Exclusive interview: महागठबंधन पर हुड्डा का बड़ा संकेत, चौटाला के बारे में कही ऐसी बात
पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने हरियाणा में विपक्षी दलों के महागठबंधन पर बड़ा संकेत दिया है। उन्होंने खास बातचीत में कहा कि इसकी संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता।
चंडीगढ़। हरियाणा की दस लोकसभा सीटों पर हुई हार के बाद कांग्रेस में घमासान मचा हुआ है। हुड्डा समर्थक विधायक जहां इस हार में संगठन की कमी को अहम कारण मान रहे, वहीं उन्होंने मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष डा. अशोक तंवर को पद से हटाने की मुहिम भी तेज कर रखी है। वहीं राज्य में अगले कुछ माह में होेने वाले विधानसभा से पहले गैर भाजपा दलों के महागठबंधन की चर्चाएं भी गर्म हो रही हैं। पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने भी महागठबंधन को लेकर बड़ा संकेत दिया है। उनका कहना है कि राज्य में ऐसे गठबंधन से इन्कार नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कांग्रेस में खींचतान के बीच ओमप्रकाश चौटाला को लेकर भी बड़ी बात कही।
दरअसल राज्य कांग्रेस अब लड़ाई अक्टूबर में होने वाले विधानसभा चुनाव में नेतृत्व संभालने को लेकर है। कांग्रेस प्रभारी गुलाम नबी आजाद की मौजूदगी में अशोक तंवर जब यह कहें कि मुझे गोली मार दो और हुड्डा समथर्क कहें कि तंवर ने कांग्रेस को रसातल में पहुंचा दिया तो जाहिर है कि पार्टी में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा। तमाम घटनाक्रम के बीच हुड्डा ने 9 जून को दिल्ली में अपने खास समर्थकों की बैठक बुला ली है। चंडीगढ़ पहुंचे हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा से दैनिक जागरण के हरियाणा स्टेट ब्यूरो प्रमुख अनुराग अग्रवाल ने तमाम मसलों पर बातचीत की। पेश है इसके प्रमुख अंश-
- दस साल सत्ता में रही कांग्रेस सभी दस लोकसभा सीटें हार गई। इसकी कोई खास वजह?
- कांग्रेस सिर्फ हरियाणा में चुनाव नहीं हारी। कई राज्यों में कांग्रेस को पराजय का सामना करना पड़ा। जनतंत्र में हार जीत लगी रहती है। देश और प्रदेश के लोग भाजपा के छद्म राष्ट्रवाद को समझ नहीं पाए और भावना में बह गए।
- कांग्रेस की समीक्षा बैठकों में आपके समर्थक विधायक कह रहे कि संगठन की कमी की वजह से पार्टी हारी?
- कांग्रेस प्रभारी ने अभी तक दो बैठकें ली हैं। संगठन की कमी भी हार का एक कारण रही है। अकेले संगठन की कमी को दोष नहीं दिया जा सकता। यह पहला चनाव है, जिसमें बहुमत से जीत के बावजूद सिर्फ भाजपा दफ्तरों में जश्न मना। आम लोगों के दिलों में पटाखे नहीं बजे। यह भाजपा के छद्म राष्ट्रवाद का बड़ा उदाहरण है।
- आपके विधायक लगातार अशोक तंवर को बदलने की मांग कर रहे। क्या इस बदलाव से पार्टी में कोई जान आ सकती है?
- संगठन की बैठकों में सब लोग अपनी-अपनी बात रखते हैं। कुछ विधायकों ने अपनी बात रखी। प्रदेश नेतृत्व में बदलाव का फैसला हाईकमान को करना है। हमने इसका अधिकार राष्ट्रीय अध्यक्ष को सौंप रखा है। हमारे किसी विधायक अथवा समर्थक ने यह कहीं लिखकर नहीं दिया कि तंवर को बदला जाए। हाईकमान को अगर लगेगा तो बदलाव होगा।
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- प्रदेश अध्यक्ष पद की लड़ाई कांग्रेस में बरसों से चल रही। कांग्रेस आलाकमान आपकी बात पर गौर नहीं कर रहा। अब आप अलग बैठक कर रहे?
- अक्टूबर में विधानसभा चुनाव हैं। हाल ही में लोकसभा चुनाव में पार्टी की हार हुई है। हार की समीक्षा और नए सिरे से चुनाव जीतने की रणनीति पर चर्चा होगी। 9 जून को दिल्ली में होने वाली बैठक में यही दो बिंदु हैं, जिन पर चर्चा होगी। मैंने अपने खास कार्यकर्ताओं को इस बैठक के लिए बुलाया है।
- चर्चा है कि इस बैठक में आप हाईकमान पर दबाव बनाने के लिए कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं। कहीं अलग डंडे और झंडे का इरादा तो नहीं?
- यह मीडिया के ख्याली पुलाव हैं। कांग्रेस पार्टी मेरी मां है। हम चर्चा करेंगे कि आखिर किन कमियों की वजह से लोकसभा चुनाव में हार हुई, ताकि विधानसभा चुनाव में उन्हें दूर किया जा सके। कांग्रेस को सत्ता में लाना हमारा लक्ष्य है।
- पूर्व केंद्रीय मंत्री विनोद शर्मा, गोपाल कांडा और अशोक अरोड़ा सरीखे नेताओं के आपके संपर्क में होने की खबरें आ रही। कोई नई खिचड़ी पक रही?
- मुझसे हर पार्टी के लोग मिलते हैं। मैं हर पार्टी के लोगों से मिलता हूं। इसका मतलब यह नहीं कि सब मेल जोल राजनीतिक वजह से ही होते हैं। भाजपा वाले भी मुझे मिलते हैं। मैं प्रधानमंत्री से मिलता रहता हूं।
-विधानसभा चुनाव सिर पर हैं, मगर संगठन कहीं नजर नहीं आ रहा। तंवर कहते हैं कि पदाधिकारियों की लिस्ट को आप मंजूर नहीं होने देते?
- लिस्ट मंजूर कराना अध्यक्ष का काम होता है। लिस्ट बनेगी तभी मंजूर होगी। आज तक कोई लिस्ट नहीं बनी। समय आने पर सब कुछ ठीक हो जाएगा। थोड़ा इंतजार कर लीजिए। लोकसभा चुनाव के मुद्दे अलग थे और विधानसभा चुनाव के मुद्दे अलग होंगे।
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- भाजपा ने सभी दस सीटें जीत ली। विधानसभा की 79 सीटों पर उसे बढ़त मिल रही। भाजपा को रोकने के लिए कोई खास रणनीति?
- राजनीति में कभी भी और कुछ भी संभव है। बसपा का गठबंधन पहले इनेलो से और अब लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी से टूट चुका है। कांग्रेस के साथ महागठबंधन की बातें भी चली थी। तेल देखो और तेल की धार...भविष्य में कुछ भी संभव है। यह राजनीति है।
- कांग्रेस और इनेलो के बेहद पुराने राजनीतिक मतभेद रहे। इसके बावजूद चौटाला ने पिछले दिनों दीपेंद्र हुड्डा की तारीफ की। इसका कोई मतलब?
- आप लोगों को तो सिर्फ मुद्दा चाहिए। मेरे बच्चे चौटाला साहब के बच्चों जैसे हैं और चौटाला साहब के बच्चे मेरे बच्चों जैसे हैं। रिश्तों को राजनीति की तराजू में नहीं तोला जाता। चौटाला से मेरे राजनीतिक मतभेद हो सकते हैं मगर पारिवारिक मतभेद नहीं हैं।
- तो क्या यह मान लिया जाए कि 9 जून के बाद कांग्रेस में बदलाव और भाजपा के खिलाफ महागठबंधन की नींव पड़ सकती है?
- हरियाणा में कांग्रेस की सरकार बनने जा रही है। गठबंधन की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता। वर्कर पूरी मजबूती से काम करेंगे। भाजपा आजकल पन्ना प्रमुख का बड़ा शोर मचा रही है। इस पन्ने में कोई दम नहीं।
- चर्चा है कि कांग्रेस की बैठक में अशोक तंवर ने तंग आकर कह दिया था कि मुझे गोली मार दो?
- दरअसल, मीडिया को पूरी बात पता नहीं होती। कुलदीप शर्मा ने बैठक में कहा कि तंवर ने करनाल में हार की समीक्षा के लिए जो बैठक बुलाई, उसकी मुझे तक जानकारी नहीं दी गई। इसमें क्या गलत कहा। एक विधायक ने कहा कि संगठन कमजोर है। जिला व ब्लाक कार्यकारिणी नहीं बनी। इन सवालों का सीधा जवाब देने की बजाय अगर कोई अनर्गल बात करने लगे तो क्या किया जाए।
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