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लोकायुक्त की साइकिल खरीद व गबन मामले में IAS प्रवीण कुमार के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश

नगर निगम गुरुग्राम ने 600 के करीब साइकिलें खरीदी और फिर लोगों व एनजीओ को दान कर दी गई। मामले में तत्कालीन आयुक्त प्रवीण कुमार के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की गई है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Thu, 28 May 2020 06:39 PM (IST)Updated: Thu, 28 May 2020 06:39 PM (IST)
लोकायुक्त की साइकिल खरीद व गबन मामले में IAS प्रवीण कुमार के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश
लोकायुक्त की साइकिल खरीद व गबन मामले में IAS प्रवीण कुमार के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश

चंडीगढ़ [दयानंद शर्मा]। साल 2004 में लगभग 33 लाख रुपये खर्च कर नगर निगम गुरुग्राम ने 600 के करीब साइकिलें खरीदी और बाद में वह साइकिलें लोगों व एनजीओ को दान कर दी गई। इस बाबत सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी गई जो चौकाने वाले खुलासे हुए। हैरानी की बात यह थी कि साइकिल किसको दी गई, उसका निगम के पास कोई रिकार्ड नहीं था। किस आदेश के तहत दी गई, उसका किसी फाइल में कोई ब्यौरा नहीं था। एमसी आयुक्त ने किस आधार पर साइकिल खरीदी इसका भी कोई स्पष्ट जवाब नहीं था।

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इन साइकिलों के खरीद व वितरण में भारी अनियमितता व भ्रष्टाचार पर हरियाणा के लोकायुक्त जस्टिस एनके अग्रवाल ने हरियाणा के वरिष्ठ आइएएस अधिकारी व एमसी गुरुग्राम के तत्कालीन आयुक्त प्रवीण कुमार के खिलाफ कड़ी विभागीय कार्रवाई की सिफारिश की है। लोकायुक्त ने इस मामले में गड़बड़ी करने वाले अधिकारियों की व्यक्तिगत जेब से 33.71 लाख रुपये की राशि वसूलने की सिफारिश भी की है।

प्रवीण कुमार जब गुरुग्राम के एमसी आयुक्त थे तो उन्होंने राहगिरी कार्यक्रम के माध्यम से साइकिल वितरित की थी। लोकायुक्त ने अपने आदेश में कहा कि इस तरह के आयोजन निश्चित रूप से जनता के हित में है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि जनहित की आड़ में कोई भी अधिकारी 50 लाख रुपये की सीमा के दायरे में किसी भी व्यक्ति को साइकिलें खरीद कर दान कर सकता है, वह भी बिना कोई रिकार्ड बनाए।

लोकायुक्त ने कहा कि जिन व्यक्तियों को साइकिलें वितरित की गईं उनका कोई अता पता नहीं। अधिकारियों द्वारा उठाए गए दो अलग-अलग पक्षों पर भी आश्चर्य व्यक्त किया है। एक पक्ष के अनुसार 428 साइकिलें एक एनजीओ को सौंप दी गई थीं, जबकि एक हलफनामे में अधिकारियों का जवाब था कि 428 साइकिलें दो एनजीओ के बीच बांटी गई थीं।

इस मामले में अधिकारियों द्वारा दिया गया जवाब भी मामले में संदेह पैदा करता है, जिसमें एक बार कहा गया है कि 600 साइकिलें खरीदी गई थीं। कुल मिला कर यह एक बड़ी राशी का गबन हैं। लोकायुक्त ने अन्य अधिकारियों जिसमें पंकज और राजीव कुमार, तत्कालीन कनिष्ठ अभियंता राजीव यादव और नरेंद्र सुहाग, तत्कालीन सहायक अभियंता और रमन शर्मा, तत्कालीन कार्यकारी अभियंता, एमसी गुडग़ांव के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की सिफारिश की है।

लोकायुक्त ने सरकार को तीन महीने के भीतर इस आदेश पर लोकायुक्त कार्यालय में रिपोर्ट भी देने का आदेश दिया है। यह मामला लोकायुक्त के सामने गुडग़ांव निवासी असीम ताकियार द्वारा दायर शिकायत के बाद पहुंचा था, जिन्हेंं आरटीआइ के तहत साइकिल खरीदने और कथित गबन के संबंध में जानकारी मिली थी।


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