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AJL Plot आवंटन व मानेसर भूमि घोटाला मामले में हुड्डा कोर्ट में पेश, मोतीलाल वोरा को राहत

हरियाणा के पूर्व मुख्‍यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा शुक्रवार को पंचकूला की विशेष अदालत में पेश हुए। उनकी पेशी एजेएल भूमि आवंटन व मानेसर भूमि घोटाले में हुई।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Fri, 31 May 2019 10:56 AM (IST)Updated: Fri, 31 May 2019 12:18 PM (IST)
AJL Plot आवंटन व मानेसर भूमि घोटाला मामले में हुड्डा कोर्ट में पेश, मोतीलाल वोरा को राहत
AJL Plot आवंटन व मानेसर भूमि घोटाला मामले में हुड्डा कोर्ट में पेश, मोतीलाल वोरा को राहत

पंचकूला, जेएनएन। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा शुक्रवार को AJL (एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड) plot allotment case और Manesar land scam case में पंचकूला की की विशेष सीबीआइ अदालत में पेश हुए। हुड्डा के साथ दाेनों मामलों में आरोपित अन्‍य लोग भी पेशी के लिए पहुंचे। हुड्डा के साथ उनके वकील और कई कांग्रेस नेता भी थे। दाेनों मामलों में हुड्डा कई बार कोर्ट में पेश हो चुके हैं। AJL के तत्‍कालीन चेयरमैन मोतीलाल वोरा को काेर्ट से राहत मिली है।

अदालत में बचाव पक्ष द्वारा मामले में आरोपित मोतीलाल वोरा को बड़ी उम्र और मेडिकल कारणों के चलते पेशी छूट देने की याचिका को मंजूर कर लिया है। मामले की अगली सुनवाई अब 12 जुलाई को होगी। उससे पहले सीबीआइ को बचे हुए दस्तावेज बचाव पक्ष को सौंपने होंगे। प्लॉट आवंटन मामले में विशेष सीबीआइ कोर्ट में चार्जशीट की स्क्रूटनी पहले ही पूरी हो चुकी है। पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा और मोती लाल वोरा के खिलाफ की 1 दिसंबर 2018 को चार्जशीट दाखिल की गई थी।

मानेसर भूमि घोटाले में  भी अदालत में सुनवाई हुई। पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा व अन्य आरोपित कोर्ट में पेश हुए। सुनवाई के दौरान मामले के एक आरोपित जसवंत को मामले से डिस्चार्ज के लिए बचाव पक्ष ने याचिका लगाई। इस मामले में अगली सुनवाई अब 6 जून को होगी।

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भूपेंद्र सिंह हुड्डा शुक्रवार सुबह अपने वकीलों और कई कांग्रेस नेताओं के साथ पंचकूला के अदालत परिसर में पहुंचे और इसके बाद वह अदालत में पेश हुए। अदालत में पेश होने से पहले वह अपने वकीलों से विचार-विमर्श करते भी दिखे। हुड्डा के साथ दोनों मामलों के कई अन्‍य आरोपित भी कोर्ट में पेश हुए।

इससे पहले की सुनवाई में एजेएल प्लॉट आवंटन मामला मेंसीबीआइ ने बचाव पक्ष को मांगे गए दस्तावेज सौंपे थे। वहीं बचाव पक्ष ने मामले में आरोपित मोतीलाल वोहरा के उम्र और मेडिकल कारणों के चलते पेशी से स्‍थायी छूट के लिए कोर्ट में याचिका लगाई थी। इस याचिका पर सीबीआइ कोर्ट आज फैसला सुनाया और वाेरा को पेशी से स्‍थायी छूट दे दी। 

मानेसर भूमि मामले में पिछली कई सुनवाई में अनुपस्थित रहे आरोपित अतुल बंसल अप्रैल के शुरू में हुई सुनवाई के दौरान भी सीबीआइ कोर्ट में पेशी के लिए नहीं आए थे। इसके बाद सीबीआइ कोर्ट ने अतुल बंसल को भगोड़ा घोषित करने की कार्रवाई शुरू करने का आदेश दिया। आज इसपर भी सुनवाई होगी।

हुड्डा पर आरोप है कि उनकी सरकार के दौरान नेशनल हेराल्ड का प्रकाशन करने वाली कंपनी एसोसिएट्स जनरल लिमिटेड (एजेएल) को सन् 2005 में नियमों के विपरीत भूखंड आवंटित किया गया। इससे सरकार को 67.65 लाख रुपये का नुकसान हुआ। यह प्लाट पंचकूला के सेक्टर छह में सी-17 है।

यह प्लाट 24 अगस्त 1982 को आवंटित किया गया था। तब चौधरी भजनलाल मुख्‍यमंत्री थे। उस समय इसे नेशनल हेराल्ड के हिंदी संस्करण नवजीवन को दिया गया था। कंपनी को इस पर छह माह में निर्माण शुरू करके दो साल में काम पूरा करना था। कंपनी 10 साल में भी ऐसा नहीं कर पाई।  

30 अक्टूबर 1992 को हरियाणा अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी (अब हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण) ने अलॉटमेंट कैंसिल करके प्लॉट को रिज्यूम कर लिया था। इसके बाद इसे हुड्डा सरकार के दौरान 2005 में फिर से 1982 की मूल दरों पर आवंटित कर दिया गया, जबकि इसे 2005 की दरों पर जारी किया जाना चाहिए था।

इससे पहले प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने नेशनल हेरॉल्ड के स्वामित्व वाली कंपनी एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड (एजेएल) को प्लाट आवंटन करने के मामले में बड़ी कार्रवाई की थी। ईडी ने कंपनी के पंचकूला सेक्टर 6 स्थित प्लाट सी 17 को अटैच कर दिया। ईडी द्वारा इस प्लाट को अटैच कर दिए जाने से इस पर कोई काम नहीं हो सकेगा।

बता दें, प्लॉट आवंटन मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो की विशेष अदालत में दिसंबर 2018 में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, एजेएल के तत्कालीन चेयरमैन कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा और एजेएल के खिलाफ चार्जशीट दायर की गई थी। अब इनके खिलाफ विशेष सीबीआइ कोर्ट में ट्रायल चलेगा।

बता दें कि 24 अगस्त 1982को पंचकूला सेक्टर छह में 3360 वर्गमीटर का प्लॉट नंबर सी -17 तत्कालीन मुख्यमंत्री भजनलाल ने एजेएल प्रकाशन समूह के हिंदी अखबार नवजीवन को अलॉट किया था। कंपनी को इस पर छह माह में निर्माण शुरू करके दो साल में काम पूरा करना था, लेकिन वह 10 साल में भी ऐसा नहीं कर पाई। इसके बाद 30 अक्टूबर 1992 को हुडा ने अलॉटमेंट कैंसिल करके प्लॉट को वापस ले लिया।

14 मार्च 1998 को एजेएल की ओर से आबिद हुसैन ने चेयरमैन हुडा को प्लॉट अलॉटमेंट की बहाली के लिए अपील की। 14 मई 2005 को हुडा के चेयरमैन ने अफसरों को एजेएल कंपनी के प्लॉट अलॉटमेंट की बहाली की संभावनाएं तलाशने को कहा, लेकिन कानून विभाग ने अलॉटमेंट बहाली के लिए साफ तौर पर इन्कार कर दिया।

18 अगस्त 1995 को नए आवंटन के लिए आवेदन मांगे गए। इसमें एजेएल कंपनी को भी आवेदन करने की छूट दी गई। 28 अगस्त 2005 को हुड्डा ने एजेएल को ही 1982 की मूल दर पर प्लॉट अलॉट कर दिया। साथ ही कंपनी को छह माह में निर्माण शुरू करके एक साल में काम पूरा करने को भी कहा। एजेएल अंग्रेजी में नेशनल हेराल्ड, हिंदी में नवजीवन और उर्दू में कौमी आवाज अखबारों का प्रकाशक रहा हैै।

हुडा के अध्यक्ष के नाते लपेटे में आए हुड्डा

हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (हुडा) की शिकायत पर राज्य सतर्कता विभाग ने मई 2016 को इस मामले में केस दर्ज किया। चूंकि मुख्यमंत्री हुडा के पदेन अध्यक्ष होते हैं और यह गड़बड़ी भूपेंद्र सिंह हुड्डा के कार्यकाल में हुई, इसलिए उनके खिलाफ मामला दर्ज हुआ है। सतर्कता ब्यूरो ने 5 मई 2016 को भादसं की धारा 409, 420 और 120बी के तहत केस दर्ज किया था। 5 अप्रैल 2017 को राज्य सरकार ने मामला सीबीआइ को सौंप दिया। सीबीआइ ने हुड्डा के खिलाफ 120बी, 420 एवं सेक्टर 13 (2) आर/डब्ल्यू 13 (1) डी के तहत चार्जशीट दाखिल की।

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