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भूपेंद्र सिंह हुड्डा का नेता प्रतिपक्ष बनना तय, पार्टी हाईकमान ने लगाई मुहर

हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा विधानसभा में विपक्ष के नेता होंगे। कांग्रेस हाईकमान ने उनके विपक्ष के नेता पद के नाम पर मुहर लगा दी है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Mon, 28 Oct 2019 07:36 PM (IST)Updated: Tue, 29 Oct 2019 05:58 PM (IST)
भूपेंद्र सिंह हुड्डा का नेता प्रतिपक्ष बनना तय, पार्टी हाईकमान ने लगाई मुहर
भूपेंद्र सिंह हुड्डा का नेता प्रतिपक्ष बनना तय, पार्टी हाईकमान ने लगाई मुहर

जेएनएन, चंडीगढ़। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा विधानसभा में विपक्ष के नेता होंगे। कांग्रेस हाईकमान ने उनके विपक्ष के नेता पद के नाम पर मुहर लगा दी है। कांग्रेस विधायक दल की बैठक में हुड्डा को पहले दल का नेता चुना जाएगा। फिर विधानसभा में हुड्डा विपक्ष के नेता पद के लिए दावेदारी पेश करेंगे।हरियाणा कांग्रेस विधायक दल की बैठक पहले मंगलवार को होनी थी, लेकिन इसे अचानक स्थगित कर दिया गया है। हुड्डा दो दिन तक मंगलवार और बुधवार को चंडीगढ़ में ही रहेंगे। हुड्डा के कोर्ट केस में व्यस्तता की वजह से विधायक दल की मीटिंग किसी अन्य दिन रखने का फैसला हुआ है।

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कांग्रेस हाईकमान ने हुड्डा के विपक्ष का नेता बनने पर मुहर लगा दी है। अब सिर्फ औपचारिकता निभानी बाकी है। राज्य के मौजूदा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के 31 विधायक चुनकर आए हैं। करीब एक दर्जन सीटें ऐसी हैं, जहां कांग्रेस प्रत्याशियों की जीत का अंतर काफी कम है। कुछ सीटों पर कांग्रेस प्र त्याशी भीतरघात और बगावत के चलते हारे हैं। ऐसा टिकट वितरण में वाजिब प्रत्याशियों के चयन की वजह से भी हुआ है। पिछले चुनाव में कांग्रेस के 15 विधायक थे। तत्कालीन दो हजकां विधायकों कुलदीप बिश्नोई व रेणुका बिश्नोई के कांग्रेस में शामिल हो जाने के बाद विधायकों की संख्या बढ़कर 17 हो गई थी।

कांग्रेस ने पिछले चुनाव की अपेक्षा इस बार 14 विधायकों की बढ़ोतरी दर्ज की है। इससे हुड्डा और सैलजा की जोड़ी का कांग्रेस हाईकमान में राजनीतिक कद बढ़ा है। धरातल पर पूर्व सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा का माइक्रो मैनेजमेंट भी काम किया है। दीपेंद्र हुड्डा ने परदे के पीछे रहकर पूरा चुनाव प्रबंधन संभाला। यही वजह रही कि भाजपा लाख कोशिश के बावजूद हुड्डा का गढ़ भेदने में कामयाब नहीं हो सकी। भाजपा ने हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व अमित शाह की रैलियों का फोकस हुड्डा के गढ़ में रखा, लेकिन पिता हुड्डा और बेटे दीपेंद्र ने सैलजा के साथ मिलकर पूरी मजबूती से चुनाव लड़ा।

हुड्डा अपने कई पुराने साथियों और नए लोगों को चुनाव जितवाने में कामयाब रहे। राष्ट्रीय दलित चेहरे के रूप में कु. सैलजा की पकड़ भी इस चुनाव में साबित हुई है। अंबाला व सिरसा संसदीय क्षेत्रों में कु. सैलजा का सीधा दखल रहा है। इन दोनोंं संसदीय क्षेत्रों से सैलजा सांसद रह चुकी हैं। रोहतक व सोनीपत संसदीय क्षेत्र में हुड्डा सीधे तौर पर लोगों से जुड़े हुए हैं। अब हुड्डा भविष्य की राजनीति करते हुए अपने बेटे दीपेंद्र सिंह को आगे करेंगे। हुड्डा के मीडिया सलाहकार सुनील परती के अनुसार फिलहाल विधायक दल की बैठक का समय तय नहीं है, लेकिन संख्या बल के आधार पर पूर्व सीएम का विधानसभा में विपक्ष का नेता बनना तय है।

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