सबसे अहम यह है कि अनुसूचित जाति, जनजाति के भाइयों ने इनेलो के साथ बसपा को भी पूरी तरह नकार दिया है। यह चुनाव पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के राजनीतिक भविष्य के खात्मे का भी गवाह बना है। जनता ने भाजपा के सबका साथ, सबका विकास के सिद्धांत पर मुहर लगाई है।

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