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हरियाणा के भाजपा विधायकों ने पार्टी प्रभारी विनोद तावड़े के समक्ष खोले दिल, उठाए कई सवाल

हरियाणा भाजपा के प्रभारी विनोद तावड़े ने यहां पार्टी विधायकाें के साथ बैठक की। तावड़े के साथ संवाद के दौरान भाजपा विधायकों से अपने दिल की बात खुलकर रखी। इस दौरान विधायकों ने कई सवाल भी उठाए। इस दौरान उन्‍होंने अपने दिल की बात रखी।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Thu, 21 Jan 2021 08:23 AM (IST)Updated: Thu, 21 Jan 2021 08:23 AM (IST)
हरियाणा के भाजपा विधायकों ने पार्टी प्रभारी विनोद तावड़े के समक्ष खोले दिल, उठाए कई सवाल
हरियाणा भाजपा के प्रभारी विनोद तावड़े की फाइल फोटो।

चंडीगढ़, [अनुराग अग्रवाल]। हरियाणा और दिल्ली की सीमा पर चल रहे किसान आंदोलन के बीच भाजपा प्रभारी विनोद श्रीधर तावड़े ने प्रदेश के भाजपा विधायकों के मन की बात सुनीं। चार से पांच-पांच के समूह में विधायकों ने तावड़े को अपने मन की बात कही। कुछ विधायकों ने तो उनके सामने अपना दिल खोलकर रख दिया। उनके दिल से कुछ अच्छी बातें निकलीं तो कुछ दर्द भी बयां किया। कई विधायकों ने विकास कार्यों के लिए सांसदों की तरह विधायक निधि दिलाने की मांग रखी। अधिकतर विधायक प्रदेश की अफसरशाही से नाराज हैं और काम नहीं होने को आधार बनाते हुए अपनी बात सरकार तक पहुंचाने के हक में हैं।

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विधायकों के साथ ग्रुप में संवाद कर जानी मन की बात, परिचयात्मक मीटिंग से निकले कई सवाल

भाजपा प्रभारी विनोद तावड़े तीन दिन के हरियाणा प्रवास पर आए हुए हैं। इससे पहले तावड़े पांच दिन तक हरियाणा प्रवास पर रह चुके हैं। तब कुछ सांसदों ने भ्रष्टाचार और क्षेत्रवाद का मुद्दा उठाया था। तावड़े मंगलवार को चंडीगढ़ आ गए थे। बिना देरी किए तावड़े ने तभी अपना मिशन आरंभ कर दिया था, जो बुधवार को भी जारी रहा और बृहस्पतिवार को भी चलेगा। तावड़े ने विधायकों ने कहा कि वह सभी विधायकों को व्यक्तिगत रूप से नहीं जानते। इसलिए एक-एक से मुलाकात कर उनके साथ आत्मीय संबंध बनाना चाहते हैं।

विधायकों ने मांगा फंड, अधिकारियों की खिंचाई की, सचिवालय में रेस्टहाउस की जरूरत पर जोर

भाजपा प्रभारी ने चार-चार और पांच-पांच विधायकों के समूह में उनके साथ हर तरह की बात की। हंसी-ठिठोली भी हुई। सरकार व संगठन की तारीफों के पुल बंधे तो साथ ही खामियों पर भी खुलकर चर्चा की गई। तावड़े ने विधायकों से पूछा कि क्या उनका मंत्रियों और मुख्यमंत्री के साथ तालमेल ठीक है? संगठन में उनकी कितनी सुनवाई होती है? सरकार के कामकाज से वह कितने खुश हैं? सरकार को लोकप्रियता बढ़ाने तथा जनता की सुनवाई के लिए क्या कुछ करना चाहिये? तावड़े के इन सवालों के जवाब विधायकों ने अपने-अपने ढंग से दिए।

सरकार और संगठन के साथ विधायकों के रिश्तों की नापी थाह, सांसदों से पहले ही कर चुके संवाद

भाजपा प्रभारी के इस संवाद की खास बात यह रही कि उन्होंने विधायकों के हलके से संकेत को पूरी गंभीरता से आत्मसात किया। विधायक दीपक मंगलवा, सुधीर सिंगला, नरेंद्र गुप्ता, राजेश नागर, विनोद भ्याना और डा. कमल गुप्ता वाले समूह में विधायकों को सांसदों की तर्ज पर विधायक निधि दिए जाने का सुझाव आया। विधायक सुधीर सिंगला ने कहा कि सचिवालय में जब मंत्री अपने कार्यालयों में नहीं होते तो वहां विधायकों के बैठने का कोई स्थान निश्चित नहीं है। इसलिए विधायकों के लिए एक प्रतीक्षारत कम रेस्टरूम बनाया जाना चाहिए, ताकि मंत्रियों के आने पर वहां उनका स्टाफ विधायकों को सूचित कर सके।

विनोद तावड़े का विधायकों से संवाद दोपहर बाद तीन बजे शुरू हुआ और शाम को पांच बजे तक चलता रहा। इसके बाद तावड़े ने विधायकों से मिले फीडबैक पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल के साथ रात को चर्चा की। मुख्यमंत्री की ओर से उनके निवास पर तावड़े को रात्रिभोज दिया गया था। तावड़े मंत्रियों के साथ भी बृहस्पतिवार को संवाद करने वाले हैं। संवाद के दौरान इन बिंदुओं पर भी चर्चा हुई कि आखिर कौन से कारण हैं, जिनकी वजह से विधायक संतुष्ट नहीं हैं।

घूम फिरकर बात अधिकारियों की कार्य प्रणाली पर आई। विधायकों ने कहा कि अधिकारियों को दोटूक निर्देश दिए जाने चाहिएं कि उनके काम न केवल किए जाएं, बल्कि प्रमुखता और तेजी के साथ निपटाए जाएं। विधायक हरविंद्र कल्याण के अनुसार यह संवाद कयास आधारित कम बल्कि विधायकों व प्रभारी के बीच आपसी समझदारी विकसित करने वाला ज्यादा रहा है।

किसान आंदोलन पर भी लिया तावड़े ने फीडबैक

विधायकों से मन की बात जानकर तावड़े भाजपा-जजपा गठबंधन की सरकार और संगठन के बारे में भी पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं। तावड़े ने विधायकों के साथ किसान आंदोलन पर भी चर्चा की है। विधायक नरेंद्र गुप्ता व हरविंद्र कल्याण के अनुसार यह अकेला विषय नहीं रहा। हर तरह की बात हुई। इसे सद्भावनापूर्ण परिचयात्मक बातचीत कहा जाए तो ज्यादा अच्छा रहेगा।

कई विधायकों ने जहां आंदोलन की वजह से पार्टी व सरकार को बड़ा नुकसान होने की बात कही है, वहीं कुछ ने यह भी कहा है कि उनके एरिया में आंदोलन का असर नहीं है। किसानों के साथ बातचीत करने और कृषि कानूनों के बारे में उन्हें जागरूक करने के निर्देश भी प्रदेश प्रभारी दे रहे हैं।

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