अब की बार सोनिया ने नहीं की देर, हुड्डा होंगे हरियाणा कांग्रेस विधायक दल और विपक्ष के नेता
हरियाणा में चुनाव से पूर्व की सियासी चूक से सबक लेते हुए भूपेंद्र सिंह हुड्डा को प्रदेश कांग्रेस विधायक दल का नेता बनाने में सोनिया गांधी ने जरा भी देरी नहीं की।
जेएनएन, नई दिल्ली। हरियाणा में चुनाव से पूर्व की सियासी चूक से सबक लेते हुए भूपेंद्र सिंह हुड्डा को प्रदेश कांग्रेस विधायक दल का नेता बनाने में जरा भी देरी नहीं की गई। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने विधायक दल की बैठक में पारित प्रस्ताव के अगले ही दिन हुड्डा को विधायक दल का नेता नियुक्त कर दिया। कांग्रेस नेतृत्व के इस फैसले के साथ ही भूपेंद्र सिंह हुड्डा हरियाणा में विपक्ष के नेता भी होंगे।
हुड्डा की अगुआई में चुनाव मैदान में उतरी कांग्रेस को भले बहुमत नहीं मिला, मगर पार्टी ने राजनीतिक धारणाओं के विपरीत जिस तरह का प्रदर्शन किया उसे देखते हुए विधायक दल के नेता पद के वे स्वाभाविक दावेदार थे। इसके बावजूद कांग्रेस की अंदरूनी सियासी गुटबाजी शुक्रवार को चंडीगढ़ में पार्टी विधायक दल की बैठक में सामने आ गई।
हरियाणा के प्रभारी महासचिव गुलाम नबी आजाद और विधायक दल की बैठक के लिए भेजे गए केंद्रीय पर्यवेक्षक मधुसूदन मिस्त्री की मौजूदगी में अधिकांश विधायकों ने हुड्डा को नेता बनाने की राय दी, मगर चंद विधायकों ने किरण चौधरी के नाम का भी प्रस्ताव कर दिया, इसलिए विधायक दल की बैठक में सोनिया गांधी को नेता चुनने के लिए अधिकृत कर दिया गया।
मधुसूदन मिस्त्री ने विधायकों की राय से शनिवार सुबह कांग्रेस अध्यक्ष को रूबरू करा दिया। बताया जाता है कि कांग्रेस के 25 से अधिक विधायकों ने हुड्डा को नेता बनाने का समर्थन किया। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी सैलजा भी हुड्डा के पक्ष में थीं, जबकि किरण चौधरी के पक्ष में बमुश्किल आधा दर्जन विधायक ही रहे, इसीलिए सोनिया गांधी ने भी बिना देरी किए भूपेंद्र सिंह हुड्डा को विधायक दल का नेता नियुक्त कर दिया। हाईकमान के फैसले के तत्काल बाद गुलाम नबी आजाद ने हुड्डा के विधायक दल के नेता की हैसियत से नेता प्रतिपक्ष बनने की घोषणा कर दी।
वैसे भी कांग्रेस के हरियाणा में सत्ता की दहलीज पर पहुंचकर भी दूर रह जाने के लिए पार्टी आलाकमान की रणनीति को काफी हद तक जिम्मेदार ठहराया गया है। भूपेंद्र सिंह हुड्डा को सूबे में पार्टी का चेहरा बनाकर कमान सौंपने में हुई देरी को सत्ता की दौड़ में पिछडऩे का प्रमुख कारण माना जा रहा है। हाईकमान की दुविधा की वजह से ही चुनाव से महज एक महीने पहले हुड्डा को सूबे की कमान दी गई। चुनाव नतीजों के बाद खुद हुड्डा ने भी कहा कि नेतृत्व को लेकर फैसले करने में हुई देरी की वजह से सत्ता कांग्रेस के हाथों से दूर रह गई। शायद यही वजह रही कि सोनिया गांधी ने विधायक दल की ओर से अधिकृत किए जाने के चौबीस घंटे के भीतर हुड्डा को नियुक्त कर पिछली चूक से सबक लेने का साफ संकेत दे दिया।
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