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बीरेंद्र सिंह ने जताई गेहूं खरीद में देरी पर चिंता, हुड्डा ने की मनोहर लाल से बात

भाजपा नेता व पूर्व मंत्री बीरेंद्र सिंह ने गेहूं खरीद में देरी पर चिंता जताई। कहा कि आढ़तियों व किसानों के साथ त्रिपक्षीय वार्ता बुलाकर मसले का समाधान किया जाए।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Thu, 23 Apr 2020 03:18 PM (IST)Updated: Fri, 24 Apr 2020 07:11 AM (IST)
बीरेंद्र सिंह ने जताई गेहूं खरीद में देरी पर चिंता, हुड्डा ने की मनोहर लाल से बात
बीरेंद्र सिंह ने जताई गेहूं खरीद में देरी पर चिंता, हुड्डा ने की मनोहर लाल से बात

जेएनएन, चंडीगढ़। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, वरिष्ठ नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला के बाद अब पूर्व केंद्रीय मंत्री व भाजपा नेता बीरेंद्र सिंह ने भी हरियाणा में गेहूं खरीद में हो रही देरी पर चिंता जताई है। बीरेंद्र सिंह ने हरियाणा सरकार से कहा है कि आढ़तियों व किसानों के साथ त्रिपक्षीय वार्ता बुलाकर मसले का समाधान किया जाए, ताकि किसानों की गेहूं खरीद में दिक्कतें न आ सकें।

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हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल और डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला हालांकि आढ़तियों की कोई मांग लंबित नहीं होने का दावा कर रहे हैैं, लेकिन आढ़ती चाहते हैैं कि खरीद प्रणाली ऑनलाइन न की जाए। आढ़तियों की जिद के चलते सरकार वैकल्पिक बंदोबस्त भी करने में जुटी है। दीनबंधु सर छोटूराम के नाती बीरेंद्र सिंह ने हरियाणा की अनाज मंडियों में चल रहे विवाद पर ट्वीट के माध्यम से टिप्पणी की है।

बीरेंद्र सिंह ने एक के बाद एक दो ट्वीट किए हैं। उन्होंने पहले ट्वीट में कहा है कि हरियाणा में गेहूं की खरीद में हो रही देरी अत्यंत चिंता का विषय है। न केवल प्रदेश की अर्थव्यवस्था और किसान को मौसम की मार का डर है, देश की मौजूदा आर्थिक परिस्थितियों में यह विषय और भी गंभीर हो जाता है।

 मेरा सुझाव है कि सरकार आढ़ती व किसान वर्ग के साथ तुरंत त्रीपक्षीय वार्ता बुलाए व “आम-सहमति व अनुकम्पा” की भावना को सम्मलित कर एक घोषणा पत्र जारी करे, जिसके आधार पर तुरंत गेंहु की ख़रीद शुरू हो सके। https://t.co/CDswRzntkI" rel="nofollow

— Birender Singh (@ChBirenderSingh) April 22, 2020

अपने दूसरे ट्वीट में बीरेंद्र सिंह ने सरकार को सुझाव दिया है कि सरकार आढ़ती व किसान वर्ग के साथ तुरंत त्रिपक्षीय वार्ता बुलाए। आम सहमति व अनुकंपा की भावना को सम्मलित कर एक घोषणा पत्र जारी करे जिसके आधार पर तुरंत गेहूं की खरीद हो सके।

हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने भी प्रदेश की मंडियों में किसानों की फसल की बिक्री नहीं होने तथा अव्यवस्थाएं फैलने का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री मनोहर लाल से फोन पर लंबी बातचीत की। हुड्डा ने मनोहर लाल से आग्रह किया कि आढ़तियों के साथ समन्वय बनाकर खरीद को सुचारू रूप से कराने की व्यवस्था की जाए।

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल से कहा कि जिस गति से गेहूं व सरसों की सरकारी खऱीद हो रही है, उस हिसाब से तो चार माह तक भी अनाज नहीं खरीदा जा सकेगा। सरसों की खऱीद तो और भी धीमी गति से हो रही है। एक सप्ताह में पैदावार का 15 प्रतिशत भी खरीद नहीं हो पाई। किसान इस बात को लेकर चिंतित है कि जब तक यह फसल नहीं बिकती, तब तक वह अगली फसल की बुआई कैसे कर पाएगा। इसलिए देश और किसान हित में अन्नदाता की फसल खरीद की गति को तेज किया जाना चाहिए।

हुड्डा ने कहा कि महामारी के इस दौर में विपक्ष किसी तरह की राजनीति नहीं करना चाहता, लेकिन किसानों की ऐसी हालत देखकर चुप रहना बड़ी नाइंसाफी होगी। किसानों की पीड़ा हमारे लिए असहनीय है। सत्तापक्ष हो या विपक्ष, सभी की जिम्मेदारी बनती है कि वह किसान की आवाज उठाए। आज आढ़ती आंदोलन कर रहे हैं और सरकार अपनी जिद पर अड़ी है। दोनों के टकराव का ख़ामियाजा अन्नदाता को भुगतना पड़ रहा है। पहले धान, फिर सरसों और अब किसान के गेहूं की भी मंडियों में सरकार के अडिय़ल रवैये से बिरान मिट्टी हो रही है। आढ़तियों के साथ बीच का रास्ता निकाले बिना खऱीद प्रक्रिया सुचारू रूप से नहीं चल सकती। हुड्डा के अनुसार चर्चा के बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने आश्वसन दिया कि किसान और आढ़तियों से बात कर समाधान निकाला जाएगा। उन्होंने तिरपाल व बारदने की व्यवस्था कराने की भी मांग की है।

सुरजेवाला का दावा, 80 फीसद मंडियों में नहीं हो रही खरीद

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता एवं पूर्व मंत्री रणदीप सिंह सुरजेवाला ने दावा किया कि हरियाणा का 70 फीसद मंडियों में हड़ताल चल रही है, जिस कारण किसानों को अपना गेहूं व सरसों बेचने में दिक्कत आ रही है। सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि भाजपा-जजपा गठबंधन की सरकार प्रदेश में किसान-आढ़ती-मजदूर के गठजोड़ को तोड़ने का षडयंत्र कर रही है। कांग्रेस इसे कामयाब नहीं होने देगी।

रणदीप सुरजेवाला ने मीडिया से रूबरू होते हुए कहा कि जींद, जुलाना, पीलूखेड़ा, सफीदों, उचाना, नरवाना, कलायत, बरवाला, उकलाना, आदमपुर, टोहाना, रतिया, फतेहाबाद व दादरी मंडियों में एक भी दाना गेहूं नहीं खरीदा गया है। गठबंधन की सरकार यह स्वीकार करने को तैयार नहीं कि आढ़ती किसान-मजदूर का चलता फिरता बैंक है। यह रिश्ता दशकों के विश्वास पर आधारित है, परंतु सरकार इस विश्वास आधारित प्रणाली को तोडऩे पर उतारू है।

सुरजेवाला ने कहा कि पहले सरकार ने आढ़तियों के लिए प्राइवेट बैंकों में खाते खोलना अनिवार्य कर दिया। हमने विरोध किया तो आदेश वापस ले लिया। अब आढ़तियों के बजाय पंचायत के माध्यम से खरीद का आदेश दे दिया गया। बदलते तुगलकी फरमानों ने पूरी खरीद प्रणाली को ही संशय के कटघरे में ला खड़ा किया है। सुरजेवाला ने कहा कि कभी वेब पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन न होने की बात कहकर तो कभी सारी जमीन का वेब पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन न होने का बहाना बनाकर किसान व आढ़ती को परेशान किया जा रहा है।

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