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भाजपा सांसद सैनी के बागी तेवर, अपनी अलग पार्टी का गठन किया

भाजपा सांसद राजकुमार सैनी ने कहा कि उनकी लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी हरियाणा में लोकसभा और विधानसभा की सभी सीटों पर प्रत्याशी उतारेगी।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Fri, 31 Aug 2018 03:33 PM (IST)Updated: Sat, 01 Sep 2018 05:04 PM (IST)
भाजपा सांसद सैनी के बागी तेवर, अपनी अलग पार्टी का गठन किया
भाजपा सांसद सैनी के बागी तेवर, अपनी अलग पार्टी का गठन किया

जेएनएन, चंडीगढ़। विवादों में रहे भाजपा सांसद राजकुमार सैनी ने अलग पार्टी के गठन की विधिवत घोषणा कर दी है। नाम होगा लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी। 2 सितंबर को पानीपत में पार्टी ने पहला जन अधिवेशन बुलाया गया है। पार्टी आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनावों में सभी सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारेगी।

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चंडीगढ़ में पत्रकारों से रू-ब-रू कुरुक्षेत्र से भाजपा के बागी सांसद राजकुमार सैनी ने कहा कि पार्टी बनाने से पहले उन्होंने छह महीने तक सर्वे कराया था। जनता से मिले सुझावों पर ही उन्होंने नई पार्टी बनाई। उनकी लड़ाई सत्ता परिवर्तन की न होकर आम जनता को न्याय दिलाने की है। युवाओं को रोजगार में प्राथमिकता दी जाएगी।

सांसद सैनी ने कहा कि पार्टी पांच मुख्य मुद्दों को लेकर जनता के बीच जाएगी। नौकरियों में सभी जातियों को जनसंख्या के अनुपात में सौ फीसद आरक्षण, एक परिवार एक रोजगार, किसान व मजदूरों को मनरेगा से जोडऩा, अधिकतम दो संतान ही पैदा करने का कानून और राज्यसभा को समाप्त कराने के लिए वह राष्ट्रीय स्तर पर आंदोलन छेड़ेंगे।

तीन साल से बना रखा था लोकतंत्र सुरक्षा मंच

राजकुमार सैनी जाट आरक्षण के विरोध में आवाज उठाते रहे हैं। विभिन्न मुद्दों पर अपनी ही पार्टी से अलग विचारधारा के चलते उन्होंने वर्ष 2015 में लोकतंत्र सुरक्षा मंच का गठन करते हुए अलग से रैलियों व सम्मेलनों का सिलसिला शुरू कर दिया था। अब उन्होंने इसी मंच को सियासी पार्टी का रूप दे दिया है। जाट आंदोलन में हिंसा के लिए भाजपा की प्रदेश और केंद्र सरकारों पर ठीकरा फोड़ते हुए उन्होंने कहा कि पार्टी से आठ महीनों में ही उनका मोहभंग हो गया था। मौजूदा सरकार भी कांग्रेस की नीतियों पर चल रही है। उन्होंने साफ कहा कि वह फिलहाल भाजपा नहीं छोड़ेंगे। आलाकमान चाहे तो उन्हें पार्टी से निकाल सकता है।

चोर दरवाजे से संसद पहुंचे लोग चला रहे सरकार

सांसद राजकुमार सैनी ने राज्यसभा को विकास में रोड़ा करार देते हुए कहा कि संसद के ऊपरी सदन में शुरुआती चार वर्षों में विपक्ष का ही बहुमत रहता है। ऐसे में चुनकर लोकसभा पहुंचे जनप्रतिनिधियों द्वारा पारित नियमों को चोर दरवाजे से राज्यसभा पहुंचे लोग पारित नहीं होने देते। वर्षों से यही खेल चल रहा है। जो लोग अपने वार्ड में पंच नहीं बन सकते वे राज्यसभा चले जाते हैं और फिर सरकार भी वही चलाते हैं। वर्तमान सरकार के कई शीर्ष मंत्रियों के नाम गिनाते हुए उन्होंने कहा कि जब ऐसे लोगों को सरकार में अहम जगह दी जा सकती है तो चुने हुए जनप्रतिनिधियों को क्यों नहीं।

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