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अतिथि अध्‍यापकों की हो गई बल्‍ले-बल्‍ले, अब 58 साल की उम्र तक रहेगी नौकरी

हरियाणा के अतिथि अध्‍यापकों के लिए बड़ी खुशखबरी है। राज्‍य विधानसभा में आज हरियाणा अतिथि शिक्षक सेवा विधेयक पारित हो गया। इससे राज्‍य में अतिथि अध्‍यापकों की सेवा स्‍थायी होगी।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Wed, 27 Feb 2019 02:40 PM (IST)Updated: Thu, 28 Feb 2019 08:50 AM (IST)
अतिथि अध्‍यापकों की हो गई बल्‍ले-बल्‍ले, अब 58 साल की उम्र तक रहेगी नौकरी
अतिथि अध्‍यापकों की हो गई बल्‍ले-बल्‍ले, अब 58 साल की उम्र तक रहेगी नौकरी

चंडीगढ़, [अनुराग अग्रवाल]। हरियाणा के अति‍थि अध्‍यापकों के लिए बड़ी खुशखबरी है। राज्‍य की भाजपा सरकार ने करीब 14 साल पहले लगे अतिथि अध्यापकों को रोजगार की गारंटी दी है। राज्य के लगभग 14 हजार अतिथि अध्यापकों को 58 साल की उम्र तक नहीं हटाया जाएगा। प्रदेश की भाजपा सरकार ने 2014 के विधानसभा चुनाव में अतिथि अध्यापकों को पक्का करने का वादा किया था। वादे के पांच साल बाद इन अध्यापकों को स्थायित्व प्रदान कर दिया गया है।

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रिटायरमेंट तक नहीं हटेंगे 14 हजार अतिथि अध्यापक
हरियाणा के शिक्षा एवं संसदीय कार्य मंत्री प्रो. रामबिलास शर्मा ने विधानसभा में हरियाणा अतिथि शिक्षक सेवा विधेयक 2019 पेश करते हुए इन अध्यापकों से किया वादा पूरा करने का एेलान किया। इन अतिथि अध्यापकों को फिलहाल वही मानदेय मिलेगा, जो मौजूदा समय में दिया जा रहा है। लेकिन, इसमें लगातार बढ़ोतरी होती रहेगी। जेबीटी को 26 हजार, टीजीटी को 30 हजार और पीजीटी को 36 हजार रुपये मासिक मानदेय दिया जा रहा है।

सेवा नियम लागू, मानदेय और भत्तों में हर साल एक जनवरी और एक जुलाई को बढ़ोतरी होगी
शिक्षा मंत्री प्रो. रामबिलास शर्मा ने दावा किया कि अतिथि अध्यापकों को दिए जाने वाले मानदेय की मद में हर साल 505 करोड़ रुपये खर्च होंगे। यह मानदेय हर साल एक जनवरी तथा एक जुलाई से उसी अनुपात में बढ़ाया जाएगा, जिस अनुपात में नियमित सरकारी कर्मचारियों को महंगाई भत्ते का भुगतान किया जाता है। प्रो. शर्मा ने अतिथि अध्यापकों को स्थायित्व प्रदान करने के फैसले को सरकार की बड़ी उपलब्धि करार दिया है।


11 साल का संघर्ष, 54 आंदोलन, 5 आत्महत्या, 180 मौत और एक शहादत

- अतिथि अध्यापकों का संघर्ष 11 साल के लंबे अंतराल के बाद रंग लाया है। इस दौरान छोटे बड़े 54 आंदोलन हुए।
- पिछली हुड्डा सरकार में 20 दिसंबर 2005 से 16 दिसंबर 2007 के बीच 22 हजार अतिथि अध्यापक लगे थे।
- 13 जून 2015 को सरकार ने 3581 अतिथि अध्यापकों को सरप्लस बताते हुए हटा दिया। अतिथि अध्यापक सुप्रीम कोर्ट में केस जीत गए। इसके बाद पक्का करने का आंदोलन तेज हुआ।
- पिछले 14 साल में करीब आठ हजार अतिथि अध्यापक या तो दूसरे विभागों में लग गए या फिर उन्होंने नौकरी छोड़कर अन्य काम धंधे अपना लिए।
- 2008 में पहला बड़ा आंदोलन हुआ। इसमें पुलिस लाठीचार्ज और गोलीबारी के दौरान राजरानी शहीद हो गई।
- 13 जून 2015 को 3581 अतिथि अध्यपाकों को सरप्लस बताकर हटाने के सदमे में पांच अतिथि अध्यापकों ने आत्महत्या कर ली और 180 अतिथि अध्यापक विभिन्न कारणों से दिवंगत हो गए।
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कांग्रेस ने किया भाजपा के फैसले का समर्थन
कांग्रेस विधायक करण सिंह दलाल ने सरकार के फैसले का स्वागत किया। साथ ही कहा कि अतिथि अध्यापकों को नियमित करते हुए 2005 से तमाम सुविधाओं का लाभ मिलना चाहिए। उन्होंने अतिथि अध्यापकों को लगाने का श्रेय पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा को दिया। साथ ही कहा कि सरकार ने अतिथि अध्यापकों को पक्का नहीं किया है, 58 साल तक सिर्फ रोजगार की गारंटी दी है।
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''अतिथि अध्यापकों को 2005 में 50 रुपये प्रति पीरियड मिलते थे। फिर 70 रुपये दिए गए। 2009 में उनका मानदेय 13 हजार 500 हुआ। 2014 में हमने 36 हजार रुपये मानदेय किया। अपने वादे के अनुरूप हमने एक भी अतिथि अध्यापक को नहीं हटाया। हमने उन्हें पक्का कर दिया है। सभी अतिथि अध्यापक नियमित कर्मचारी की तरह ट्रीट होंगे। उनके मानदेय और सुविधाओं में नियमित कर्मचारियों की तरह बढ़ोतरी होगी।
                                                                                      - प्रो. रामबिलास शर्मा, शिक्षा मंत्री, हरियाणा।


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