राज्यसभा चुनाव: भाजपा ने खेला दलित और पिछड़ा कार्ड, सुभाष बराला की राह हुई आसान
भाजपा ने राज्यसभा चुनाव में हरियाणा में दलित और पिछड़ा वर्ग कार्ड खेला है। इससे प्रदेश अध्यक्ष पद पर बने रहने की सुभाष बराला की राह आसान हो गई है।
चंडीगढ़, [अनुराग अग्रवाल]। हरियाणा में राज्यसभा की दो सीटों पर भाजपा ने जातीय समीकरण साधते हुए अनुसूचित जाति और पिछड़ा वर्ग के उम्मीदवारों पर बड़ा दांव खेला है। पिछले साल अक्टूबर में हुए विधानसभा चुनाव में गैर जाट खासकर दलित और पिछड़े वर्ग के मतदाताओं ने ही भाजपा में उम्मीद से ज्यादा भरोसा जताया था। राज्यसभा चुनाव में भाजपा ने इन दोनों वर्ग को अपने प्रति जताए गए भरोसे का इनाम दिया है।
विधानसभा चुनाव में दलितों और पिछड़ों से मिले समर्थन का पार्टी ने दिया इनाम
हरियाणा में राज्यसभा की दो सीटों पर आम और एक सीट पर उप चुनाव होना है। भाजपा ने दो उम्मीदवारों भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा के चेयरमैन रह चुके पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दुष्यंत कुमार गौतम और भाजपा पिछड़ा वर्ग हरियाणा के अध्यक्ष रहे रामचंद्र जांगड़ा को प्रत्याशी घोषित किया है। दिल्ली में राजनीतिक रूप से सक्रिय दुष्यंत कुमार गौतम ने संगठन में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के साथ भी काम किया है।
वहीं पिछड़ा वर्ग का प्रतिनिधित्व करने वाले रामचंद्र जांगड़ा गोहाना से विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं। पिछले राज्यसभा चुनाव में उनका टिकट कट गया था। जांगड़ा भाजपा के प्रांतीय उपाध्यक्ष होने के साथ ही राज्य सरकार में चेयरमैन भी रहे हैैं।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल कर रहे प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए सुभाष बराला की दमदार पैरवी
भाजपा अभी तीसरी सीट पर अपना उम्मीदवार घोषित करेगी या नहीं, इसका फैसला कांग्रेस की रणनीति के आधार पर किया जानाा था। कांग्रेस द्वारा दीपेंद्र सिंह हुड्डा को अपना प्रत्याशी बनाए जाने के बाद भाजपा ने तीसरे उम्मीदरवार के बारे में कोई रणनीति घोषित नहीं की है।
वहीं राज्यसभा जाने की सोच रहे भाजपा के तीन दिग्गजों कैप्टन अभिमन्यु, ओमप्रकाश धनखड़ और प्रो. रामबिलास शर्मा की उम्मीदों को पार्टी ने तगड़ा झटका दिया है। तीनों ही अपने-अपने ढंग से राज्यसभा के लिए लॉबिंग कर रहे थे। पार्टी अब उनकी सेवाएं संगठन में ले सकती है।
भाजपा ने जिस तरह से अनुसूचित जाति और पिछड़े वर्ग के प्रति भरोसा जताया है, उसके मद्देनजर अब जाटों को भी नाराज नहीं किया जा सकता। मुख्यमंत्री मनोहर लाल की कैबिनेट में हालांकि दुष्यंत चौटाला, जेपी दलाल, रणजीत चौटाला और कमलेश ढांडा के रूप में चार जाट मंत्री हैैं, लेकिन जाटों को खुश करने के लिए भाजपा मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला को इसी पद पर बनाए रख सकती है।
बराला के लिए मुख्यमंत्री मनोहर लाल दिल्ली दरबार में जमकर पैरवी कर रहे हैैं। हालांकि उनके विरोधी भी कम नहीं हैैं और टोहाना से हुई बड़ी हार को बराला की राह का बड़ा रोड़ा बना रहे हैैं, लेकिन मुख्यमंत्री बराला की ढाल बने हुए हैैं।
कैप्टन, रामबिलास व धनखड़ की उम्मीदें पूरी नहीं, राष्ट्रीय संगठन में जिम्मेदारी संभव
हरियाणा भाजपा के अध्यक्ष पद के लिए ओमप्रकाश धनखड़ और कैप्टन अभिमन्यु का भी नाम चल रहा है, लेकिन बराला को दोबारा जिम्मेदारी देने की स्थिति में धनखड़ व कैप्टन को राष्ट्रीय संगठन में बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है। सुभाष बराला के नाम पर यदि किसी कारण से पेंच फंस भी गया तो पार्टी कुरुक्षेत्र के सांसद नायब सिंह सैनी को प्रदेश अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंप सकती है। नायब सैनी की गिनती भी मुख्यमंत्री के करीबी नेताओं में होती है।
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