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हरियाणा में निगम के बहाने विधानसभा चुनाव की किलेबंदी में जुटी भाजपा

हरियाणा भाजपा ने धीरे-धीरे विधानसभा चुनाव की किलेबंदी शुरू कर दी है। जींद उपचुनाव व निगम चुनाव से पहले खाप नेताओं का पार्टी ने भरोसा जीता है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Tue, 27 Nov 2018 03:26 PM (IST)Updated: Wed, 28 Nov 2018 11:56 AM (IST)
हरियाणा में निगम के बहाने विधानसभा चुनाव की किलेबंदी में जुटी भाजपा
हरियाणा में निगम के बहाने विधानसभा चुनाव की किलेबंदी में जुटी भाजपा

चंडीगढ़ [अनुराग अग्रवाल]। हरियाणा भाजपा ने धीरे-धीरे विधानसभा चुनाव की किलेबंदी शुरू कर दी है। पांच नगर निगम और जींद उपचुनाव से ठीक पहले भाजपा ने खाप नेताओं का भरोसा जीतकर मिशन 2019 फतेह करने की तरफ कदम बढ़ा दिए। भाजपा की नजर ग्रामीण मतदाताओं के साथ-साथ शहरी क्षेत्रों में रहने वाले गैर पंजाबी व गैर वैश्य मतदाताओं पर टिकी हुई है। नगर निगम चुनाव में यही मतदाता भाजपा के लिए तारणहार साबित हो सकते हैैं।

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सर्वजातीय सर्व खाप के राष्ट्रीय संयोजक टेक राम कंडेला की भाजपा में एंट्री पार्टी की अंदरूनी रणनीति की तरफ इशारा कर रही है। कृषि मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ और खाप नेता के रूप में विख्यात राज्यसभा सदस्य डा. डीपी वत्स के जरिये भाजपा गैर जाट मतों को लुभाने की कोशिश में है। इनेलो विधायक डॉ. हरिचंद मिड्ढा के देहावसान के बाद जींद में उपचुनाव किसी भी समय हो सकता है।

जींद में भाजपा आज तक अपना खाता नहीं खोल पाई है। जींद को हरियाणा की राजनीतिक राजधानी माना जाता है। अजय सिंह चौटाला, अभय सिंह, दुष्यंत चौटाला और भूपेंद्र सिंह हुड्डा की अधिकतर गतिविधियां जींद से शुरू होती हैैं। भाजपा भी राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को यहां बुलाकर अपनी राजनीतिक पृष्ठभूमि तैयार कर चुकी है।

जींद उपचुनाव से ठीक पहले भाजपा के लिए पांच नगर निगमों की चुनाव वैतरणी पार करना बड़ी चुनौती बन गया है। रोहतक, हिसार, करनाल, पानीपत और यमुनानगर नगर निगम के चुनावों को विधानसभा चुनाव की रिहर्सल के तौर पर देखा जा रहा है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला इसे स्वीकार भी करते हैैं। ऐसे में पांचों निगम चुनाव में पार्टी के लिए जीत हासिल करना बेहद जरूरी हो गया है।

तीन दशक पहले तक नगर निगमों का ताना बाना कुछ अलग तरह का था। इन निगमों में खालिस शहरी वैश्य एवं पंजाबी मतदाता अधिक होते थे, लेकिन बढ़ते शहरीकरण तथा ग्रामीणों के शहरों में पलायन की वजह से नगर निगमों में ग्रामीण मतदाताओं की संख्या बड़ी तेजी के साथ बढ़ी है। नगर निगमों के परिसीमन तथा गांवों के इनमें शामिल होने के बाद अब ग्रामीण पृष्ठभूमि के मतदाता किसी भी पार्टी की हार जीत में अहम भूमिका निभाने लगे हैैं।

भाजपा ने इस गणित को बड़े तरीके से समझा है। डीपी वत्स ब्राह्मण होने के साथ-साथ खाप नेता भी हैैं। भाजपा को उनके अनुभव तथा खापों में मजबूत पकड़ का लाभ मिलेगा। साथ ही टेक राम कंडेला की जींद जिले में अच्छी खासी पकड़ है। टेक राम को भाजपा जाट नेता यशपाल मलिक के खिलाफ भी राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल कर सकती है।

टेक राम भविष्य में कुछ और खाप नेताओं को भाजपा के साथ जोड़ सकते हैैं। ऐसे में इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता कि जाट आरक्षण आंदोलन के बीच भाजपा गैर जाटों के साथ-साथ जाट खासकर ग्रामीण मतदाताओं का भरोसा भी जीत सकती है।

नगर निगमों के चुनाव के ठीक बाद जींद उपचुनाव संभावित हैैं। पहले भाजपा ने निवर्तमान विधायक डॉ. हरिचंद मिड्ढा के बेटे को पार्टी में शामिल कराया। अब टेक राम कंडेला का उन्हें साथ मिल गया है। ऐसे में इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि पार्टी पूरी रणनीति के तहत नगर निगम व उपचुनाव के साथ-साथ विधानसभा चुनाव की तैयारी कर रही है।

सीएम और प्रदेश अध्यक्ष के संपर्क में कई दूसरे नेता

सीएम के मीडिया सलाहकार राजीव जैन का कहना है कि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला और मुख्यमंत्री मनोहर लाल के संपर्क में तमाम ऐसे नेता हैैं, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों में आस्था जता रहे हैैं। पार्टी ऐसे सभी नेताओं से बातचीत कर रही है। ऐसे सभी लोगों को जोडऩे में हमारा यकीन है, जो भाजपा की रीति-नीति से इत्तफाक रखते हुए केंद्र व राज्य सरकार की योजनाओं तथा जनहित में काम करें। इसके बावजूद पार्टी के पुराने कार्यकर्ताओं के मान सम्मान की पूरी चिंता की जाएगी।

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