दिल्ली में आज तय होगी रण की नीति; शाह BJP नेताओं में भरेंगे और जोश, हुड्डा कांग्रेस में आर-पार की लड़ाई को तैयार
हरियाणा के प्रमुख दल भाजपा और कांग्रेस दिल्ली में रविवार को विधानसभा चुनाव की रणनीति तय करेंगे।
जेएनएन, नई दिल्ली। हरियाणा के प्रमुख दल भाजपा और कांग्रेस दिल्ली में रविवार को विधानसभा चुनाव की रणनीति तय करेंगे। लोकसभा चुनाव में ऐतिहासिक जीत के बाद प्रदेश भाजपा कोर कमेटी की बैठक पार्टी मुख्यालय में राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह लेंगे। वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने राज्य में लोकसभा की सभी दस सीटें हारने के बाद पार्टी आलाकमान को अपना दमखम दिखाने के लिए समर्थकों बुलाया है।
अमित शाह पार्टी की प्रदेश कोर कमेटी के साथ विधानसभा चुनाव में कुल 90 सीटों में जीत का लक्ष्य तय करेंगे। यह बैठक रविवार सुबह 11 बजे होगी। मुख्यमंत्री मनोहर लाल पिछले सप्ताह जीत के लिए लक्ष्य 67 सीट का तय कर चुके हैं, हालांकि राष्ट्रीय अध्यक्ष के स्तर पर यह बढ़ भी सकता है। लोकसभा चुनाव में पार्टी ने सभी दस सीटों पर जीत दर्ज करते हुए 79 विधानसभाओं में जीत का परचम लहराया है।
सूत्र बताते हैं कि कोर कमेटी में नेताओं से लोकसभा चुनाव की तर्ज पर राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रादेशिक स्तर के राजनीतिक मुद्दों की भी जानकारी लेंगे। बता दें, अमित शाह ने लोकसभा चुनाव की तैयारियों के लिए प्रदेश की कोर कमेटी में बूथ स्तर पर प्रबंधन और राजनीतिक मुद्दा खड़ा करने की नसीहत दी थी। इस बैठक में मुख्यमंत्री मनोहर लाल सहित प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला और वरिष्ठ मंत्री व नेता हिस्सा लेंगे।
अहम होगा हुड्डा समर्थकों का जमावड़ा
लोकसभा चुनाव में हरियाणा की सभी दस सीटों पर कांग्रेस की हार के बाद मंगलवार को नई दिल्ली में पार्टी नेताओं के बीच हुई तकरार से अलग पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने रविवार को राज्यभर से अपने समर्थकों को दिल्ली बुलाया है। इसमें जुटे नेताओं से हुड्डा के सियासी कद का भी फैसला होगा।
अभी तक माना जा रहा है कि इसमें सिर्फ हुड्डा समर्थक कांग्रेस विधायक, पूर्व विधायक, पूर्व सांसद और वरिष्ठ नेता ही हिस्सा लेंगे। यदि इस बैठक से कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अशोक तंवर, विधायक दल की नेता किरण चौधरी, राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख रणदीप सुरजेवाला, पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा और विधायक कुलदीप बिश्नोई भी दूर रहते हैं तो पार्टी आलाकमान को यह स्पष्ट आभास हो जाएगा कि प्रदेश के नेताओं के बीच आपसी समन्वय अभी तक नहीं है।
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